सोमवार, 22 अप्रैल 2013

Spot that hole ,doc

Congenital heart defect (CHD),accounting for 1 in 10 newborn deaths ,may often go undiagnosed until it's too late

BIRTHS PANGS

1 in  100 babies born with CHD

1.7 lakh new cases a year in India ; 60%  need medical intervention

Warning signals :Bluish skin tinge ,poor weight gain ,recurring lung infections


ॐ शांति

जिस दिन २ ९ वर्षीय  स्वेता कुमार ने उस नवजात को जन्म दिया वह बेहद चिंताकुल थी .नौवें महीने में ही  fetal echo test के बाद उसे पता चला ,गर्भस्थ के दिल का एक वाल्व लीक कर रहा था .रिसाव हो रहा था उससे .नतीज़न नन्ने दिल का आकार बढ़ते फैलते हुए नन्ने फेफड़ों पे दवाब डाल रहा था .

प्रसव के फ़ौरन बाद शिशु को Ventilator (सांस लेने में सहायक मशीन )से जोड़ दिया गया .चार महीनों तक उसकी यही नियति रही .

शिरा द्वारा उसे तरल दिया जाता रहा तथा सोलहवें दिन ही उसकी जीवन  रक्षा के लिए आवश्यक सर्जरी की गई .स्वेता को इसीलिए  मध्य प्रदेश के सतना  जिले से प्रसव के लिए दिल्ली आना पड़ा था .आज यह कन्या सवा साला हो गई है लेकिन जब भी उसकी सक्रियता बढ़ जाती है माँ स्वेता चिंता से भर जातीं हैं .

यही मुसीबत है इस जन्मना दिल के विकार की बीमारी के साथ .बच्चा सांस के लिए जूझता हुआ ऑक्सीजन की कमी से नीला पड़  जाता है .और शिरा से प्राप्त तरल के भरोसे ही उसे रहना पड़ता है .

१ ० ० जीवित पैदा होने वाले नवजातों में से एक जन्मजात दिल के विकारों दोषों की  बीमारी (CHD )की गिरिफ्त में मिलता है .हर साल १ .७ लाख नए बाल -मरीज़ भारत  में यह जन्मना समस्या लिए आजाते हैं .नवजात शिशुओं में १ ० % की मौत की वजह भारत में  जन्म जात हृदय रोग बनता है .

कुछ मामलों में गर्भस्थ  में ही इस बीमारी का रोगनिदान कर लिया जाता है .अन्य में जन्म के बाद तथा कभी कभार बालिग़ होने पर ही इस रोग का इल्म हो पाता है .

दोषपूर्ण जीवन इकाइयां इस स्थिति के लिए मुख्य कुसूरवार समझी जाती हैं .कुछ बीमारियों में दी जाने वाली दवाएं तथा शराब का सेवन भी इसकी वजह बनता  है .

जन्मना दोष होने पर जोखिम तीन गुना बढ़ा हुआ रहता है .

सांस का उथला और हाँफते हुए आना ,दिल की धड़ कन का बढ़ना ,व्यायाम के लिए सीमित ही दमखम का रहना बालिगों में इसके प्रमुख लक्षणों के रूप में प्रगटित होते हैं .

बालकों के मामले में उनकी चमड़ी इस स्थिति में नीली पड़ सकती है (सांस के लिए संघर्ष करने के दौरान ),ऐसे बालकों का तौल कम ही बढ़ पाता है .फेफड़े का संक्रमण लौट लौट के बारहा बच्चे को घेरे रहता है .इन दोषों के निवारण के लिए विशेष किस्म की महारत चाहिए जो बिरले ही देखने को मिलती है .

नवजात हृदय   शल्य (Neonatal heart surgery )बड़ा पेचीला काम है .शल्यक (शल्य कर्म के माहिर )का सामना अति नाज़ुक शिशुओं  ,बड़ी नाज़ुक स्थितियों से होता है .नन्नी रक्त वाहिकाओं में आये विकारों की दुरुस्ती के लिए अतिरिक्त हुनर की ज़रुरत रहती है .बा -मुश्किल ही यह हिन्दुस्तान  में मयस्सर है .यही कहना है डॉ वी के पॉल का .आप अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नै दिल्ली के बालरोग विभाग के मुखिया हैं .बकौल आपके दिल्ली के अलावा संभवतया पूरे उत्तर भारत में नवजात शल्य के ले देके दो ही माहिर हैं .

चूक विकिरणविज्ञान के माहिरों  (रेडिओलाजिस्ट )से भी होती है फीटल इको रिकार्ड करने में उस दौरान जब वह दिल का विस्तारित स्केन  ले रहे होते हैं .यही वजह है अल्ट्रासाउंड लेते वक्त हृदय के विकारों की शिनाख्त नहीं हो पाती है .जबकि गर्भावस्था के १ ८ वें सप्ताह में इस विकार की शिनाख्त हो ही जानी चाहिए .लेकिन बहुत कम मामलों में ही यह संभव हो पाता है यही कहना है डॉ स्मिता मिश्रा का आप बालकों के हृदय रोगों की माहिरा हैं .

एक मामले में तो विकिरणविज्ञानी (रेडिओलाजिस्ट )ने तीन माह में १ २ स्केन उतारे लेकिन तब भी उसे मौजूद विकार का भान नहीं हुआ यही कहना है डॉ विकास कोहली का .आप दिल्ली के अपोलो अस्पताल में बालकों के हृदय  रोगों के माहिर हैं .

अगर इन विकारों की भनक गर्भावस्था के २ ० सप्ताह से पहले ही लग जाए तो माँ बाप को  गर्भस्थ को अबो्र्ट कराने का विकल्प मिल जाता है .यह हर्ष का विषय है पता लगने पर भी माँ बाप नवजात का स्वागत करते हैं जन्म के बाद उसकी सर्जरी कराते हैं .

लेकिन स्वेता कुमार के मामले में चूक डॉ से ही हुई उन्होंने स्वेता को फीटल इको के महत्व से वाकिफ ही नहीं करवाया था .नौवें महीने में जब यह परिक्षण हुआ ,वह  कुछ भी करने की स्थिति में नहीं थी .उसका इस स्थिति में आवेश में आना वाजिब ही कहा जाएगा .

चार कमरों वाले दिल के किसी भी कक्ष में विकार आ सकते हैं ,वाल्व भी विकार ग्रस्त हो सकते हैं गर्भस्थ की रक्त वाहिकाएं भी इनमें से कुछ को दवाओं से दुरुस्त कर लिया जाता है लेकिन कुछ का इलाज़ बड़ा दुस्साध्य साबित होता है .

Hypoplastic  left heart syndrome ऐसा ही अति दुस्साध्य जन्मना हृदय  विकार है।इस विकार में दिल का बायाँ निलय (लेफ्ट वेंट्रिकल ,हृदय में  नीचे के दो छिद्रों में से एक छिद्र )पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता  है .
Babies with ventricular septal defect and patent ductus arteriosus should be treated within three -four months ,says Dr Kohli or they become inoperative .Dr Mishra says some abnormalities in unborn babies ,such as a heartbeat of over 2 0 0 (normal is 1 4 0 -1 6 0 ),can be treated with medicines .But direct intervention into the womb is not an option yet .

संदर्भ -सामिग्री :-Spot the hole ,doc/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,APRIL 2 1 ,20 13 ,P 15






7 टिप्‍पणियां:

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

दिल एवम दिल के वाल्व से जुडी सुन्दर
जानकारी १.नकाब २. ज़हर .....३.प्रेम .....
टिप्पणीयों की प्रतीक्षा में हैं
.

राहुल ने कहा…

बेहद ही शानदार जानकारी ....
-------------
शर्माजी, दिल के मामले में आप की संजीदगी मुझे दिख रही है ...

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

आप तो डराने पे लगे हुए हैं शर्मा जी। इस तरह की आपकी जानकारी बहुत बढ़िया है। परन्‍तु प्रश्‍न वही पुराने हैं। अतिसय फैलती जनसंख्‍या, वो भी आयातित और अनुत्‍पाक बहुत ज्‍यादा। ऐसे में सही लोगों को भी समानता के सिद्धांत के नाते गिन-चुने सरकारी अस्‍पतालों में ऐसे लोगों के साथ पंक्तिबद्ध होना पड़ता है। प्रश्‍न है कि जब सत्‍ता प्रतिष्‍ठान, वैज्ञानिकों, अनुसन्‍धानकर्ताओं को रोग-सम्‍बन्‍धी इतनी चिंताएं हैं तो सर्वप्रथम तो उन्‍हें इन रोगों के महंगे इलाज झेलने के लिए केवल सक्षम जनसंख्‍या के ही भारत या संसार में कहीं भी बने रहने के प्रयास करने चाहिए। ये क्‍या कि बसंत विहार, गांधी नगर जैसे पिशाचों की जनसंख्‍या बढ़ाई जा रही है। जनसंख्‍या नीति सर्वप्रथम होनी चाहिए भारत में। तब ही जाकर कोई बात बनेगी। अच्‍छे-अच्‍छे साहित्‍यकार एक दवाई के लिए तरसते हुए मर गए। सज्‍जन लोगों के जीवित रहने और मृत होने तक उनके हाल-चाल का पुछैता कोई नहीं था। न सरकार और न जनता। और टुच्‍चे गांधी नगर के पिशाच को चार्टर्ड विमान से दिल्‍ली लाया जा रहा है। स्‍पेशल सेल में रखा जा रहा है। बसंत विहार के पिशाचों को वकील मुहैया कराकर सरकार क्‍या साबित करना चाहती है। अब तो ये भी सुनने में आ रहा है कि वे शारीरिक रुप से कमजोर हैं तो उन्‍हें जूसादि भी दिया जा रहा है। ये क्‍या है। आप इसे मेरे मन की भड़ास न समझें। यह विचित्र सच्‍चाई है इस कालजगत की। भारतीय भूखण्‍ड के मनुष्‍यगति की। दुर्भाग्‍य से पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश जैसे टुच्‍चे अपने पड़ोसी हैं। उनके कारण इस धरती की गति और भी दयनीय, विकृत, मानवीय अवधारण के विपरीत हो चली है।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सही और तथ्यपरक आलेख, शुभकामनाएं.

रामराम.

shalini rastogi ने कहा…

आपके लेख ने आँखे खोलने वाली जानकारी उपलब्ध करवाई है ...धन्यवाद डॉ. साहब!

Arvind Mishra ने कहा…

जन्म के समय के ह्रदय छिद्र की यह जानकारी उपयोगी है

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

साधारण जीवन को कितना कठिन कर देती है यह बीमारी..