सोमवार, 5 अक्तूबर 2015

जो मुसलामानों की आक्रामक पहल को छिपाकर जिन्ना बनकर दूसरा पाकिस्तान बनाने का सपना ले रहे हैं।

सपा सरकार में नंबर दो पर पद प्रतिष्ठित मंत्री आज़मख़ाँ यह कह रहा है कि वह दादरी की घटना के ज़रिए युएन में जाकर ये बतायेंगे कि हिन्दुस्तान में मुसलमानों पर जुल्म हो रहे हैं। ये वैसे तो यूएन में जा नहीं सकते थे अब ये सौदा उन्हें सस्ता लगा है किमुलायम सिंह बतलाएं की वह किधर हैं। भारत के साथ हैं या आज़म  खान के साथ।   उन्हें आलमी शोहरत भी मिलेगी वे दूसरे जिन्ना माने जाएंगे और भारत की इस्लामी जगत और दूसरे देशों में  निंदा भी होगी। वे  दरसल केजरीवाल के बाप लगते हैं। नेहरू से यूएन जाने की पुरानी घटना उन्हें शोहरत दिलाने का ज़रिया नज़र आ रही है। वे एक और दाव भी खेल रहे हैं और शरीफ को सन्देश दे रहे हैं ,तुम काश्मीर के मसले को लेकर यूएन में कुछ नहीं करा सके। और मैं यूपी सरकार का नुमाइंदा यूपी की लचर क़ानून व्यवस्था को सीधे सीधे हिन्दुस्तान में मुसलमानों के जुल्म से जोड़ रहा हूँ।

संविधानिक दृष्टि से यह पूछा जा सकता है कि वे जिस प्रदेश के जिम्मेदार मंत्री कहे जाते हैं उस प्रदेश की समस्याओं से तो उनका कोई  सरोकार नहीं है अलबत्ता वह पहले मुसलमान हैं बाद में कुछ और हैं। और यूपी सरकार को वही चला रहे हैं।मुलायम सिंह को कुछ सोचना चाहिए कि उनकी सरकार किन हाथों में है। जो मुसलामानों की आक्रामक पहल को छिपाकर जिन्ना बनकर दूसरा पाकिस्तान बनाने का सपना ले रहे हैं। 

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