बुधवार, 21 अक्टूबर 2015

जिसके हों कई याराने ,वो बेवा कहाँ से हो गई

रुखसती होते ही माँ बाप का घर भूल गई ,

भाई के चेहरों को ,बहनों की नज़र भूल गई।

घर को जाती हुई हर राहगुज़र भूल गई ,

मैं वो चिड़िया हूँ जो अपना शजर भूल गई ।

मैं तो भारत में मोहब्बत के लिए आई थी ,

कौन कहता है हुकूमत के लिए आई थी ।

नफरतों ने मेरे चेहरे का उजाला छीना ,

जो मेरे पास था वो  चाहने वाला छीना ।

सर से बच्चों के मेरे बाप का साया छीना ,

मुझसे गिरजा भी लिया ,मुझसे शिवाला छीना।

अब ये तकदीर तो बदली भी नहीं जा सकती ,

मैं वो बेवा हूँ जो इटली भी नहीं जा सकती।

आग नफरत की भला मुझको जलाने से रही ,

छोड़कर सबको मुसीबत में  तो मैं जाने से रही।

ये सियासत मुझे इस घर से भगाने से रही ,

उठके इस मिट्टी  से ,ये मिट्टी भी तो जाने से रही।

सब मेरे बाग़ के बुलबुल की तरह लगते हैं ,

सारे बच्चे मुझे राहुल की तरह लगते हैं।

अपने घर में ये बहुत देर कहां  रहती है,

घर वहीँ होता है औरत जहां होती है।

सन्दर्भ -सामिग्री :http://www.bhaskar.com/news-ht/c-58-2740747-bp0828-NOR.html

सोनिया पर लिखी इस कविता को लेकर मुनव्वर सवालों के घेरे में, BJP नेता ने किया सर्कुलेट


जिसके हों कई याराने ,वो बेवा कहाँ  से हो गई 

चरण चाटना सत्ता के यह वैयक्तिक अधिकार के दायरे में आता है। मुनव्वर राणा को भी यह हक़ हासिल है वह मायनो की चरण पादुका चाटें या किसी और की,उनका व्यक्तिगत मामला है ये  लेकिन उनकी कई प्रस्तावनों से भला भारत में कौन सहमत होगा। वो कहते हैं -भाई के चेहरों को ,बहनों की नज़र भूल गई।

भाई क्वात्रोची का भलमनसाहत भरा चेहरा भला कौन नहीं जानता। मायनो कैसे भूल गईं।

मुझसे गिरजा भी लिया ,मुझसे शिवाला छीना।-भाई मुनव्वर राणा साहब ये वो सख्श है जिसने आते ही हमारे एक शंकराचराय को हवालात में बंद करवाया। बाबा रामदेव को सलवार पहनने के लिए इस मायनो प्रबंध ने ही बाध्य किया था। जिसका हश्र अब ये भुगत रहीं हैं। ये वो शख्शियत है जिसके प्रबंध तले मंदिरों से प्राप्त आय को सरकारी कब्ज़े में लेकर उसका बड़ा हिस्सा चर्चों को भेजा जाना सुनिश्चित किया गया।

मैं तो भारत में मोहब्बत के लिए आई थी ,

इसीलिए मुझे यहां की भाषा सीखने की कोशिश में  छ :से ज्यादा दशक लग गए। ये विदूषी आज भी रोमन में लिखा कागज देखके हिंदी जैसा कुछ पढ़ती हैं। जैसा फल वैसा बीज मंदमति बेटा इनका मोबाइल से टीप के शोक सन्देश लिखता है नेपाली दूतावास में जाकर। बेटी इनकी सिर्फ जैविक रिश्ता जैविक संबंधों से वाकिफ है मोदी जी ने अपनी एक चुनाव सभा में  बेटी कहकर इसका ज़िक्र किया तो अगले दिन इस परमसुन्दरी ने कहा मैं किसी की बेटी वेटी नहीं हूँ मेरे पिता सिर्फ राजीव थे मैं सिर्फ उनकी बेटी हूँ। ये फिरंगी इस देश की तहज़ीभ को जानें भी तो कैसे।

ज़मीन हड़पु इनके एक दामाद की तो हम भला चर्चा भी क्यों करें ?

इस धरती से इन्हें इतना प्यार है इसीलिए इलाज़ के प्रबंधन के लिए ये न्यूयॉर्क के एक नामचीन अस्पताल में जातीं हैं।

तो ज़नाब ये पंक्तियाँ भी बड़ी ग़ैर -वाज़िब लगतीं हैं -मैं वो बेवा हूँ जो इटली भी नहीं जा सकती।

इन्हें आज तलक किसी ने भी राजीव गांधी की बेवा नहीं कहा -मुनव्वर साहब आपकी हिम्मत कैसे हो गई -दाद देनी पड़ेगी आपकी  इस हिम्मत की। वैसे इस शब्द का चलन वर्जित है भारत में अब ।

http://www.firstpost.com/politics/sonia-gandhis-surgery-successful-at-nys-sloan-kettering-cancer-center-54439.html

Congress president Sonia Gandhi underwent a successful surgery at New York's Memorial Sloan-Kettering Cancer Center as per CNN-IBN reports.

ये इतनी बेचारी हैं इन्होनें प्रधानमन्त्री के पद को ही पूडल में बदल दिया। पालतू बना लिया मनमोहन को। रिमोट कंट्रोल बन गईं महारानी बन गईं सत्ता के तमाम केन्द्रों की। 

और इस्कैम्स कितने हुए इनके प्रबंधन और देखरेख में उनकी चर्चा करना इसलिए व्यर्थ है क्योंकि तमाम घोटालों का एक घोटाला है नेशनल हेराल्ड में से निकला महाघोटाला जो अब इनकी और इनके पुत्र के गले की हड्डी बन गया है। आनंदभवन के चाकरों की तरह कई सिब्बल ,सिंघवी गिरोह मामले को लटकाये रखने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाए हैं। अब भला बकरे की अम्मा और बकरा कब तक खैर मनाएंगे एक दिन तो ऊँट आएगा ही पहाड़ के नीचे। 


National Herald case: The end of Sonia Gandhi? The most ...

https://plus.google.com/.../posts/QiMhkpfPVH8

Jun 30, 2014 - The most underplayed story of 2014 has to be the National Herald scam where Congress head honchos Sonia and Rahul Gandhi have been implicated.











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