बुधवार, 27 अप्रैल 2011

प्रोग्नोसिस (एक्स -पेक -टेसंस)फ्रॉम एपिलेप्सी .

प्रोग्नोसिस फॉर एपिलेप्सी ?एक्स -पेक -टेसंस फॉर एपिलेप्सी ?क्या रहता है रोग मुक्ति के लिए पूर्वानुमान ,भविष्य कथन ?
कुछ लोगों के मामले में सीज़र्स /फिट्स /कन्वाल्संस एंटी -कन्वाल्सन दवा दिए जाने पर कुछ अरसे में ही बिलकुल समाप्त हो जातें हैं बेशक ये लोग दवाएं लेते रहतें हैं लेकिन कई सालों तक दौरे नहीं पड़ते .कुछ किस्म के सीज़र्स में ऐसा होते देखा गया है .सीज़र्स का स्वरूप अलग अलग लोगों में जुदा किस्म का होता है ।
बचपन की एपिलेप्सी कुछ मामलों में उम्र के साथ किशोरावस्था के पार ,युवा होते हुए बीसम बीस के दशक के शुरूआती सालों तक बिलकुल ठीक हो जाती है .
लेकिन कुछ केलिए यह उम्र भर का रोग बन जाती है .इट मे बी ए लाइफ लॉन्ग कंडीशन फॉर सम .आजकल मेडिकल कंडीशन कहने का चलन है .,रोगों को ।इन मामलों में दवा लेते रहना ज़रूरी होता है ।
दिमाग के एक हिस्से की मौत होना या दौरे से इस हिस्से का बिलकुल नष्ट प्राय होना बिरले ही देखा जाता है .लेकिन दीर्घावधि बने रहने वाले सीज़र्स ,दो दो -तीन तीन या और भी ज्यादा दौरों का एक साथ पड़ते रहना (स्टेटस एपिलेप्तिकस)दिमाग को मुकम्मिल तौर पर भी क्षति ग्रस्त कर सकता है ।
"डेथ ऑर ब्रेन डेमेज आर मोस्ट ओफतिन काज़्द बाई प्रो -लोंग्द लेक ऑफ़ ब्रीथिंग (ब्रेअथिंग ),व्हिच कौज़िज़ ब्रेन टिश्यु टू डाई फ्रॉम लेक ऑफ़ ऑक्सीजन .देयर आर सम केसिज ऑफ़ सडन डेथ इन पेशेंट्स विद एपिलेप्सी ।".
गाडी चलाने के दौरान दौरा पड़ने पर गंभीर हादसा हो सकता है ,मशीन पे काम करते वक्त भी चोट लग सकती है यदि काम करने के दौरान ही फिट पड़ जाए .
इसीलिए जब तक गुड दाय्बेतिक कंट्रोल की तरह सीज़र्स भी अच्छी तरह काबू में न आजायें ड्राइविंग से मशीन पे काम करने से बचना चाहिए .
लेकिन जिनको कभी कभार ही दौरा पड़ता है उनके लिए ऐसी कोई पाबंदी नहीं रहती है ।
(ज़ारी ....)

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