बुधवार, 20 अप्रैल 2011

अल्जाइमर्स : लाइफ स्टाइल एंड होम रेमेडीज .

अल्ज़ाइमर्स :लाइफ स्टाइल एंड होम रेमेडीज -
बेशक ऐसे तमाम अध्ययनों के नतीजे मिलेजुले ही रहें हैं जो जीवन शैली और घरेलू नुश्खों का सम्बन्ध अल्ज़ाइमर्स से जोड़तें हैं ,बचावी सिद्ध हो न हों लेकिन स्वास्थ्यकर जीवन शैली का चयन मन और तन दोनों के आरोग्य के लिए मुफीद ही रहा आया है .इसलिए अपने कुल स्वास्थ्य से जुडी रणनीतियों में इनका समावेश करलेने में कोई हर्ज़ भी नहीं है .कोगनिटिव डिक्लाइन थमे न थमे ।
(१)नियमित व्यायाम :दिलो -दिमाग के लिए अच्छा है नियमित व्यायाम बोध सम्बन्धी क्षय ,अप -विकास ,दिमागी छीजन को भी थामे रख सकता है ।
ए हेल्दी माइंड हाउसिज़ ए हेल्दी बॉडी ।
मिजाज़ को असर ग्रस्त करता है दुरुस्त रखता है नियमित व्यायाम अल्ज़ाइमर्स के मामलों में भी इसकी पुष्टि हुई है .यकीन रखिये सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ है ,होता भी नहीं है ।
(२)कम चिकनाई ,फल तरकारियों की प्रचुरता वाली खुराक :दिल के लिए अच्छी है ,कोगनिटिव हेल्थ ,दिमागी स्वास्थ्य का भी बचाव कर सकती है ।
(३)ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स :दिल के लिए अच्छे हैं .कुछ रिसर्च भी इनके फायदे कोगनिटिव हेल्थ के लिए बतलाती है .(फिश कन्ज़म्प्शन कैन बी यूस्ड एज ए यार्ड स्टिक फॉर फैटी एइड्स ईटन।).
(४)सोशल एंगेजमेंट एंड इन्तेलेक्च्युअल स्तिम्युलेशन:जीवन को संतोषप्रद बनाए रखने के लिए सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहना ,बोध -सम्बन्धी -संशाधनों (बोध सम्बन्धी संस्लेषण को ),जानकारी को अपडेट करते रहना दिमाग के बढ़िया तरीके से काम करने के लिए ज़रूरी भी है इसमें सहायक तो है ही ।
(ज़ारी...).

कोई टिप्पणी नहीं: