खुराक से जुडी है मुक्तावली की सेहत की नव्ज़ .
(Eat your dental problems away/MUMBAI MIRROR ,DEC 8,2011,P21)
बेशक आप नियमित ब्रश ही नहीं करते डेंटल फ़्लोस का भी स्तेमाल करतें हैं ,अपने डेंटिस्ट के पास भी दांतों की मंजवाई(स्केलिंग) के लिए जाते रहतें हैं .स्केलिंग के दौरान दांतों से केल्क्युलास की सफाई के लिए एक डेंटल इन्स्त्रुएमेन्त स्केलर का स्तेमाल किया जाता है .पराश्रव्य स्केलर (Ultrasonic scaler )में उच्च आवृत्ति कम्पनों का स्तेमाल दगैल दांतों की सफाई जमा टार्टर की सफाई के लिए किया जाता है .लेकिन इतना सब होने पर भी टूथ पेस्टों के विज्ञापनों में दिखलाई देने वाली मुक्तावली की मुस्कान से आप वंचित रह जातें हैं क्योंकि आपसे एक चूक हो जाती है .आप दांतों की खुराक दांतों के लिए लक्षित खुराक पर ध्यान नहीं देपाते .
क्या है मुक्तावली के लिए खुराक ?
वह जिसमे परिष्कृत शक्कर न हों .आधुनिक परिष्कृत खाद्यों से सनी खुराक सारे फसाद की जड़ है .यह परिष्कृत शक्कर(सफ़ेद चीज़ें सफ़ेद चावल ,चीनी ,मैदा ,सूजी सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं ) दांतों के खांचों के बीच चला आता है और आपको खबर ही नहीं होती .रात को यदि ब्रश करके न सोया जाए तब यह वहीँ पड़ा सड़ता रहता है सुबह तक .जीवाणु की क्रीडास्थली बन जाती है आपकी दन्तावली ऐसे में .तेज़ाब बनता रहता है जो दांतों की आब Enamel को चट कर जाता है .इसलिए खुराक में ज्यादा से ज्यादा रेशे नुमा खाद्य रहें यह लाजिमी है . कच्चे फल और तरकारियाँ बिना पकी ,मेवे अखरोट बादाम पिश्ता मोटे अनाज शामिल कीजिए रोजमर्रा की खुराक में ..यही परामर्श है दांतों के रोगों के मसूढ़ों के रोगों के माहिरों का .फिर न मुंह से बदबू आएगी न खून (पायरिया ).
सफाई अपनी जगह खुराक अपनी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं .
खुराक में खूब केल्शियम लीजिए :माहिरों के अनुसार दिन भर में आपकी खुराक में ५००मिलिग्राम केल्शियम रहे यह ज़रूरी है.Celery (सेलरी हरे और सफ़ेद डंठल वाली सब्जी जो कच्ची भी खाई जा सकती है ,अजमोदा अजवायन ),बाजरा यानी finger millets ,carrot snacks with hummus or avocado dip ,चीज़ और दही ताज़े फल और नट्स (काष्ठ फल )शानदार स्रोत हैं केल्शियम के .
क्रेश डाईट कोर्स के झांसे में कभी न आयें :
आपके molar teeth चर्वण दांत (दाढ) के लिए घातक है Crash diets .लार का बनना कम कर देती हैं ये खुराकें .लार आपकी होती है जीवाणु नाशी ऐसे में जीवाणु खुलकर खेलतें हैं .क्योंकि उन्हें रोकने थामने वाली लार तो पूरा बन ही नहीं पाती .अलबत्ता कोई भी sugarless gum चूस कर आप पर्याप्त लार बना सकतें हैं .
खट्टे फल और शर्बतों का मिथ :
एस्कोर्बिक एसिड से सने होतें हैं सभी खट्टे फल और शरबत .बेशक इनमे मौजूद विटामिन -सी शरीर के लिए अच्छा है लेकिन मौजूद तेज़ाब दांतों की आब ले उड़ता है .बेहतर हो खट्टे शरबत आप स्ट्रा से पिए ताकि वह दांतों के सीधे संपर्क में न आवे .एक बात और खट्टे फल खाने के बाद कुल्ला कमसे कम तीस मिनिट तक न करें .ऐसे में आपके मुंह में मौजूद लार को जीवाणु के सफाए का मौक़ा मिल जाएगा .
यह भी एक मिथ ही है यथार्थ नहीं कि लाइम ज्यूस (मीठे नीम्बू का शरबत और शिकंज्बी )दांतों को चमकीला बनाता है .हकीकत में यह नुकसानदायक है .ऐसे में आपको दांतों की आब के लिए फिर अपने डेंटिस्ट की शरण में जाना होगा .
RAM RAN BHAI !RAM RAM BHAI !
गर्भावस्था में तनाव समय पूर्व प्रसव का जोखिम बढा सकता है .
(Stress in pregnancy raises risk of premature birth /TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI/DEC 12,2011/P-17)
गर्भावस्था में खासकर गर्भावधि के दूसरे और तीसरे महीने में गर्भवती का तनाव ग्रस्त रहना एक तरफ समय पूर्व प्रसव (गर्भावस्था की सामान्य अवधि ४० माह से कॉफ़ी पहले ३६ सप्ताह से पहले ही ) प्रसव के खतरे के वजन को बढा सकता है .गर्भ में विकसित हो रहे नर शिशु के गर्भच्युत होने ,Miscarriage के खतरे को भी बढा सकता है .यह पहला मौक़ा है जब गर्भावधि के तनाव का सम्बन्ध गर्भस्थ के लिंग से जोड़ा गया है .ताज़ा अध्ययन से पता चला है कि ऐसा ख़तरा गर्भ में पल रहे लड़कों के लिए ही ज्यादा रहता है .वैसे लड़कियों की बनिस्पत औसतन लड़के ही ज्यादा पैदा होतें हैं लेकिन गर्भावस्था का तनाव दोनों लिंगों के इस परम्परागत संतुलन को छितरा सकता है .
न्यूयोर्क विश्वविद्यालय के रिसर्चरों ने पता लगाया है कि स्ट्रेस से असरग्रस्त होना समय पूर्व पैदा हुए बच्चों के जन्म को प्रेरित करता है लड़कों के गर्भच्युत होने के मौकों को बढाता है .गर्भावस्था की सामान्य अवधि को कमतर करता है .डेली मेल ने इस अध्ययन की रिपोर्ट को प्रकाशित किया है .
RAM RAM BHAI !RAM RAM BHAI!
ram ram bhai
रविवार, ११ दिसम्बर २०११
क्या है पी एच या एसिड एल्केलाइन डाईट ? क्षारीय खुराक ?
क्या है पी एच या एसिड एल्केलाइन डाईट ? क्षारीय खुराक ?
(The acid factor in your food !Also known as the pH or the Acid -Alkaline diet ,this new diet aims at balancing the pH levels in the body)./बॉम्बे टाइम्स /दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया मुंबई ,दिसंबर ११,२०११,पृष्ठ ११.
ज़ाहिर है विषय का प्रतिपादन करने से पहले यह बतलाया जाए यहाँ पीएच( का क्या अर्थ है . ?
किसी पदार्थ में अम्ल या क्षार के स्तर को मापने की इकाई है पी एच .७ से कम मूल्य अम्ल का और ७ से ऊपर मूल्य क्षार (Alkali )का संकेत करता है .लगे हाथ यह भी बतलादें कि खुद क्षार एक ऐसा रसायन है जो अम्ल के साथ अभिक्रिया करने पर लवण बनाता है .क्षार का पीएच मान सात से अधिक होता है .पीएच का विस्तार है : Potential of hydrogen.
Also pH is a measure of acidity or alkalinity in which the pH of pure water is 7 with lower numbers indicating acidity and higher numbers indicating alkalinity .Full form potential of hydrogen.
Diet theory:क्षारीय खुराक इस बुनियादी सिद्धांत या मत पर टिकी हुई है कि जैसे जैसे हम अम्लीय प्रकृति का भोजन ज्यादा मात्रा में लेने लगते हैं वैसे ही वैसे और उसी अनुपात में सेहत के लिए उलझाव और परेशानियां बढती चली जातीं हैं .
क्या कहतें हैं माहिर क्षारीय खुराक की बाबत ?
चमड़ी और केश विज्ञान के माहिर डॉ .जैश्री मनचंदा के अनुसार क्षारीय खुराक एक ऐसी खुराक है जिसका सारा जोर ताज़े फल और तरकारियों और मेवों पर रहता हैं नट्स को जो तरजीह देती है .जिसमे '[बीज वाली फलियों का लेग्युम्स (Legumes)का डेरा रहता है .
क्या है मूलभूत अवधारणा क्षारीय खुराक की ?
कुछ खाद्य पाचन के बाद अव -शेशीय प्रभाव में क्षारीय प्रभाव अपने पीछे छोड़ जातें हैं .यानी इनकी कुलमिलाकर क्षारीय असर ,तासीर रहती है . ऐसे खाद्य जो परिणामी अवशेष के रूप में क्षारीय असर छोड़तें हैं क्षारीय खुराक के तहत आतें हैं .ऐसी खुराक शरीर में अम्ल -क्षार संतुलन को बनाए रहती है .
प्राकृत चिकित्सा और पोषण विज्ञान के माहिर जैनब सैयद कहतें हैं :"The Alkaline diet maintains the balance of acid- base homeostais in the blood ,which is the balance of acids and bases (commonly known as pH) in the body .इस संतुलन के अभाव में शरीर अपने आपको कायम नहीं रख सकता .अम्लीय होने का मतलब है हमारे शरीर का pH मान आदर्श और एक मान्य pH मान से कम है .शरीर की आदर्श रूप में प्रकृति थोड़ी सी क्षारीय है इसका पीएच आदर्श मान ७.३५-७.४५ होना चाहिए .
अम्लीय और क्षारीय खाद्यों से क्या तात्पर्य है ?
अपनी मूल प्रकृति में खाद्य तीन प्रकार के हैं :
(१)शरीर पर पाचन के बाद उदासीन प्रभाव छोड़ने वाले यानी उदासीन Neutral foods .
(२ ) शरीर में अपने परिणामी असर में तेज़ाब छोड़ने वाले यानी Acid -forming .
(3)शरीर पर पाचन के बाद क्षारीय असर छोड़ने वाले यानी Alkalising .
बकौल डॉ .नूपुर कृष्णन तेज़ाब बनाने वाले खाद्य शरीर को हाइड्रोजन आयन प्रदान करतें हैं .जिससे शरीर थोड़ा और अम्लीय हो जाता है .जबकि क्षार बनाने वाला खाद्य हाइड्रोजन आयनों को शरीर से विस्थापित करता है हटाता है .यानी शरीर की अम्लीयता को कम करता है .
आम गलत धारणा यह है कि यदि कोई खाद्य अपने स्वभाव और स्वाद में अम्लीय है खट्टा है तब वह शरीर में ज्यादा तेज़ाब बनाता है .दरअसल अम्लीय और क्षारीय भोजन का वर्गीकरण शरीर पर पाचन के अनंतर पड़ने वाला परिणामी असर पर आधारित है न कि खाद्यों के अपने अंतरजात स्वाद पर .उनकी अपने खट्टे या क्षारीय पन पर उनकी intrinsic acidity और alkalinity से इस वर्गीकरण का कोई लेना देना नहीं है .
मसलन आम तौर पर स्वाद में खट्टे यथा नीम्बू वंशीय (खट्टा और मीठा नीम्बू यानी lemon and lime ,तथा grapefruit melons को इनके स्वाद की वजह से ही अम्लीय प्रकृति का मान लिया जाता है जबकि पाचन के बाद इनका खनिजीय अवयव Mineral content क्षारीय साबित होता है क्षार युक्त होता है .क्षार ही बनाता है .
कैसे असर करती है काम करती है क्षारीय खुराक ?
इसका लब्बोलुआब सारा संकेन्द्रण शरीर के पीएच स्तर के संतुलन को कायम रखना है .कोशाओं की पुनर संरचना पुनर -निर्माण करना है .ऊतकों का पुनर -निर्माण कर मजबूती प्रदान करना है .आखिर में एक तंदरुस्त काया के रख रखाव में विधयाक सिद्ध होना है .
सैयद के नुसार आपका शरीर अम्लीय होने पर बीमारियों का घर बन जाता है .रोग मौक़ा देखके शरीर को निशाना बनाने लगतें हैं .
डॉ .मनचंदा इसीलिए इस खुराक की सिफारिश करती हैं क्योंकि इस पर कायम रहना आसान है .कोशाओं के सुचारू काम करने के लिए शरीर से विषाक्त पदार्थों की निकासी शरीर को detox करना ज़रूरी है .यह खुराक ऐसा करने में कारगर रहती है .
अलावा इसके मुक्तावली को स्वास्थ्य और मजबूती प्रदान करती है क्षारीय खुराक .जबड़ों को यथा स्थान सुदृढ़ बनाए ज़माए रहती है .
दर्द के एहसास को घटाती है बुढापे को मुल्तवी रखती है बुढ़ाने की रफ़्तार को ब्रेक लगाती है .खाने के उचित पाचन में मददगार है यह खुराक .कुलमिलाकर आपको एक चारु और छरहरी काया देने बनाए रखने में बड़े काम की है यह खुराक .
लाभ और नुकसानात क्या हैं pH या Acid-Alkaline diet के ?
श्रेष्ठ पाचन ,पुनर -ऊर्जित होते रहना ,ऊर्जा (दमखम )स्तर कायम रखना ,तौल को कम रखना यानी वेट लोस ,पीड़ा का कमतर एहसास होना हाइपर टेंशन का काबू में रहना तथा ब्लड सुगर लेविल्स का बेहतर प्रबंधन .दांतों और ज़ब्डों की मजबूती के प्रति बे -फिक्री .बेहतर रोग -रोधी तंत्र .बुढापे को लगाम .और क्या बच्चे की जान लोगे .इतना कॉफ़ी नहीं है .एक खुराक से और क्या क्या लोगे ?
अति यहाँ भी ठीक नहीं . क्षारऔर अम्लीय खाद्य का अनुपात भोजन में ८० :२० रहना ही चाहिए .यानी ८०%क्षार पैदा करने वाले और २०%अम्लीय प्रकृति के खाद्य भोजन में शरीक रहने चाहिए .कुछ fats तथा oils जो Alkaline खुराक में सीमित रखे जातें हैं ज़रूरी वसीय अम्ल बनातें हैं ,तंदरुस्त कोशाओं का निर्माण करतें हैं , वैज्ञानिक रिसर्च से अभी सभी बताए गए लाभों की पुष्टि नहीं हुई है .और अध्ययन ज़रूरी हैं .
सोमवार, 12 दिसंबर 2011
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5 टिप्पणियां:
मोटे अनाज और नीबू पानी की मात्रा बढ़ा देते हैं, आज से ही।
वाह! बहुत ही उपयोगी जानकारी मिली! धन्यवाद!
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
उपयोगी जानकारी दी है ... दांतों को संभालना पड़ेगा आभी से ...
अति सुन्दर |
शुभकामनाएं ||
dcgpthravikar.blogspot.com
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