शनिवार, 10 दिसंबर 2011

चर्बी उतारने के लिए बस दो दिन का खुराकी संयम .

चर्बी उतारने के लिए बस दो दिन का खुराकी संयम -अनुशाशन .
(Want to cut flab ?Try strict diet for just 2days /week)/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,/DEC 10,2011/P19.
एक अध्ययन के अनुसार साल भर खुराक में केलोरीज़ गिनते रहने से बेहतर है बस हफ्तें में दो दिन का खुराकी संयम और अनुशाशन और शेष दिन खुलकर खाने की छूट .ब्रिटेन के साउथ मानचेस्टर, स्थित यूनिवर्सिटी अस्पताल के रिसर्चरों के अनुसार जब ११५ स्वयं सेवी महिलाओं को तीन अलग अलग वर्गों में रखके खुराकी आज़माइश कीगई तब कुछ ऐसे ही नतीजे निकले .पहले वर्ग की महिलाओं को कुल ६५० केलोरीज़ के भोजन पर जिसमे पास्ता ,ब्रेड और आलू जैसे कार्बोहाईद्रेतों में तथा चिकनाई सने भोजन में कटौती की गई थी हफ्ते में दो दिन तक सीमित रखा गया लेकिन शेष दिनों में इन्हें कितना भी लेकिन जहां तक संभव हो स्वास्थ्यकर खाना खाने की छूट थी .केलोरीज़ गिनना ज़रूरी नहीं रखा गया था .
दूसरे वर्ग की तमाम महिलाओं को सिर्फ दो दिन के लिए हर हफ्ता कार्बोहाईड्रेट प्रतिबंधित थे लेकिन केलोरीज़ में छूट दी गई थी इन दो दिनों के भोजन में भी शेष हफ्ते के पांच दिनों में इन्हें कितना भी भोजन लेने की छूट थी .
जबकि तीसरे वर्ग की औरतों को मानक तौल कम करने वाली खुराक ( Standard weight -loss diet )पर रखा गया जो १५०० केलोरीज़ तक सीमित थी .हफ्ते के सातों दिन यही खुराक दी गई .अलबत्ता अधिक चिकनाई वाला भोजन तथा एल्कोहल से जहां तक हो परहेजी रखवाई गई .
पता चला जिन महिलाओं ने सिर्फ हफ्ते में दो दिन के लिए अपने आपको फलों तरकारियों और lean meat पर ही रखा जबकि शेष पांच दिनों के लिए खूब मन भरके खाया उनका वजन सातों दिन यानी Full time diet पर रहने वाली महिलाओं के बरक्स दो गुना ज्यादा घटा .यानी हींग लगे न फिटकरी रंग चौखा ही चौखा .दो दिन का संयम और चर्बी से छुटकारा .
RAM RAM BHAI !
शुक्रवार, ९ दिसम्बर २०११
आखिर कैसे बचाए रहतीं हैं महिलाओं को स्त्री कैंसर रोग समूह से गर्भ निरोधी गोलियां ?
आखिर कैसे बचाए रहतीं हैं महिलाओं को स्त्री कैंसर रोग समूह से गर्भ निरोधी गोलियां ?
जो महिलाएं स्वास्थ्य कारणों से या फिर गर्भ निरोधी उपाय के रूप में गर्भ निरोधी गोलियों का सेवन करतीं हैं उनमे ह्यूमेन एग्स नहीं बन पातें हैं इन गोलियों के सेवन के चलते .मासिक चक्र के बाद की अवधि में दूसरे चक्र से पूर्व कभी भी डिम्ब क्षरण से, ह्यूमेन एग के रिलीज़ होने से कोशिकाओं की टूट फूट बढ़ जाती है साथ ही कोशाओं की मुरम्मत का काम सुस्त पड़ जाता है .इसी के साथ ट्यूमर या कैंसर गांठ का ख़तरा बढ़ता जाता है खासकर उन महिलाओं में जो धार्मिक वजहों से ब्रह्मचारी बन जाती हैं .साध्वी बन जाती हैं .क्योंकि इनके मामले में प्रजनन क्षम उम्र में ज्यादा मासिक चक्र संपन्न होतें हैं ज्यादा बार एग रिलीज़ होतें हैं उसी अनुपात में कोशिकाओं की टूट फूट को पंख लगतें हैं मरम्मत का काम कमज़ोर पड़ जाता है .जबकि जो महिलाएं संतानें पैदा करती हैं स्तन पान करवाती हैं उनमे गर्भावस्था और कमोबेश स्तन पान की अवधि में भी डिम्ब क्षय कमतर होतें हैं या बिलकुल भी नहीं होतें .इसीलिए संतान पैदा करना और स्तन पान करवाना ऐसी जैविक क्रियाएं हैं जो कुछ स्त्री कैंसर समूहों यथा अंडाशय कैंसर ,बच्चेदानी की गर्दन का कैंसर तथा स्तन कैंसर से एक तरह की बचावी चिकित्सा कुदरत की तरफ से नसीब करवा जाती है .
एक ऑस्ट्रेलियाई अध्ययन के अनुसार
उन महिलाओं के इन कैंसर रोग समूह की चपेट में आकर मर जाने की दर १२%कम हो जाती है जो गर्भ निरोधी गोलियों का सेवन करतीं हैं कर रहीं हैं या कर चुकीं हैं बरक्स उनके जिन्होनें इनका कभी भी सेवन नहीं किया है या धार्मिक वजहों से नहीं करतीं हैं .
गौर तलब है सेहत के नज़रिए से चर्च एवं इतर धार्मिक संस्थाएं भी इन गोलियों के सेवन के लिए मना नहीं करतीं हैं .किया जा सकता हैइनका सेवन . सेहत के अनुरूप इन गोलियों का सेवनकिया जा सकता है बचावी चिकित्सा के बतौर .पता चला है इन गोलियों के सेवन से अंडाशय (ओवेरियन )और बच्चेदानी (गर्भाशय या womb cancer ) के चपेट में आजाने का जोखिम ५०-६०%तक कम हो जाता है .यह बचाव आइन्दा भी दो दशकों तक होता रहता है .

13 टिप्‍पणियां:

अशोक सलूजा ने कहा…

वीरू भाई अच्छी सलाह ! चल के देखते हैं !
आप ने अगर मेरी सलाह मानी होगी तो ये टिप्पणी छप जायेगी वर्ना ये भी गुल ...
राम-राम !.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह ... ये तो अच्छी सलाह दी है आपने ... पूरा हफ्ता खाओ २ दिन बस पेट को आराम दो ... आजमाना पड़ेगा ...

मनोज कुमार ने कहा…

संयम तो बहुत करता हूं, चर्बी उतरती ही नहीं।

Arvind Mishra ने कहा…

कम खर्च बालानशी

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कुछ और हल्का हो गया मन का बोझ।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

ट्राई करती हूँ..... बस काम कर जाये .... बढ़िया जानकारी मिली :)

Unknown ने कहा…

आहार संयम श्रेष्ठ उपाय!! आभार भ्राताश्री!!

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

काम आने लायक जानकारी।

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 12-12-2011 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

उपयोगी जानकारी...दो दिन के संयम से काम चले तो सप्ताह भर कलोरीज़ क्यूँ गिनना!

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

चलिए हम भी आजमाकर देखते हैं.

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत उपयोगी जानकारी |
आशा

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत उपयोगी जानकारी.आभार