मंगलवार, 20 जुलाई 2010

४फ़ीसद कम है प्रोटोन का रेडियस

इट्स ए स्मालर वर्ल्ड (डोंट टेक दी एटोमिक चेंज इन दी प्रोटोंस रेडियस लाइटली .इट्स इम्प्लीकेशंस कैन बी माइंड बोग्लिंग )-हिन्दुस्तान टाइम्स / एचटीईडीजीई/एचटीएज /जुलाई ०९ ,२०१० ,न्यू -देहली ।
स्विट्ज़रलैंड के पॉल स्चेर्रेर संस्थान के साइंसदानों ने बतलाया है "अब तक ज्ञात मान से प्रोटोन का रेडियस ४फ़ीसद कम है .बेशक यह एक ना- मालूम सा अंतर जान पड़ता है प्रोटोन के माप में ,अर्द्ध व्यास में लेकिन यह नाभिकीय -भौतिकी की बुनियाद हिलाने के लिए काफी बड़ा अंतर है ।
अब तक यह माप "प्रोटोन -इलेक्त्रोंन इंटरेक्शन पर आधारित थी .पहली मर्तबा इस पैमाइश के लिए "प्रोटोन -म्युआंन इंटरेक्शन "आधार बनाया गया है .म्युओंन ज्यादा इंटरेक्शन दर्शाता है प्रोटोन के संग क्योंकि यह इलेक्त्रों के बरक्स आकार प्रकार (ज्यादा आवेश ,चार्ज का धनी है ) में बड़ा है .जाहिर है इससे माप जोख में शुद्धता का प्रतिशत बढा है ।
प्रोटोन और प्रोटोन सरीखे अन्य कण और इनके गुणधर्म ही आधुनिक भौतिकी की बुनियाद रहें हैं .स्टेंडर्ड मोडिल अवपरमानुविक कणों की व्याख्या इन्हीं के आधार पर प्रस्तुत करता रहा है .ब्लेक होल्स अन्तरिक्ष के अन्य एग्ज़ोतिक पिंडों सब -एटोमिक यूनिवर्स ,नीहारीकाओंके बनने विकसने नष्ट होने की व्याख्या यही कण करते रहें हैं ।
शुद्धतम माप जोख में ४ फीसद का अंतर ग्राहीय स्वीकार्य नहीं है .दशमलव के दाई और कई अंकों की शुद्धि तक दर्ज़ होतें हैं अव -पर्मानुविक कणों के माप ।
यदि प्रोटोन का द्रवय्मान (मॉस ,क्वान्तिती ऑफ़ मैटर )कमतर है ,तब सृष्टि का अपना द्रव्य भार (मॉस ऑफ़ दा यूनिवर्स ) भी असर ग्रस्त हुए बिना नहीं रहेगा .वर्तमान अनुमानों के अनुसार सृष्टि (ओब्ज़र्वेबिल यूनिवर्स )का मॉस (द्रव्य -मान )टेन तू ५३ किलोग्रेम वेट है .सृष्टि में कुल १० तू दी पावर ८२ प्रोटोंस ,इतने ही इलेक्त्रोंस तथा १० तू दी पावर ७९ न्युत्रिनोज़ हैं .सृष्टि विकाश्मान है ,निरंतर इसका विस्तार हो रहा है उस प्रेक्षक के बरक्स जो सेंटर ऑफ़ एक्सपेंशन पर ,विस्तार के केंद्र पर खड़ा है .सूरज लाखों मीट्रि टनईंधन हाइड्रोजन के रूप में अपनी एटमी भट्टी में हर पल ,पलांश में फूंक रहा है .इस सब में हमें संशोधन करना पड़ेगा .यदि सृष्टि में मॉस कमतर है तब स्रष्टि का फैलाव - विस्तार-एक्सपेंशन और भी तेज़ हो जाएगा ।
बेशक इस सब संशोधन का इलेक्त्रोनी गेजेट्स के काम करने पर कोई असर नहीं पड़ेगा .लेकिन विज्ञान गल्प और फिक्शन फिल्मों को नै परवाज़ मिलेगी .बेशक अभी और पैमाइश आज़माइश की गुंजाइश है .

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