सोमवार, 26 दिसंबर 2011

स्व :जनित या फिर स्व :रक्ताधान /स्वत :रक्ताधान क्या है ?

स्व :जनित या फिर स्व :रक्ताधान /स्वत :रक्ताधान क्या है ?
WHAT IS AUTOLOGOUS BLOOD TRANSFUSION?
जैसे - जैसे रक्ताधान जन्य बीमारियाँ प्रकाश में आरहीं हैं वैसे ही वैसे लोगों में अपना ही रक्त या रक्त से तैयार किए गए उत्पाद जिसे नियोजित तरीके से शल्य से पहले मरीज़ सेही ले लिया जाता है तथा निथारकर भंडारित कर लिया जाता है और शल्य के वक्त या बाद शल्य पुन :मरीज़ को ही चढ़ा दिया जाता है लोकप्रिय हो रहा है .
चिकित्सा शब्दावली में यही स्व :रक्ताधान या ऑटोलोगस ब्लड ट्रेन्सफ्यूज़न कहलाता है .
Autologous blood transfusion is the medical term for collecting ,filtering and injecting back patients own blood .Autologous blood transfusion is the process in which a patient donates his/her blood or blood componets ,which is then re -infused into him /her during or after surgery .
यह प्रक्रिया Allogenic blood transfusion से भिन्न है जहां मरीज़ को किसी और परिजन या मित्र का खून चढ़ाया जाता है .जो समान ग्रुप का होते हुए भी आनुवंशिक तौर पर भिन्न होता है .इसका आनुवंशिक रचाव भिन्न होता है .ऊतक भिन्न होतें हैं और इसी लिए कई मर्तबा ऊतक मिलान की समस्या आड़े आती है .
इसीलिए किसी और से प्राप्त अंग को डोनर ओरगन कोप्राप्त करता मरीज़ द्वारास्वीकृति दिलवाने के लिए उसकी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली से स्वीकृति दिलवाने के लिए रोग रोधी तंत्र का शमन करने वाली इम्यून सप्रेसर ड्रग्स का स्तेमाल किया जाता है .जिसके पार्श्व प्रभाव होतें हैं .
एलोजेनिक ब्लड ट्रेन्सफ्यूज़न के मामले भी कई मर्तबा बिगड़ जातें हैं खराब हो जातें हैं .
स्व :रक्ताधान के फायदे :यह पर -रक्ताधान(Allogenic blood transfusion ) से अपेक्षाकृत कहीं ज्यादा सुरक्षित है .यहाँ यौन संचारी रोगों यथा syphilis(गरमी,उपदंश या आतशक )Hepatitis B or C Viruses ,HIV आदि से रक्ताधान के बाद संक्रमित होने का ख़तरा नहीं रहता है .
प्रत्युर्जातक प्रतिक्रियाओं एलर्जिक रियेक्शंस के पनपने के अलावा febrile reactions ज्वर आदि का जोखिम भी नहीं रहता है .
शल्य से पहले खून देने अपने स्तेमाल के लिए ही रक्त दान करने का फायदा एक और भी है :यह अस्थि मज्जा (Bone marrow ) को उद्दीपन प्रदान करता है .नतीज़न शरीर में कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ जाता है .
कुछ लोग धार्मिक वजहों से किसी और का खून अपने स्तेमाल के लिए लेने से परहेज़ करते हैं .स्व :रक्ताधान इस समस्या का समाधान है .
मजेदार बात यह है उम्र दराज़ लोग भी स्व :जनित रक्ताधान कर सकतें हैं महज़ मनोवैज्ञानिक कारण उन्हें ऐसा करने से रोकतें हैं .
नुकसानात भी है स्व :रक्ताधान के :
मसलन सभी नियोजित शल्य कर्मों में खून जाया नहीं होता है .इसीलिए रक्ताधान की ज़रुरत ही नहीं पड़ती है .
Not all planned surgical procedures are associated with massive blood loss to require transfusion.
दफ्तरी गलती होने की संभावना यहाँ भी रहती है गलत यूनिट्स ब्लड की चढ़ा दी जातीं हैं .जिसके खामियाजे मरीज़ को भुगतने पड़ते हैं .
जो लोग पहले ही से किसी मेडिकल कंडीशन के साथ रह रहें हैं वह स्व :रक्ताधान कर सकतें हैं या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है .इस पर एक राय नहीं है माहिरों में .
ऑटोलोगस ब्लड यूनिट्स /ब्लड कम्पोनेंट्स की संभाल रख रखाव ,संशाधन अपेक्षाकृत ज्यादा सावधानी और कौशल की मांग करती है .
दो टूक निर्देश और rate cards इस बाबत अभी तैयार नहीं की गई हैं .
यदि सर्जरी आगे खिसका दी जाती है या फिर रक्ताधान की ज़रुरत ही नहीं पड़ती है तब दिया गया खून जाया हो जाता है .
आखिर क्यों परवान चढ़ा है चढ़ रहा है स्व :रक्ताधान :
मुंबई शहर में गत दो माह में दो कैंसर समूह रोगों के मरीजों की मौत की वजह गलत रक्ताधान बना है .इन्हें अवांछित समूह का रक्त गलती से चढ़ा दिया गया .(मामले जसलोक और सियोंन अस्पताल से ताल्लुक रखतें हैं ).
गुजरात में थैलेसिमिया से ग्रस्त २३ बच्चे रक्ताधान के बाद एच आई वी से संक्रमित पाए गए .
जब स्व :रक्ताधान जीवन रक्षक साबित होता है :
AB- ब्लड ग्रुप एक विरल रक्त समूह है जिसका रक्तदाता आसानी से नहीं मिलता है ऐसे मामलों में स्व :रक्ताधान जीवन रक्षक साबित होता है .
बकौल डॉ .बिजोय कुट्टी (चिकित्सा निदेशक Dombivali's Icon Heart hospital) उनके यहाँ ४४ वर्षीय महेश भाई ओपन हार्ट सर्जरी के लिए इसी ब्लड ग्रुप को लिए आए .स्व :रक्ताधान करके इनकी कामयाब सर्जरी की गई .सर्जरी से एक दिन पहले इनका एक यूनिट खून संजो के परिरक्षित कर लिया गया .एक यूनिट खून ओपरेशन के दिन ही इनसे जुटाया गया .
ज़रुरत पड़ने पर ऐसे मरीजों को plasma expander दे दिया जाता है ताकि ब्लड लोस शरीर के संतुलन को असर ग्रस्त न करे .डॉ .कुट्टी गत एक साल में ४० मामले कामयाबी से निपटा चुके हैं स्व :रक्ताधान के साथ शल्य के लिए प्रस्तुत मरीजों के .
जैसे जैसे स्व ;रक्ताधान के प्रति -जागरूकता बढ़ रही है elective surgeries ही नहीं cardiac ,orthopaedic or tumour removal surgeries के मामलों में लोग स्व :रक्ताधान के साथ आगे आरहें हैं .
सन्दर्भ -सामिग्री :
Harvesting own blood :THE NEW LIFE SAVER /TIMES CITY /TIMES OF INDIA ,MUMBAI,DEC 26,2011/P2

9 टिप्‍पणियां:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 28-12-2011 को चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

Kunwar Kusumesh ने कहा…

diabetic भी blood donate कर सकता है क्या ?

डॉ टी एस दराल ने कहा…

अवांछित रोगों से बचाव का अच्छा तरीका है ।
हालाँकि हमारे देश में इसका उपयोग सीमित ही रहेगा ।

virendra sharma ने कहा…

मैंने ज़नाब इस रिपोर्ट में ज़िक्र किया है existing medical condition वाले लोगों को लेकर स्व :रक्ताधान करवाया जाए या नहीं इस बारे में एक राय नहीं है माहिरों में .

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी।

Sunil Kumar ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी।

Rakesh Kumar ने कहा…

बहुत सुन्दर जानकारी दी है आपने.

आपकी अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.

समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा जी.

वीर हनुमान का बुलावा है आपको.

आनेवाले नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

SM ने कहा…

nice information on blood

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

ज्ञानवर्धक पोस्ट, वाह !!!