सोमवार, 19 अक्तूबर 2015

इस सेकुलरिज़्म का अंकुरण और तेज़ी से पल्ल्वन इंदिरा काल में हुआ जब इंदिरा को इल्म हुआ ये तो मंगला ने बड़े काम का नुसखा बताया। हर धत कर्म हर पाप इस शब्द के नीचे छुपा लो उन्होंने झट सेकुअलर शब्द की चिप्पी ,सेकुलर पैवन्द संविधान की काया पर ही लगा दिया।

एक बार की बात है किसी मंगलामुखी (यौनकर्मी ,अपभ्रंश रूप वैश्या )से किसी जानकार ने पूछा हे सुंदरी आपकी गोद  में ये बच्चा किसका है । मंगलामुखी बोली ऐसी सांप्रदायिक बातें न करो। ये बच्चा सेकुलर हैं। यूं सेकुलर शब्द के मानस बीज आनंद भवन में मौजूद थे लेकिन १९४७ के बाद के तकरीबन तकरीबन तीन दशकों तक भी सेकुलर शब्द का इस्तेमाल भारत की राजनीति में देखने को नहीं मिला। 

इस सेकुलरिज़्म का अंकुरण और तेज़ी से पल्ल्वन इंदिरा काल में हुआ जब इंदिरा  को इल्म हुआ ये तो मंगला ने बड़े काम का नुसखा  बताया। हर धत कर्म हर पाप इस शब्द के नीचे छुपा लो उन्होंने झट सेकुअलर शब्द की चिप्पी ,सेकुलर पैवन्द संविधान की काया पर ही लगा दिया।

तब से इस शब्द का इस्तेमाल राजनीतिक कबीले निरंतर करते आये हैं। इधर इसकी वेधन शक्ति का पता चंद साहित्यकारों को भी चल गया। ये शोक संतप्त चेहरा लिए हाथ में पुरुष्कार की राशि लिए जितने अशोक और टर्नकोर्ट राणा घूम रहे हैं ये सबके सब इस शब्द का अतिरिक्त दोहन कर रहें हैं। बेचारी मंगला को इसका कोई श्रेय नहीं देना चाहता। और तो और साहित्य में उस मंगला का कहीं ज़िक्र तक नहीं है।

आज हमने इस शब्द की व्यत्पत्ति पर प्रकाश डाला है। एक शुरुआत भर की है।

(ज़ारी ) 

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