रविवार, 3 अप्रैल 2011

सिक्स स्ट्रेंज एडिक्संस .

फ्रॉम टेनिंग बेड्स टू नेज़ल स्प्रे ,रीडिंग ,प्लास्टिक सर्जरी टू ,ब्लेक बेरी (क्रेक बेरी ,स्मार्ट फोन्स )यूसेज एडिक्सन कैन क्रोप अप आलमोस्ट एनीव्हेयर,लाइफ इज डिफरेंट फॉर एन एडिक्ट बट सक्सेसफुल एडिक्संस ट्रीट -मेंट्स आर एवेलेबिल .
(१)टेनो -रेक्सिया :
टेनो रेक्सिया यानी सन वर्शिप ,टेनिंग बेड्स , अल्ट्रा -वाय्लिट बेड्स का चस्का ,चमड़ी को ताम्बई बनाने की लत कईयों को ऐसी पडती है ,पिंड नहीं छोडती .छोड़े भी कैसे ,सूरज की किरणे,परा बैंगनी विकिरण एण्डोर -फिन्स बनातें हैं ,सुखानुभूति होती है इन दिमागी रसायनों के स्राव से .डिपें -देंसी हो जाती है टेनिंग की .टेनिंग छोड़ने पर नाउज़िया (मचली,उनीदापन)घेर लेता है ,चमड़ी पीली होने का वहम हो जाता है ।
(२)रीडिंग :जी हाँ रीडिंग भी तब एडिक्सन बन जाती है ,जब आप न सो पातें हैं न ऑफिस वर्क कर पातें हैं .पढ़ना पढ़ना और पढ़ना बस एकलत .बेशक लिखना -पढ़ना अच्छा समझा जाता है .
(३)नेज़ल स्प्रे :नाहक ही स्टफ्ड नोज़ ,बंद नाक को खोलने के लिए लोग नेज़ल स्प्रे का स्तेमाल शुरू कर देतें हैं .बिना किसी मेडिकल कंडीशन और चिकित्सकीय सलाह मशविरे के .कुछ समय के बाद यह मेडिकेसन नाकारा हो जाता है .डोज़ बढानी पडती है .और बस व्यक्ति एक दुश्चक्र में फंस जाता है . न नेज़ल स्प्रे छोड़ते बनता है न सूंघते ।
(४)कुछ और लोगों को ब्लेक्बेरीज़ (क्रेक्बेरीज़ )स्मार्ट फोन्स का चस्का पड़ जाता है .एक बलवती इच्छा पैदा होजाती है खुद को औरों के द्वारा महत्वपूर्ण और वांछित समझे जाने की ।
(५)पीका :शरीर में लौह तत्वों और कुछ खनिज लवणों की कमी -बेशी से कुछ लोगों को आइस क्यूब्स ,चूसने ,मिटटी ,कबाड़ ,डर्ट गो कुछ भी ओड खाने की आदत पड़ जाती है .
(६)एडिक्शन टू प्लास्टिक सर्जरी :परफेक्शनिस्ट होतें हैं कुछ लोग .अपने लुक्स को लेकर एक मुगालता इन्हें हो जाता है यहाँ से नाक ठीक नहीं है वहां से ठोड़ी .डिस -टोर्तिद बॉडी इमेज पर्सेप्सन .यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है ,अपने नाक -नक्श लुक्स को लेकर ।बॉडी इमेज को लेकर .
"हेडी मोंटेग" ने इसी "बॉडी डिस -मोर्फिक डिस -ऑर्डर से ग्रस्त होने के बाद २३ साल की उम्र में एक दिन में दस प्रोसीजर करवाए प्लास्टिक सर्जरी के ।
एडिक्सन किसी को कभी भी हो सकता है समस्या यह तब बनता है जब आप रोजमर्रा के काम न करपायें,संबंधों पर इसकी छाया पड़ने लगे .जीवन ही बदल जाता है लती व्यक्ति का .लेकिन इन तमाम एडिक्संस का कामयाब इलाज़ उपलब्ध है .खुद से ठीक नहीं होगा यह एडिक्सन .किसी भी चीज़ की डिपें -ड़ेंसी.इलाज़ ही समाधान है .

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