शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

कार्डियो -पल्मोनरी -रिससिटेशन केवल हाथों से भी असर कारी रहता है

हैंड्स -ओनली सी पी आर एनफ टू सेव ए लाइफ ,माउथ-टू -माउथ नोट नीडिद इन मोस्ट कार्डिएक अरेस्ट केसिज (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जुलाई ३० ,२०१० ,पृष्ठ २३ )
एक नै रिसर्च के मुताबिक़ मौके पे मौजूद (बाई -स्तैंदर्स)लोगों को थोड़ा सा प्रशिक्षण देकर केवल हाथों से थम्पिंद द्वारा अचानक रुक गए दिल को आपातकाल में चालू करना सिखलाकर हज़ारों हजार लोगों की जान बचाई जा सकती है .इसके लिए माउथ -टू -माउथ सांस फूंकना भी ज़रूरी नहीं है ।
कार्डियो -पल्मोनरी -रिससितेसन क्या है ?
इसे कार्डिएक मसाज़ ,कार्डिएक कम्प्रेसन भी कह देतें हैं .रिदमिक कम्प्रेसन ऑफ़ समबोडीज हार्ट इन ऑर्डर टू रेस्टोर ऑर मेनटेन ब्लड सर्क्युलेसन आफ्टर दी पर्सन हेज़ हेड ए हार्ट अटेक इस काल्ड कार्डियो -पल्मोनरी -रिससितेसन ।
इसे अल्प कालीन प्रशिक्षण से सीखा जा सकता है .सीखना चाहिए भारतीय सन्दर्भ में तो और भी ज्यादा प्रासंगिक है ऐसा प्रशिक्षण ,जहां दूरदराज़ क्या महानगर से सटे इलाके भी मूलभूत सुवधाओं से वंचित देखे जा सकतें हैं ।
दो एक दम से ताज़ा अध्धय्यनों से यही सामने आया है "हैंड्स- ओनली" चेस्ट कम्प्रेसन इज एनफ टू सेव ए लाइफ .बेशक सावधानी पूर्वक हाथों से थम्पिंग करना सीखना होगा .अमरीकन हार्ट असोशिएसन इसका पक्ष धर बन दो सालों के लिए प्रशिक्षण देने की बात कर रहा है ।
आपत्कालीन चिकित्सा के अर्थुर केल्लेर्मन्न (रेंड कारपोरेशन के एक माहिर )भी यही विचार व्यक्त करते हुए कहतें हैं इस प्रशिक्षण में देरी कैसी ,द सूनर दी बेटर।
हेल्प लाइन सेसंपर्क में समय जाया करने से बेहतर है मौके पर मौजूद लोगों द्वारा दी गई इमदाद .अध्धय्यन केमुताबिक ऐसा करने से असर ग्रस्त व्यक्तियों के बच जाने की दर १२ फीसद बढ़ी है ।
करना भी तो कुछ ख़ास नहीं है बस छाती पर सभाल के ३० हार्ड पुशिज़ लगाने हैं प्रशिक्षण के मुताबिक़ .ऐसा करने से झट पट कुछ रक्त आपूर्ति,जीवन दाई ऑक्सीजन , जीवन क्षम अंगोंदिल औ दिमाग ,फेफड़ों आदि को मयस्सर हो जाती है .नियमित इमदाद के लिए ज़रूरी वक्त भी मिल जाता है .ना सही माउथ -टू -माउथ सांस फूंकना जो कई लोगों को संकोच में मरीज़ से दूरही छिटकाए रहता है .नतीजे दोनों के यकसां आयें हैं .हैंड्स ओनली सी पी आर इज एनफ .

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