गुरुवार, 1 जुलाई 2010

ह्यूमेन एग्स की फ्रीजिंग का बढ़ता चलन ......

आज की महिला जीवन साथी की तलाश किसी हड़बड़ी में नहीं सोच समझ कर करती है ,वह भी जीवन में एक ख़ास मुकाम हासिल करने केबाद .इस दरमियान वह भविष्य के लिए अपने ऊसाइत्स(ह्यूमेन एग्स )को फ्रीज़ करवा कर रख रही है ।
एक बेल्जियन क्लिनिक में जुलाई २००९ और मई २०१० केदौरान पहुँचने वाली महिलाओं ,में ऐसी महिलायें सर्वाधिक थीं जो तीस और चालीस के पाले में आ चुकीं हैं .इनमे कैंसर ग्रस्त ,स्वस्थ और ऐसी महिलायें भी रहीं जिनके समय से पहले रजस्वला (मिनोपोज़ल )होने का अंदेशा रहा है।
लीड्स सेंटर फॉर रिप्रोदाक्तिव मेडिसन की श्रीलता गोरठी (सीनीयर रिसर्च फेलो ) इस चलन की पड़ताल कर रहीं हैं ।
हालाकि साइंस दानों ने आशंका जतलाई है ,एक उम्र के पार (३७ के आसपास ह्यूमेन एग्स दिग्रेड होजातें हैं ,उतने जीवन क्षम नहीं रह जातें हैं )ऊसाइत्स छीजने लगतें हैं तब भी यह ट्रेंड ज़ारी है ।
संबंधों से छिटककर अलग रह गई महिलायें भी अब भविष्य केलिए आशावांन है.हालाकि बायलोजिकल क्लोक को भी झुठलाया नहीं जा सकता .फर्तिलितिका उम्र से भी रिश्ता अकाट्य है .इसीलिए फ्रोज़ींन एग्स कोगोल्ड समझा जा रहा है .भलेही तीस के पाले में आते आते इनकी गुणवत्ता छीज जाए ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-वोमेन फ्रीजिंग एग्स तू वेट फॉर "मिस्टर राईट "(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून ३० ,२०१० )