गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

शक्कर और शक्कर में भी किस्म का फर्क है

शक्कर और शक्कर में भी किस्म का फर्क है

ग्लूकोज़ ,फ्रक्टोज और डेक्सट्रोज़ monosaccharides हैं सिम्पिल शुगर्स हैं .सिंपल शुगर्स के परस्पर संयोजन से disaccharides बनते हैं .sucrose (सक्रोज़ )इसका उदाहरण है .पेयों को मीठा बनाने के लिए पहले इसी का इस्तेमाल किया जाता था .यह अपेक्षाकृत सुरक्षित था .लेकिन महंगा था .

रोजमर्रा के इस्तेमाल में प्रयुक्त होने वाली टेबिल शुगर में ग्लूकोज़ और फ्रक्टोज़ दोनों रहतें हैं .हमारा शरीर कोशिकाओं का एक महल है कोशिका दर कोशिका शरीर की हरेक कोशिका को ऊर्जा ग्लूकोज़ ही मुहैया करवाता है .

लेकिन फ्रक्टोज़ एक 'पोइजन 'हैं इसका अपचयन प्रभाव ethanol और alcohol के मेटाबोलिक इफेक्ट्स (अपचयन प्रभाव )जैसा ही होता है .इसका अपचयन (metabolism )पूरी तरह यकृत (liver )के ही आश्रित रहता है .फ्रक्टोज को हमारा शरीर पूरी तरह ज़ज्ब (अवशोषित )भी नहीं करता है .यह VLDL CHOLETEROL और TRIGLYCERIDES के धमनियों की दीवार पर जमा रह सकता है जबकि ग्लूकोज़ को हमारा शरीर खर्च कर लेता है .

बेशक फ्रक्तोज़ अपने आप में जहां भी है वहां यह खलनायक नहीं है दिक्कत तब होती है जब हम इसके इस्तेमाल की अति कर देते हैं .तभी यह अपचयन तबाही (METABOLIC DIASASTER )की वजह बनता है .ज्यादा सेवन से यह भूख के केन्द्रों को स्विच आफ कर देता है .इसके बाद बस खाए जाओ खाए जाओ दावत में रसगुल्ला ,गुलाब जामुन ,वासुन्दी उड़ाए जाओ ,उड़ाए जाओ .ऐसे में हमारे शरीर  में  यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है .

Fructose causes a non -alcoholic fatty liver ,and leads to weight gain and abdominal obesity .

बाद इसके मोटापे से ग्रस्त होकर बस  तौंद निकाले घूमो .

यही सब विस्तार से बतलाया है डॉ लुस्तिङ्ग ने अपनी किताब In Sugar:The Bitter Truth

शोध पत्रों से यह भी इल्म हुआ है जब से मिठास के लिए खाद्य निगमों ने सक्रोज  के स्थान पर फ्रक्टोज का इस्तेमाल शुरू किया है चीनी की खपत दिनानुदिन बढती गई है .फ्रक्तोज़ सस्ता पड़ता है .

 हीरानंदानी अस्पताल मुंबई की स्रावी विज्ञान (endocrinology )की  माहिरा डॉ  पद्मावती  मेनन  कहती हैं- होता फलों में भी है फ्रक्तोज़ लेकिन मामूली सा लेकिन फलों से  तैयार तैयार पेय ,मीठे
दुग्ध उत्पाद ,विभिन्न जायकों वाली  मीठी दही , मिश्ठी दही   इससे  लदी  रहती है .कुदरत को  हमसे ज्यादा इल्म है .इसीलिए फलों में फ्रक्तोज़ का बस अल्पांश  है बहुतायत  नहीं . यह हमारे लिए भी कुदरत का सन्देश है  -फ्रक्तोज़ से बचो भैया माया है यह जो शरीर और मन दोनों को रोगग्रस्त बना देगा  .


क्या चीनी एक लतिकारक पदार्थ है ?

IS IT ADDICTIVE ?

Princeton के एक मनोविज्ञानी (अब स्वर्गीय )Bart Hoebel ने अपने शोध कार्य से पहले पहल  यह प्रमाणित किया था की चीनी की भी लत पड़ जाती है यह एक लतिकारक पदार्थ है .आपकी रिसर्च टोली ने चूहों के दिमागी रसायन शाश्त्र पर चीनी के असर का अध्ययन किया था ,पता चला इसका दिमाग पर असर लतिकारक पदार्थों यथा हेरोइन (मार्फीन से उत्पन्न एक शक्तिशाली गैर -कानूनी नशीला पदार्थ )कोकेन ,मार्फीन और निकोटीन जैसा ही पड़ता है .

मनुष्यों में चीनी का सेवन  हमारे दिमाग में  एक जैव -रसायन Dopamine के स्राव को एड़ लगा देता है .यह जैव रसायन दिमाग के जिस हिस्से में बनता है वह किसी चीज़ की लत पड़ने के लिए जिम्मेवार समझा जाता है .लम्बी मैराथन दौड़ के धावक दौड़ के फ़ौरन बाद एक विशेष सुखानुभूति इसी जैवरसायन के स्राव की वजह से करते हैं .नशीली दवा के सेवन के बाद भी दिमाग को ऐसी ही अनुभूति (drug like high )होती है .समय के साथ दिमाग को उतनी ही आनन्दाभूति के लिए पहले से ज्यादा उतरोत्तर ज्यादा शुगर की ज़रुरत पड़ती जाती है .

RUSH OF SIMPLE CARBS

जब आप एक केक का टुकडा गप करते हैं ,तेज़ी से खाते हैं इसमें मौजूद सिम्पिल कार्बोहाइड्रेट जल्दी ही रक्त प्रवाह में शामिल होकर ग्लूकोज़ में तबदील  हो जाते हैं .सिम्पिल कार्बोहाइड्रेट (खासकर सिरप ,कोला पेय ,अमरीका में इसे तथा अन्य तमाम मीठे पेयों को ही सोडा कहते हैं ,मिठाई तथा टेबिल शुगर सिम्पिल कार्बोहाइड्रेट ही हैं )सीधे सीधे खाने पर देखते ही देखते हमारे खून में तैरती शक्कर(ब्लड शुगर ) का स्तर बढ़ जाता है . ब्लड शुगर लेविल्स के बढ़ने के साथ ही इन्सुलिन का स्तर भी बढ़ जाता है जो इस अतिरिक्त शक्कर को ठिकाने लगाने के बाद भी खुद उच्च स्तर पर बना रहता है .नतीजा होता है ब्लड शुगर के स्तर का आगे और भी गिर जाना .अब आप को फिर तलब होती है वैसी ही जो केक का टुकड़ा खाने के पहले हुई था .आप और केक खाते हैं ,खून में पहले शक्कर फिर इन्सुलिन का स्तर फिर बढ़ता है .फ़ालतू शक्करफिर ठिकाने लग जाती है .इन्सुलिनका स्तर उच्च ही बना रहता है .फिर ब्लड शुगर में डिप फिर तलब और बस आप एक दुश्चक्र में फंस जाते हैं .इस तरह आप का मूढ़ 'हाई' और 'लो' होता रहता है .बस यही तो है क्रेविंग ललक ,लत .


(ज़ारी )

अगले चिठ्ठे -अंक में पढ़िए -Fructose linked to big killers  

6 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

उपयोगी जानकारी देता यह आलेख ....
आभार

पुरुषोत्तम पाण्डेय ने कहा…

वास्तव में ये डी गयी जानकारी उत्कृष्ट है.बहुउपयोगी भी है. साधुवाद शर्मा जी.

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

अच्छी जानकारी !!
नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !!

Arvind Mishra ने कहा…

शक्कर की लत पर एक जानकारीपरक आलेख

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

अच्छी जानकारी है सभी के लिए

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…


ग्लूकोज और फ्रुक्टोज की माया अब समझ में आया
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