साइंसदानों ने पहली मर्तबा भ्रूण कलम कोशिकाओं (स्टेम सेल्स ,embryonic stem cells)को तंत्रिका या
स्नायु
कोशिकाओं
(nerve cells ,स्नायु कोशिका जो मष्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों के बीच सूचना का वहन करतीं हैं .)में
तबदील करके दिखाया है .बतला दें आपको स्टेम सेल्स को मास्टर सेल्स भी कहा जाता है क्योंकि एक
ख़ास सॉफ्ट वेयर देकर इनसे शरीर का कोई भी अंग तैयार किया जा सकता है जिसे वक्त ज़रुरत पड़ने पर
व्यक्ति autologous implant के बतौर काम में ले सकता है .क्योंकि यह उसकी अपनी ही कलम कोशिकाओं
से रचा गया है और इम्यून सिस्टम इसे स्वीकार कर लेता है बिना हिचक के .
ओवम और स्पर्म के कामयाब मिलन और फलस्वरूप निषेचन (successful fertilization )के पहले दस
पन्द्रह दिन तक का भ्रूण एम्ब्रियोनिक कहलाता है एम्ब्रियो कह देते हैं इसको .इसी की कोशिकाओं को
कलम कोशिका कहा जाता है यह सभी अविभेदित रहतीं हैं .अन -डिफ़रैनशियेटिड रहतीं हैं ,यकसां होतीं हैं
.विभेदन के बाद आगे जाके सब अपना निर्धारित काम करती हैं शरीर के भिन्न भिन्न अंग बनाने का .
साइंसदानों के इस कदम ने चूहों को अपनी खोई हुई याददाश्त और नया
सीखने की क्षमता प्रदान की है
इसका मतलब यह हुआ ,मानवीय कलम कोशाओं का भी मष्तिष्क में
कामयाब प्रत्यारोपण करके neurological deficits से पार पाई जा सकती है
.स्नायुविक अपविकास से पैदा विकारों को दुरुस्त किया जा सकता है ?
अमरीका के विश्कोंसिन विश्वविद्यालय के शोध दल ने यह कर दिखाया
है .
चूहों के दिमाग में रोपे जाने के बाद कलम कोशाओं ने दो आम, कोमन लेकिन प्रमुखतम किस्म के न्युरोन
तैयार कर लिए .(दिमाग की एकल कोशिका को ही न्युरोन कहा जाता है ).पैदा हुए न्युरोन का प्रमुख प्रकार्य
रसायन GABA या ACETYLECHOLINE से संपर्क साधना था .
ये दोनों किस्म के न्यूरोन हमारे अनेक मानवीय व्यवहारों के लिए
जिम्मेवार समझे जाते हैं .इनमें हमारे संवेग (रागात्मक व्यवहार ),सीखने
की प्रक्रिया ,हमारी याददाश्त ,किसी चीज़ की लत पड़ जाना ,आदी हो जाना
किसी चीज़ का तथा अनेक मनोरोग सम्बन्धी मुद्दे शामिल हैं .
अध्ययन में प्रयुक्त मानवीय भ्रूण कलम कोशाओं को प्रयोगशाला में ही
संवर्धित (कल्चर )किया गया था .इस एवज ऐसे रसायन काम में लिए गए
जिनके बारे में ज्ञात था की वह स्नायु कोशिका गढ़ने विकसित करने में
मददगार सिद्ध होते हैं .
चूहों को इनके प्रत्यारोप लगाये गए .परीक्षणों से पता चला इनके सीखने
सीखे गए पाठ को याद रखने की क्षमता बढ़ गई है .
अध्ययन के प्रारम्भ में अदबदाकर चूहों के दिमाग के एक हिस्से को क्षति
ग्रस्त किया गया .यह दिमाग का वही हिस्सा था जो सीखने याद रखने से
ताल्लुक रखता है .
विकासशील दिमागी कोशाएं(न्यूरोन ) अपने संकेत उन ऊतकों से ही
जुटातीं हैं जहां (जिनके अन्दर )यह पनप रही होतीं हैं .
साइंसदानों ने अपने प्रयोग के लिए दिमाग के जिस हिस्से को चुना था
उसने इन कोशाओं को रसायन GABA और CHOLINERGIC
NEURONS बनाने के निर्देश ही दिए थे .
प्रयोग के शुरू में चूहों के दिमाग के जिस हिस्से को क्षति पहुंचाई गई थी
उसे कहा जाता है -MEDIAL SEPTUM .दिमाग का यह हिस्सा रसायन
GABA और CHOLINERGIC NEURONS के जरिए HIPPOCAMPUS
से सम्पर्कित होता है .
साइंसदानों के मुताबिक़ दिमाग का यह परिपथ बुनियादी सर्किट है जिसका
सम्बन्ध हमारे सीखने याद रखने से रहता है .
यद्यपि प्रत्यारोपित स्नायुविक कोशाएं याददाश्त के प्रमुख केंद्र
हिप्पोकम्पस में ही प्रत्यारोपित की गई थीं .
AFTER THE TRANSFERRED CELLS WERE IMPLANTED ,IN RESPONSE TO CHEMICAL DIRECTIONS FROM THE BRAIN ,THEY STARTED TO SPECIALIZE AND CONNECT TO THE APPROPRIATE CELLS IN THE HIPPOCAMPUS.
यानी प्रत्यारोपित किये जाने के बाद दिमाग से रासायनिक निर्देश लेने के फलस्वरूप ये कोशाएं प्रतिक्रया करने लगीं .विशेषीकृत होकर ये दिमाग के हिप्पोकेम्प्स के वांछित हिस्से से सम्पर्कित हो गईं .
सन्दर्भ -सामिग्री :-Implanting stem cells into brain can restore memory/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,APRIL 2 3 ,201 3 P 17
खोई हुई याददाश्त वापस ला सकता है कलम कोशिका प्रत्यारोप
स्नायु
कोशिकाओं
(nerve cells ,स्नायु कोशिका जो मष्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों के बीच सूचना का वहन करतीं हैं .)में
तबदील करके दिखाया है .बतला दें आपको स्टेम सेल्स को मास्टर सेल्स भी कहा जाता है क्योंकि एक
ख़ास सॉफ्ट वेयर देकर इनसे शरीर का कोई भी अंग तैयार किया जा सकता है जिसे वक्त ज़रुरत पड़ने पर
व्यक्ति autologous implant के बतौर काम में ले सकता है .क्योंकि यह उसकी अपनी ही कलम कोशिकाओं
से रचा गया है और इम्यून सिस्टम इसे स्वीकार कर लेता है बिना हिचक के .
ओवम और स्पर्म के कामयाब मिलन और फलस्वरूप निषेचन (successful fertilization )के पहले दस
पन्द्रह दिन तक का भ्रूण एम्ब्रियोनिक कहलाता है एम्ब्रियो कह देते हैं इसको .इसी की कोशिकाओं को
कलम कोशिका कहा जाता है यह सभी अविभेदित रहतीं हैं .अन -डिफ़रैनशियेटिड रहतीं हैं ,यकसां होतीं हैं
.विभेदन के बाद आगे जाके सब अपना निर्धारित काम करती हैं शरीर के भिन्न भिन्न अंग बनाने का .
साइंसदानों के इस कदम ने चूहों को अपनी खोई हुई याददाश्त और नया
सीखने की क्षमता प्रदान की है
इसका मतलब यह हुआ ,मानवीय कलम कोशाओं का भी मष्तिष्क में
कामयाब प्रत्यारोपण करके neurological deficits से पार पाई जा सकती है
.स्नायुविक अपविकास से पैदा विकारों को दुरुस्त किया जा सकता है ?
अमरीका के विश्कोंसिन विश्वविद्यालय के शोध दल ने यह कर दिखाया
है .
चूहों के दिमाग में रोपे जाने के बाद कलम कोशाओं ने दो आम, कोमन लेकिन प्रमुखतम किस्म के न्युरोन
तैयार कर लिए .(दिमाग की एकल कोशिका को ही न्युरोन कहा जाता है ).पैदा हुए न्युरोन का प्रमुख प्रकार्य
रसायन GABA या ACETYLECHOLINE से संपर्क साधना था .
ये दोनों किस्म के न्यूरोन हमारे अनेक मानवीय व्यवहारों के लिए
जिम्मेवार समझे जाते हैं .इनमें हमारे संवेग (रागात्मक व्यवहार ),सीखने
की प्रक्रिया ,हमारी याददाश्त ,किसी चीज़ की लत पड़ जाना ,आदी हो जाना
किसी चीज़ का तथा अनेक मनोरोग सम्बन्धी मुद्दे शामिल हैं .
अध्ययन में प्रयुक्त मानवीय भ्रूण कलम कोशाओं को प्रयोगशाला में ही
संवर्धित (कल्चर )किया गया था .इस एवज ऐसे रसायन काम में लिए गए
जिनके बारे में ज्ञात था की वह स्नायु कोशिका गढ़ने विकसित करने में
मददगार सिद्ध होते हैं .
चूहों को इनके प्रत्यारोप लगाये गए .परीक्षणों से पता चला इनके सीखने
सीखे गए पाठ को याद रखने की क्षमता बढ़ गई है .
अध्ययन के प्रारम्भ में अदबदाकर चूहों के दिमाग के एक हिस्से को क्षति
ग्रस्त किया गया .यह दिमाग का वही हिस्सा था जो सीखने याद रखने से
ताल्लुक रखता है .
विकासशील दिमागी कोशाएं(न्यूरोन ) अपने संकेत उन ऊतकों से ही
जुटातीं हैं जहां (जिनके अन्दर )यह पनप रही होतीं हैं .
साइंसदानों ने अपने प्रयोग के लिए दिमाग के जिस हिस्से को चुना था
उसने इन कोशाओं को रसायन GABA और CHOLINERGIC
NEURONS बनाने के निर्देश ही दिए थे .
प्रयोग के शुरू में चूहों के दिमाग के जिस हिस्से को क्षति पहुंचाई गई थी
उसे कहा जाता है -MEDIAL SEPTUM .दिमाग का यह हिस्सा रसायन
GABA और CHOLINERGIC NEURONS के जरिए HIPPOCAMPUS
से सम्पर्कित होता है .
साइंसदानों के मुताबिक़ दिमाग का यह परिपथ बुनियादी सर्किट है जिसका
सम्बन्ध हमारे सीखने याद रखने से रहता है .
यद्यपि प्रत्यारोपित स्नायुविक कोशाएं याददाश्त के प्रमुख केंद्र
हिप्पोकम्पस में ही प्रत्यारोपित की गई थीं .
AFTER THE TRANSFERRED CELLS WERE IMPLANTED ,IN RESPONSE TO CHEMICAL DIRECTIONS FROM THE BRAIN ,THEY STARTED TO SPECIALIZE AND CONNECT TO THE APPROPRIATE CELLS IN THE HIPPOCAMPUS.
यानी प्रत्यारोपित किये जाने के बाद दिमाग से रासायनिक निर्देश लेने के फलस्वरूप ये कोशाएं प्रतिक्रया करने लगीं .विशेषीकृत होकर ये दिमाग के हिप्पोकेम्प्स के वांछित हिस्से से सम्पर्कित हो गईं .
सन्दर्भ -सामिग्री :-Implanting stem cells into brain can restore memory/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,APRIL 2 3 ,201 3 P 17
खोई हुई याददाश्त वापस ला सकता है कलम कोशिका प्रत्यारोप
11 टिप्पणियां:
स्टेम सैल में संभावनाएं तो अपरंपार दिखती है पर इस पर किया जा रहा काम आम आदमी पहुंच में कब होगा यह अभी तय नहीं हो पा रहा है
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (26-04-2013) के चर्चा मंच 1226 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
विज्ञान और विकास की बहुत ही रोचक दिशा है यह..
स्टेम सेल की दुनिया में हर कदम चमत्कारी सा लगता है ....
यह चमत्कारी खोज है !
सर जी,बेहतरीन जानकारी ,ऊमीद की
रौशनी अपने मुल्क में कब तलक पहुचने
की उम्मीद है ?जैवप्रौदोगिकी ने जीवन
को आयाम दे दिया है ,सादर
बहुत सुन्दर जानकारी |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत सुन्दर जानकारी |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
उपयोगी जानकारी, आभार।
............
एक विनम्र निवेदन: प्लीज़ वोट करें, सपोर्ट करें!
बहुत ही चमत्कारी खोज है, मानव की जिंदगी संवारने की ओर विज्ञान का एक ओर बढता कदम.
रामराम.
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
साझा करने के लिए धन्यवाद!
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