शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

माँ बाप का शौक बना बच्चों का रोग .

ram ram bhai

माँ बाप का शौक बना बच्चों का रोग .
DECEMBER 16,2011,C-4,NOFRA,COLABA,MUMBAI -400-005 एक भरी पूरी परिपूर्ण माँ सुपरमोम होने दिखने की कोशिश में ब्रितानी महिलाएं शराब का सहारा ले रहीं हैं यही लब्बोलुआब है उस अध्ययन का जिसे नाम दिया गया है "BOTTLING IT UP :THE NEXT GENERATION ".इस अध्ययन को आगे बढाया है :TURNING POINT ने .पता चला है कि तकरीबन छब्बीस लाख ब्रितानी नौनिहाल ऐसे माँ बाप कीं परवरिश में हैं जो बेतहाशा खतरनाक तरीके से शराब का सेवन कर रहें हैं .
ब्रितानी माँ बाप औसतन ३० यूनिट शराब की रोज़ गटक रहें हैं . यह निर्धारित सीमा से दस गुना ज्यादा मात्रा है शराब की .औसत २४ यूनिट शराब माताएं तथा ३३ यूनिट इन नौनिहालों के पिता श्री हलक के नीचे रोज़ -बा -रोज़ उतार रहें हैं .दूसरे शब्दों में तीन बोतल वाइन या फिर १५ पिंट (पाइंट )बीयर की ये गटक रहें हैं .
तरल को मापने की इकाई है पाइंट जो ०.५७ लीटर के बराबर होता है .एक गैलान तरल में आठ पाइंट होतें हैं .एक अमरीकी पाइंट ०.४७ लीटर के तुल्य होता है .अखबार डेली मेल ने इस अध्ययन को प्रकाशित किया है .अध्ययन के अनुसार शराब का स्तेमाल महिलाएं एक निर्दोष परिपूर्ण सर्वगुण संपन्न माँ होने दिखने के बढ़ते दवाब के तहत ही कर रहीं हैं .
कुछ का कहना है इस सबका कारण उनका अकेले सारा उत्तरदायित्व नौनिहालों का संभालना है जिसमे उन्हें उनके जीवन संगी का सहयोग मयस्सर नहीं हो पारहा है .कुछ महिलाएं इस सबसे तालमेल बिठाने के लिए हफ्ते में तीन रात शराब का सहारा ले रहीं हैं जिस दरमियान वे ७० यूनिट शराब गड़प जातीं हैं .जिसका मतलब दूसरे शब्दोंमे वाइन की आठ बोतलें होगया .और पीती भी यह अकेले में हैं तब जब बच्चे सोने के लिए अपने अपने बेड रूम्स में चले जातें हैं .सो जातें हैं .
इस सबका नौनिहालों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है .आगे जाके ये बच्चे सिजोफ्रेनिया ,बाईपोलर इलनेस (साइकोसिस )की चपेट में भी आसकतें हैं .ईटिंग डिस-ऑर्डर्स की भी .अवसाद ग्रस्त भी हो सकतें हैं ये बालिग़ होने पर .असर ग्रस्त ऐसे माँ बाप की परवरिश में चल रहे बच्चे ड्रग्स और शराब खुद भी चख सकतें हैं चस्का पड़ सकता है इन्हें भी इन आदतों का बाली उम्र में ही ..आगे जाके जो एक गंभीर समस्या बन सकतीं हैं .
सौ माँ बाप के इस सर्वे में२८% ने माना है उनके पीने की इस लत के कारण उनके नौनिहाल अकसर स्कूल नहीं पहुँच पाते पहुँचते हैं तो कक्षामे उनका ध्यान भंग होता है एकाग्र नहीं हो पता मन पढ़ाई लिखाई में .
५५%ने माना उनका यही शौक बच्चों में अवसाद बे -चैनी और बढ़ते हुए गुस्से की वजह बन रहा है .
सन्दर्भ -सामिग्री :Women turning to drink to cope with 'supermum'stress/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI /P19/DEC14,2011.
RAM RAM BHAI !RAM RAM BHAI!RAM RAM BHAI !
DEC16,2011
अल्ज़ाइमर्स की यथा संभव शीघ्र शिनाख्त के लिए परीक्षण .
(Soon ,test to spot Alzheimer's early)/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,MUMBAI/DEC14,2011/P19.
साइंसदान एक ऐसे परिक्षण की पुख्ता आज़माइश कर लेने के करीब पहुँच गए हैं जो अल्ज़ैमार्स रोग, के रोग नैदानिक लक्षणों के प्रगट होने से तीन चार बरस पहले ही रोग की आहट का पता ले लेंगा .फिलवक्त एक ऐसे इमेजिंग कम्पाउंड के परीक्षण तीसरे चरण में पहुँच गएँ हैं जिसके नतीजे योरोप और अमरीकी साइंसदान आगामी चंद महीनों में ही प्रस्तुत कर देंगें . इस यौगिक का नाम है "FLUTEMETAMOL".
गौर तलब है कि दिमाग में BETA AMYLOID PLAQUES के ज़मा होने से दिमागी कोशिकाओं का क्षय अपविकासDE-GENERATION होने लगता है जो आखिर में अल्ज़ैमार्स रोग की वजह बन जाता है .स्मृति ह्रास के रूप में प्रगट होतें हैं इसके प्रारम्भिक लक्षण .
अल्ज़ैमार्स रोग से मर चुके रोगियों के दिमाग के हिस्सों का शव विच्छेदन करने पर ही BETA AMYLOID PLAQUES की पुष्टि हो पाती है .लक्षित इमेजिंग एजेंट्स (अभिकर्मकों के स्तेमाल से )रोग के पुख्ता निदान में मदद मिल सकेगी .
मरीज़ की बाजू में सुईं द्वारा फ्ल्यू -टी -मीटामोल पहुंचाने के घटा भर बाद ही यह अभिकर्मक दिमाग में बन पनप रहे प्रोटीन प्लाक्स से चस्पां हो जाएगा . लाल रंग से आलोकित हो उठेगा मौजूद प्लाक .बस यहीं से इल्म हो जाएगा आल्ज़ैमार्स रोग के संभावित खतरे के वजन का .
रेडियोलोजिस्ट (विकिरण विज्ञान के माहिर ) इस एवज़ पेट स्केन्स (POSITRON EMISSION TOMOGRAPHY SCANS)का अध्ययन विश्लेषण करके मौजूद प्लाक के स्तर की इत्तला देंगें .ये स्केन्स संभावित असरग्रस्त मरीज़ के दिमाग के हिस्सों के उतारे जायेंगें .
रोग नैदानिक परीक्षणों के आखिरी चरण में पहुँच गईं हैं इस यौगिक की आजमाइशें. आखिरी नतीजों का सभी को इंतज़ार है .योरोप और अमरीका भर में आठ अलग अलग जगहों पर ये आजमाइशें चल रहीं हैं .
गौर तलब है भारत के लिए इसके नतीजे बड़े सुखद सिद्ध होंगें जहां फिलवक्त अल्ज़ाइमर्स के साथ गुज़र बसर करने वाले ३७ लाख लोग हैं .२०३० तक यह संख्या दोगुना हो जाएगी .
RAM RAM BHAI !RAM RAM BHAI !RAM RAM BHAI !
केंसर ट्यूमर्स के सफाए के लिए रेडिओथिरेपी के रूप में अब क्लस्टर बोम्ब .
कैंसर रेडिओ -चिकित्सा के शुरूआती चरण में कैंसर युक्त ट्यूमर्स के सफाए के लिए कोबाल्ट बोम्ब का स्तेमाल किया जाता था .कोबाल्ट का एक कुदरती सम स्थानिक रेडिओसक्रिय होता है जिसका मॉस नंबर ६० होता है .इससे अपने आप लगातार गामा विकिरण निकलता है .
अब रेडिओविग्यानिं ट्यूमर का बेहतर ढंग से खात्मा कर सकेंगे क्लस्टर बम के द्ववारा .आपको बतलादें यह शब्दावली नाभिकीय आयुद्ध क्लस्टर बम से ली गई है .
cluster bomb is a canister dropped from an aircraft to release a number of small bombs over a wide range.Also a cluster bomb is a type of bomb that throws out smaller bombs when it explodes .
यहाँ रेडिओ -विकिरण चिकित्सा के क्षेत्र में मांजरा कुछ कुछ ऐसा ही है .इजराइल के चिकित्सा रिसर्चरों ने ट्यूमर में अन्दर से बाहर की तरफ चौतरफा विस्फोट की रणनीति के तहत एक प्राविधि विकसित की है .यह एक पिन की आकार का रेडिओ -प्रत्यारोप है .विकिरण प्रत्यारोप है .रेडिओ -इम्प्लांट है .जिससे अल्फा विकिरण निकलेगा .हम जानतें हैं अल्फा विकिरण की रेंज कम होती है लेकिन आयनीकरण की क्षमता सबसे ज्यादा होती है निसृत ऊर्जा कैंसरग्रस्त कोशा का खात्मा करने में समर्थ रहती है .ज़ाहिर है इसे कैंसर गांठ में प्रत्यारोपित किया जाएगा .
यहाँ इस विकिरण की बौछार पहले पूरे ट्यूमर में होगी और विस्तृत विसरण के बाद अल्फा कणों का विखंडन शुरु होगा .अन्दर से बाहर की तरफ .इस प्रक्रिया में एक साथ सब जगह ऊर्जा निसृत होगी पूरे ट्यूमर मॉस में .ट्यूमर बॉडी में एक साथ विस्फोट होगा .
परम्परा गत विकिरण बम में ट्यूमर पर गामा विकिरण विकिरण बाहर से डाला जाता है .जिसकी विभेदन क्षमता तो रेंज तो सबसे ज्यादा होती है लेकिन आयनीकरण की क्षमता न्यूनतम रहती है .आयन के कमतर जोड़े पैदा करता है गामा विकिरण .यहाँ विस्फोट एक बिंदु पर न होकर अनेक बिन्दुओं पर पूरे ट्यूमर में होता है .क्लस्टर बम्ब की तरह यहाँ लगातार विखंडन होता रहता है रेडिओ -नाभिकों का .इसलिए एक मर्तबा सफाए के बाद ट्यूमर के फिर से पनपने की संभावना नहीं रहती है .
सन्दर्भ -सामिग्री :-New cancer 'cluster bomb ' to help blast tumors/times trends/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,DEC 15,2011,P17

7 टिप्‍पणियां:

डॉ टी एस दराल ने कहा…

शराब चीज़ ही ऐसी है कि न छोड़ी जाये !
लेकिन अत्यधिक मात्रा में सेवन करना तो अपने शरीर के साथ जुर्म है ।
फिर भी जो गरीब है वह भी और जो अमीर है वह भी -इसके नशे में डूबना पसंद करते हैं ।
यह कहीं न कहें हमारी मानसिक कमजोरी की निशानी होती है ।

वीरुभाई जी , मुंबई कब तक रहने का इरादा है ?
दिल्ली की ठण्ड से डर गए क्या ??

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

चेतावनी है, आज को जी लेने वाले कल की चिन्ता कहाँ करते हैं, बच्चों की भी नहीं

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

सही कहा फ़रमा रहे हैं

Dr Ved Parkash Sheoran ने कहा…

hmm

ZEAL ने कहा…

Parents need to be more responsible towards their children otherwise the new generation will suffer. Who will guide them , if not parents ???

Rajeev Panchhi ने कहा…

Apke blog par har post behad gyaanbardhak hoti hai! Apko badhaai!

मनोज कुमार ने कहा…

हमें इस जानकारी से सचेत होना सीखना चाहिए।