शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

पार्किन्संज़ डिजीज :परिभाषा

पार्किन्संज़ रोग एक वक्त के साथ और खराब रुख धरता बद से बदतर होते चले जाने वाला रोग है .यह हमारे नर्वस सिस्टम से ताल्लुक रखने वाला एक विकार है जिसका सम्बन्ध मूवमेंट से है अंग संचालन से है .हिलने डुलने ,गति से है ।
आहिस्ता आहिस्ता ही इसकी शुरुआत होती है नाम मात्र के एक ही हाथ के कम्पन से (अकसर ,वैसे यह कोई नियम भी नहीं है सभी मामलों में ऐसा ही हो शुरुआत ऐसे होई हो ).जहां ट्रेमर इस रोग का खासा जाना पहचाना लक्षण हो सकता है वहीँ यह विकार या तो गति को घटा देता है हमारी या एक दम से जड़ कर देता है .कुर्सी पर बैठा मरीज़ उठने की पहल नहीं कर सकता . गर खडा हो गया तो पहला कदम आगे बढाने मूवमेंट को इनिशिएट करने में खासी दिक्कत महसूस करेगा .कदम घसीट कर छोटे छोटे ही वह आगे बढ़ सकता है धीरे धीरे .अकसर किसी के सहारे की ज़रुरत भी पड़ जायेगी ऐसा करने में भी ।
सबसे पहले मरीज़ के यार दोस्तों परिवार के सदस्यों को यह इल्म होता है कि उसका चेहरा एक मुखौटे की तरह निर -भाव ,सपाट भाव शून्य ,एनिमेटिड फेस सा होने लगा है ,हाथ भी नहीं हिलते डोलते हैं चलते समय ,कोई दोलन ओस्सिलेशन नहीं टू एंड फ्रो मोशन नहीं होता चलते हुए .(राज कपूर साहिब अपना किरदार निभाते हुए कई फिल्मो में ऐसे ही चलते थे सायास लेकिन चेहरे पे गज़बकी मासूमियत तब भी चस्पा रहती थी .

स्पीच मरीज़ की एक दम से सोफ्ट और माम्ब्लिंग हो जाती है जैसे फ़ुस- फुसा भर रहा हो .रोग के बढ़ने के साथ ये लक्षण बदतरीन होते चले जातें हैं .निगलना सटकना भी मुमकिन नही रहता ,न नींद ले पाना मुमकिन रह पाता है न खुद करवट ले पाना .अवसाद घेर लेता है मरीज़ को .कब्ज़ भी ।
कोई इलाज़ बेशक नहीं है फिलवक्त पार्किन्संज़ का लेकिन शुरूआती लक्षणों में तेज़ी से सुधार लाने वाली कई दवाएं हैं -लीवोडोपा के संग साथ कार्बी- डोपा .दवाओं के काम न कर पाने पर आखिरी चरण में सर्जरी भी की जाती है ।
(ज़ारी ..)