यहाँ हम एक ऐसा अध्ययन प्रस्तुत कर रहें हैं जो भारत में काल सेंटरों में काम करने वाली युवा भीड़ का ध्यान खींचेगा .
(Rotating night shifts up diabetes risk in women/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,MUMBAI,DEC8,2011P19).
उन महिलाओं के लिए टाइप -२ डायबितीज़ के खतरे का वजन बढ़ जाता है जिनके काम के घंटे समय सारणी अनियमित बनी रहती है मसलन एक तरफ एक ही महीने में तीन से चार बार रात की पालियों में काम और उसी माह में d प्रात :और सांध्य पालियों में भी काम करने की बाध्यता .
एक नवीनतर अध्ययन के अनुसार जिसकी अगुवाई हारवर्ड स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ(HSPH) के रिसर्चरों ने की है सालों साल अनियमित समय सारणी (Rotating night shift work) के तहत काम करते रहने से कालान्तर में पहले कामकाजी महिला का वजन (तौल )बढ़ता है और यहीं से सेकेंडरी डायबितीज़ के खतरे का वजन भी बढ़ता चला जाता है .ये अन्वेषण विज्ञान पत्रिकाJournal PloS Medicine में प्रकाशित हुए हैं .
पता चला दीर्घावधि में समयसारणी में निरन्तर बदलाव के साथ पालियों में काम करते रहना Long -term Rotating night shift work एक एहम रिस्क फेक्टर है सेकेंडरी डायबितीज़ के पनपने के लिए .काम की ऐसी अ -नियमित अवधि के बढ़ते जाने के साथ साथ यह ख़तरा भी उसी अनुपात में बढ़ता जाता है .स्टडी के मुख्य ऑथर An Pan ऐसा ही मत व्यक्त करतें हैं .
ऐसे में जो महिलाएं बदलती समयसारणी में ३-९ सालों तक काम करती रहती हैं उनके लिए टाइप -२ डायबितीज़ का ख़तरा २०%,जो १०-१९ सालों तक ऐसे ही कार्य करने को बाध्य रहीं उनके लिए ४०%तथा जो बीस सालों से अधिक अवधि तक ऐसी ही बदलाव लिए रात की पालियों के संग काम करती रहीं उनके लिए ५८%तक बढा हुआ पाया गया ..
भारत के सन्दर्भ में दिल्ली के काल सेंटरों को लेकर एक ऐसा ही अध्ययन पूर्व में किया गया था जिसमे अनेक लोगों को प्री -डायबेतिक पाया गया वजह नींद चुराते काम के अनियमित घंटे ही बने थे . हमने अपने ब्लॉग पर लिखा था इस बाबत भी . RAM RAM BHAI !RAM RAM BHAI !
साध्वियों के लिए गर्भनिरोधी गोलियां क्यों ?
साध्वियों के लिए गर्भनिरोधी गोलियां क्यों ?
(Why nuns need birth control pills:/TIMES TRENDS/THE MUMBAI TIMES OF INDIA/DEC9,2011,/P19).
बेशक चर्च इस सलाह से सहमती न जतलाए लेकिन रिसर्चरों ने ननों को कैंसर रोग समूह से बचाए रखने के लिए गर्भ निरोधी टिकिया लेते रहने की सलाह दी है .विज्ञान पत्रिका लांसेट में प्रकाशित एक टिपण्णी के अनुसार किन्हीं भी ऐसी औरतों की मानिंद जिन्होनें कभी संतान न पैदा की हो , (nulliparous women)या जो संतान हीन हो धार्मिक समुदायों की साध्वियों (ननों ,ब्रह्माकुमारीज़ ,जैन साध्वियों आदि ..)के लिए स्तन ,अंडाशय (ओवरीज़ )तथा बच्चे दानी (यूटेराइन कैंसर )से मौत के मुंह में चले जाने का ख़तरा बढ़ जाता है .बरक्स उन महिलाओं के जिनके संतानें हैं .
वजह इसकी यह है कि जो महिलाएं संतान हीन रहतीं हैं ,या फिर स्तन पान नहीं करवातीं उन्हें रजोनिवृत्ती से पूर्व ज्यादा बार मासिक स्राव होता है .मासिक चक्र ज्यादा होते रहते हैं जिनका कैंसर समूह के बढे हुए जोखिम से अंतर -सम्बन्ध देखा गया है .
Nulliparous शब्द की व्युत्पत्ति Nullipara से हुई है यहाँ nullus लेटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है 'none' तथा अंग्रेजी भाषा का शब्द है 'para'जिसका आशय एक ऐसी महिला से है जिसने संतान को जन्म दिया हो .
Nullipara is a woman who has never given birth to a child.
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8 टिप्पणियां:
aap doctor hote to aur achha hota............
अगले जन्म में सही .तैयारी पूरी है डॉ बनने की .
interesting news items .
careful informative post. thanks bhayi sahab.
नियमित जीवन तो सदा ही लाभदायक होता है।
महत्वपूर्ण जानकारी वाली आपकी ये पोस्ट पसंद आई!
महत्वपूर्ण जानकारी वाली पोस्ट
रोचक जानकारी ...
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