विश्वस्वास्थ्य संगठन का विश्वस्वास्थ्य दिवस के लिए इस बरस का
थीम 'हाइपरटेंशन 'है .
एक सर्वे यहाँ प्रस्तुत है इस मौके पर मुंबई महानगरी का जहां हरेक चार में से एक मुंबईकर उच्चरक्त चाप से ग्रस्त है .दीर्घावधि में यह कंडीशन दिल दिमाग और हमारे गुर्दों के लिए ठीक नहीं है .दिल हार्ट अटेक की चपेट में आ सकता है दिमाग ब्रेन अटेक की .किडनी ज़वाब दे सकतीं हैं .
क्या कहतें हैं इस बारे में इस स्वप्न नगरी के स्रावीविज्ञान (endocrinologist ) के माहिर शशांक जोशी साहब :भारतीय थाली में नमक आपके अनजाने ही ज़रुरत से ज्यादा जगह बनाए हुए है .अचार ,चटनी ,पापड के रूप में .दो मिनिट में तुरत फुरत तैयार हो जाने वाले गर्मागर्म हो जाने वाले संशाधित खाद्य की मार्फ़त .
भारतीयों की धमनियां काकेशियन लोगों के बरक्स महीन हैं दीर्घावधि में बने रहने वाले रक्त चाप का दवाब बर्दाश्त नहीं कर पाती .हम लोग रोजाना ६ -८ ग्राम नमक चट कर जाते हैं .जबकि भारतीय केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की उच्चरक्त चाप निर्देशिका मात्र २. ४ ग्राम नमक खाने की सिफारिश करती है .यही वजह है :
उच्चरक्त चाप बढ़ी हुई बे -चैनी ,हाई -एङ्गजायटी की वजह बना हुआ है .
एक साईट (स्क्रीनिंग इंडीआज ट्विन एपिडेमिक्स ,SITE ) द्वारा २ ० १ १ में १ ६ ,० ० ० मरीजों पर एक अध्ययन संपन्न हुआ था .ये लोग स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं लिए क्लिनिक (औषधालय )में पहुच रहे थे .पता चला -
महाराष्ट्र राज्य में कुल ५ ६ % लोग उच्चरक्त चाप से ग्रस्त हैं जबकि पूरे भारत के लिए यह ४ ६ % की है .
महाराष्ट्र में ७ ९ % लोगों का रक्त चाप बे -काबू रहा आया है .शेष भारत की भी यही स्थिति है (७ ९ %लोगों का ब्लड प्रेशर अ -नियंत्रित रहता है ).
मधुमेह और उच्चरक्त चाप दोनों से ही २ ९ %महारष्ट्र वासी ग्रस्त हैं जबकि शेष भारत के लिए यह स्थिति २ १ % की ही है .
ऐसा समझा जाता है भारत के २ ० - २ % लोग कभी न कभी किसी मोड़ पे उच्च रक्त चाप का सामना करते ही हैं .
२ ५ % महाराष्ट्र वासियों को इस बात का इल्म ही नहीं है की वह हाइपरटेंशन की गिरिफ्त में बने हुए हैं जबकि शेष भारत में २ २ % की यही स्थति है .
बचाव
माहिरों के अनुसार इस स्थिति से बचा सकता है -
(१)नियमित व्यायाम करके
(२) खाना पकाने में इस्तेमाल किये जा रहे खाने के नमक इस्तेमाल में कटौती करके
(३)फलों और तरकारियों ,अन्य ऐसे खाद्यों को खुराक में स्थान देकर जिनमें सोडियम की मात्रा कमतर रहती
है
(४)संशाधित खाद्यों का रसोई में प्रवेश वर्जित करना
(५ )ऊपर से नमक का छिड़काव खाद्य सामिग्री यथा सलाद ,मसाला पापड़ आदि पे न करना
(६ )रेस्तरा में खाने का चयन करते वक्त इस बात का ख़याल रखना किस चीज़ में नमक कम है किस्में ज्यादा
( ७ ) परम्परागत थाली ही फास्ट फ़ूड संशाधित खाद्य से भली है इसमें भी अचार ,चटनी ,पापड आदि कभी
कभार ही खाएं हमेशा नहीं .
(८ )चटोरापन पानी पूरी ,आलू टिक्की ,समोसा ,खस्ता कचौड़ी ,पाँव भाजी से बचे .नमकीन मख्खन से भी .खाना ही है तो लोनी (पानी युक्त दूध दही से घर में निकला सफ़ेद मख्खन ही इस्तेमाल में लें ,पोलसन बटर ,बेकरी से परहेज़ रखें .
Pickles ,take -outs raise risks of hypertension
पलक झपकते ही तैयार हो जाने वाला तुरता भोजन एवं फास्ट फ़ूड ईटरीज द्वारा आपके घर दुआरे चलके आने वाला जंक फ़ूड फ्री होम डिलीवरी के ज़रिये बेहद व्यस्त दिन के बाद आपको ऑर्डर करना बेहद आसान उपाय लगता है .लेकिन यही कबाड़िया भोजन ज़रुरत से ज्यादा नमक सना होता है .मुंबई जैसे महानगर के लिए यही बासा भोजन जहां हरेक चार में से एक व्यक्ति हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप )की गिरिफ्त में है एक अभिशाप बनता जा रहा है .एक एपिडेमीक का रुख इख्तियार कर चुका है हाइपरटेंशन इसीलिए शहरी क्षेत्रों खासकर इस स्वप्न नगरी के लिए यह बेहद ज़रूरी है मुंबईकर चुपके से उनके अनजाने ही खुराक का हिस्सा बनते इस नमक से न सिर्फ सावधान रहें खुराक में इसकी मात्रा भी प्रयत्नपूर्वक कम करें .
समझा जाता है २ १ %भारतीय हाइपरटेंशन की गिरिफ्त में हैं जबकि २ ५ % मुंबईकर इससे ग्रस्त हैं .
हाइपरटेंशन का मतलब है खून की नालियों ब्लड वेसिल्स में खून का ज्यादा दवाब के साथ प्रवाहित होते रहना .संचरण के दौरान रक्त जो ब्लड वेसिल्स की दीवारों पर दवाब डालता है वही रक्तचाप है ब्लड प्रेशर है .यही बढ़ा हुआ दाब दीर्घावधि में अंगों को कमज़ोर कर देता है ,दिल के दौरों और किडनी फेलियोर (किडनी का पूरी क्षमता से काम न कर पाना )की वजह बनता है ब्रेन अटेक (स्ट्रोक )की भी .
हमारे शरीर का प्रमुख तत्व है सोडियम .हाइपरटेंशन की चाबी इसी के पास है .इस बरस के विश्वस्वास्थ्य दिवस (सात अप्रैल )का प्रतिपाद्य (विषय वस्तु ,विमर्श के लिए उठाया गया मुद्दा )हाइपरटेंशन को बनाया गया है .
भारतीय थाली में नमक गुप्त रूप भी चला आरहा है अचार पापड़ बहुरूपा सुस्वादु चटनी की मार्फ़त .पाव भाजी हो या पाव बड़ा या फिर भेलपूरी में प्रयुक्त चटनियाँ ,हम अपने खाने पीने में ही न सिर्फ इफरात से नमक का इस्तेमाल करते हैं ऊपर से भी सलाद आदि पे छिड़कते हैं और उसी ने हमें इस मुकाम इस
खतरनाक मोड़ पे ला खड़ा किया है .
स्रावीविज्ञान (endocrinology )के माहिर डॉ शशांक जोशी ने २ ० ० ९ -१ ० के दरमियान औषधालय (clinic )आने वाले १ ६ ,० ० ० मरीजों का अध्ययन करने के बाद बतलाया था -मुबई में ५ ६ % लोग हाइपरटेंशन की गिरिफ्त में जबकि शेष भारत के लिए यह प्रतिशत ४ ६ फीसद है .
भारतीय रोजाना ६ - ८ ग्राम नमक खाने पीने में ले रहे हैं स्वास्थ्य मंत्रालय की उच्चरक्त निर्देशिका केवल एक दिन में २ .४ ग्राम नमक इस्तेमाल करने की अनुशंषा करती है .
भारतीयों के मामले में उनकी विशिष्ठ देह यष्टि शरीर की बुनावट धमनियों का महीन होना काकेशियन नस्ल के बरक्स भी उच्च रक्तचाप की वजह बन रहा है .केवल अतिरिक्त नमक का सेवन ही ब्लड प्रेशर की वजह नहीं बन रहा है .भारतीयों की साल्ट सेन्सटीविटी काकेशियन से अलग है .इसीलिए भारतीयों की धमनियों की नमक से दो चार होने की क्षमता भी कमतर है यही कहना है जोशी का जो लीलावती अस्पताल बांद्रा में स्रावीविज्ञान विभाग में कार्यरत हैं .
चेन्नई में भी २ ० ० ७ में संपन्न एक अध्ययन से पता चला था खुराक में १. ५ से २ .० ग्राम नमक ज्यादा लेने का मतलब उच्च और निम्न रक्तचाप में १ अंक (1 mm of Hg )की वृद्धि हो जाती है .
"The risk of cardiovascular disease rises with blood -pressure through out the normotensive (normal )blood -pressure range and almost 6 0 % of coronary heart disease events and 4 5 to 50 % of strokes occur in those with high normal blood pressure ,"said the study conducted by Dr V Mohan of Chennai .
चेन्नई में संपन्न अध्ययन से यह भी पता चला -खुराक में केवल १ .२ ग्राम नमक कम करने से ही उच्चरक्त चाप के प्रबंधन के लिए दवा लेने वाले मरीजों की तादाद घटके आधी रह गई .
कमतर नमक का सेवन स्ट्रोक से होने वाली मृत्यु दर में २ २ % की कमी लाता है तथा परिहृदय धमनी रोग बोले तो कोरोनरी आरटरी डिजीज से होने वाली मृत्यु दर में भी १ ६ % कमी लाता है .
परम्परा गत भारतीय थाली ही भली
Dr Jagmeet Madan ,principal of the SNDT College of Nutrition ,said ,"If you stick to the traditional Indian diet ,you will never go high on salt ."
The problem creeps in when additions creep in to the Indian thali ."Adding chutneys pickles and papads sends the salt balance haywire ,"she said .So processed foods should be kept as "sometimes foods "instead of everyday foods.
सन्दर्भ -सामिग्री :-
HIGH SALT :HIGH ANXIETY /HYPERTENSION :THE PRESSURE PROBLEM /SUNDAY TIMES OF INDIA ,MUMBAI APRIL 7 ,2013 P-4
(समाप्त )
थीम 'हाइपरटेंशन 'है .
एक सर्वे यहाँ प्रस्तुत है इस मौके पर मुंबई महानगरी का जहां हरेक चार में से एक मुंबईकर उच्चरक्त चाप से ग्रस्त है .दीर्घावधि में यह कंडीशन दिल दिमाग और हमारे गुर्दों के लिए ठीक नहीं है .दिल हार्ट अटेक की चपेट में आ सकता है दिमाग ब्रेन अटेक की .किडनी ज़वाब दे सकतीं हैं .
क्या कहतें हैं इस बारे में इस स्वप्न नगरी के स्रावीविज्ञान (endocrinologist ) के माहिर शशांक जोशी साहब :भारतीय थाली में नमक आपके अनजाने ही ज़रुरत से ज्यादा जगह बनाए हुए है .अचार ,चटनी ,पापड के रूप में .दो मिनिट में तुरत फुरत तैयार हो जाने वाले गर्मागर्म हो जाने वाले संशाधित खाद्य की मार्फ़त .
भारतीयों की धमनियां काकेशियन लोगों के बरक्स महीन हैं दीर्घावधि में बने रहने वाले रक्त चाप का दवाब बर्दाश्त नहीं कर पाती .हम लोग रोजाना ६ -८ ग्राम नमक चट कर जाते हैं .जबकि भारतीय केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की उच्चरक्त चाप निर्देशिका मात्र २. ४ ग्राम नमक खाने की सिफारिश करती है .यही वजह है :
उच्चरक्त चाप बढ़ी हुई बे -चैनी ,हाई -एङ्गजायटी की वजह बना हुआ है .
एक साईट (स्क्रीनिंग इंडीआज ट्विन एपिडेमिक्स ,SITE ) द्वारा २ ० १ १ में १ ६ ,० ० ० मरीजों पर एक अध्ययन संपन्न हुआ था .ये लोग स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं लिए क्लिनिक (औषधालय )में पहुच रहे थे .पता चला -
महाराष्ट्र राज्य में कुल ५ ६ % लोग उच्चरक्त चाप से ग्रस्त हैं जबकि पूरे भारत के लिए यह ४ ६ % की है .
महाराष्ट्र में ७ ९ % लोगों का रक्त चाप बे -काबू रहा आया है .शेष भारत की भी यही स्थिति है (७ ९ %लोगों का ब्लड प्रेशर अ -नियंत्रित रहता है ).
मधुमेह और उच्चरक्त चाप दोनों से ही २ ९ %महारष्ट्र वासी ग्रस्त हैं जबकि शेष भारत के लिए यह स्थिति २ १ % की ही है .
ऐसा समझा जाता है भारत के २ ० - २ % लोग कभी न कभी किसी मोड़ पे उच्च रक्त चाप का सामना करते ही हैं .
२ ५ % महाराष्ट्र वासियों को इस बात का इल्म ही नहीं है की वह हाइपरटेंशन की गिरिफ्त में बने हुए हैं जबकि शेष भारत में २ २ % की यही स्थति है .
बचाव
माहिरों के अनुसार इस स्थिति से बचा सकता है -
(१)नियमित व्यायाम करके
(२) खाना पकाने में इस्तेमाल किये जा रहे खाने के नमक इस्तेमाल में कटौती करके
(३)फलों और तरकारियों ,अन्य ऐसे खाद्यों को खुराक में स्थान देकर जिनमें सोडियम की मात्रा कमतर रहती
है
(४)संशाधित खाद्यों का रसोई में प्रवेश वर्जित करना
(५ )ऊपर से नमक का छिड़काव खाद्य सामिग्री यथा सलाद ,मसाला पापड़ आदि पे न करना
(६ )रेस्तरा में खाने का चयन करते वक्त इस बात का ख़याल रखना किस चीज़ में नमक कम है किस्में ज्यादा
( ७ ) परम्परागत थाली ही फास्ट फ़ूड संशाधित खाद्य से भली है इसमें भी अचार ,चटनी ,पापड आदि कभी
कभार ही खाएं हमेशा नहीं .
(८ )चटोरापन पानी पूरी ,आलू टिक्की ,समोसा ,खस्ता कचौड़ी ,पाँव भाजी से बचे .नमकीन मख्खन से भी .खाना ही है तो लोनी (पानी युक्त दूध दही से घर में निकला सफ़ेद मख्खन ही इस्तेमाल में लें ,पोलसन बटर ,बेकरी से परहेज़ रखें .
Pickles ,take -outs raise risks of hypertension
पलक झपकते ही तैयार हो जाने वाला तुरता भोजन एवं फास्ट फ़ूड ईटरीज द्वारा आपके घर दुआरे चलके आने वाला जंक फ़ूड फ्री होम डिलीवरी के ज़रिये बेहद व्यस्त दिन के बाद आपको ऑर्डर करना बेहद आसान उपाय लगता है .लेकिन यही कबाड़िया भोजन ज़रुरत से ज्यादा नमक सना होता है .मुंबई जैसे महानगर के लिए यही बासा भोजन जहां हरेक चार में से एक व्यक्ति हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप )की गिरिफ्त में है एक अभिशाप बनता जा रहा है .एक एपिडेमीक का रुख इख्तियार कर चुका है हाइपरटेंशन इसीलिए शहरी क्षेत्रों खासकर इस स्वप्न नगरी के लिए यह बेहद ज़रूरी है मुंबईकर चुपके से उनके अनजाने ही खुराक का हिस्सा बनते इस नमक से न सिर्फ सावधान रहें खुराक में इसकी मात्रा भी प्रयत्नपूर्वक कम करें .
समझा जाता है २ १ %भारतीय हाइपरटेंशन की गिरिफ्त में हैं जबकि २ ५ % मुंबईकर इससे ग्रस्त हैं .
हाइपरटेंशन का मतलब है खून की नालियों ब्लड वेसिल्स में खून का ज्यादा दवाब के साथ प्रवाहित होते रहना .संचरण के दौरान रक्त जो ब्लड वेसिल्स की दीवारों पर दवाब डालता है वही रक्तचाप है ब्लड प्रेशर है .यही बढ़ा हुआ दाब दीर्घावधि में अंगों को कमज़ोर कर देता है ,दिल के दौरों और किडनी फेलियोर (किडनी का पूरी क्षमता से काम न कर पाना )की वजह बनता है ब्रेन अटेक (स्ट्रोक )की भी .
हमारे शरीर का प्रमुख तत्व है सोडियम .हाइपरटेंशन की चाबी इसी के पास है .इस बरस के विश्वस्वास्थ्य दिवस (सात अप्रैल )का प्रतिपाद्य (विषय वस्तु ,विमर्श के लिए उठाया गया मुद्दा )हाइपरटेंशन को बनाया गया है .
भारतीय थाली में नमक गुप्त रूप भी चला आरहा है अचार पापड़ बहुरूपा सुस्वादु चटनी की मार्फ़त .पाव भाजी हो या पाव बड़ा या फिर भेलपूरी में प्रयुक्त चटनियाँ ,हम अपने खाने पीने में ही न सिर्फ इफरात से नमक का इस्तेमाल करते हैं ऊपर से भी सलाद आदि पे छिड़कते हैं और उसी ने हमें इस मुकाम इस
खतरनाक मोड़ पे ला खड़ा किया है .
स्रावीविज्ञान (endocrinology )के माहिर डॉ शशांक जोशी ने २ ० ० ९ -१ ० के दरमियान औषधालय (clinic )आने वाले १ ६ ,० ० ० मरीजों का अध्ययन करने के बाद बतलाया था -मुबई में ५ ६ % लोग हाइपरटेंशन की गिरिफ्त में जबकि शेष भारत के लिए यह प्रतिशत ४ ६ फीसद है .
भारतीय रोजाना ६ - ८ ग्राम नमक खाने पीने में ले रहे हैं स्वास्थ्य मंत्रालय की उच्चरक्त निर्देशिका केवल एक दिन में २ .४ ग्राम नमक इस्तेमाल करने की अनुशंषा करती है .
भारतीयों के मामले में उनकी विशिष्ठ देह यष्टि शरीर की बुनावट धमनियों का महीन होना काकेशियन नस्ल के बरक्स भी उच्च रक्तचाप की वजह बन रहा है .केवल अतिरिक्त नमक का सेवन ही ब्लड प्रेशर की वजह नहीं बन रहा है .भारतीयों की साल्ट सेन्सटीविटी काकेशियन से अलग है .इसीलिए भारतीयों की धमनियों की नमक से दो चार होने की क्षमता भी कमतर है यही कहना है जोशी का जो लीलावती अस्पताल बांद्रा में स्रावीविज्ञान विभाग में कार्यरत हैं .
चेन्नई में भी २ ० ० ७ में संपन्न एक अध्ययन से पता चला था खुराक में १. ५ से २ .० ग्राम नमक ज्यादा लेने का मतलब उच्च और निम्न रक्तचाप में १ अंक (1 mm of Hg )की वृद्धि हो जाती है .
"The risk of cardiovascular disease rises with blood -pressure through out the normotensive (normal )blood -pressure range and almost 6 0 % of coronary heart disease events and 4 5 to 50 % of strokes occur in those with high normal blood pressure ,"said the study conducted by Dr V Mohan of Chennai .
चेन्नई में संपन्न अध्ययन से यह भी पता चला -खुराक में केवल १ .२ ग्राम नमक कम करने से ही उच्चरक्त चाप के प्रबंधन के लिए दवा लेने वाले मरीजों की तादाद घटके आधी रह गई .
कमतर नमक का सेवन स्ट्रोक से होने वाली मृत्यु दर में २ २ % की कमी लाता है तथा परिहृदय धमनी रोग बोले तो कोरोनरी आरटरी डिजीज से होने वाली मृत्यु दर में भी १ ६ % कमी लाता है .
परम्परा गत भारतीय थाली ही भली
Dr Jagmeet Madan ,principal of the SNDT College of Nutrition ,said ,"If you stick to the traditional Indian diet ,you will never go high on salt ."
The problem creeps in when additions creep in to the Indian thali ."Adding chutneys pickles and papads sends the salt balance haywire ,"she said .So processed foods should be kept as "sometimes foods "instead of everyday foods.
सन्दर्भ -सामिग्री :-
HIGH SALT :HIGH ANXIETY /HYPERTENSION :THE PRESSURE PROBLEM /SUNDAY TIMES OF INDIA ,MUMBAI APRIL 7 ,2013 P-4
(समाप्त )
10 टिप्पणियां:
इसकी भान तो मुझे भी है कि सलाद आदि पर ऊपर से नमक डाल के खाना घातक है। खाने में कम से कम नमक कम हो ज्यादा पक तो जाता है। पर कच्चा नमक तो बिना कठोर शारीरिक व्यायाम किए ग्रहण करना अस्वास्थ्यकर है। उपयोगी जानकारी।
Bahut upyogi jankari mili .abhar
Ramram
सर जी ,स्तिथितियाँ बेहद गंभीर
होती जा रही हैं ,खान पान जीवन शैली
महत्वकांक्षये ,अनियंत्रित भागमभाग ,
उपयोगी जानकारी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति-
७ किलोग्राम कम किया है वजन एक मास में-
आभार भाई जी ||
जानकारी तो आपने बेहतरीन दी है ...पर लोगों की जुबां पर कई तरह का नमक अलग-अलग नामों से चिपका हुआ है ....
बधाई सर ....
bahut hi upyogi jankari ......umra ke anusar in baton pr jyaada dhiyan dene ki jarurat hai .....vastvikta to yahi hai ki hm namak ka istemaal jiyada hi karte hain .....
दिन पर दिन हाइपरटेंसन के मामले बढते जा रहें हैं,चटपटा खाने की जो लत लग गयी है.बेहतरीन उपयोगी जानकारी.
bahut achhi jankari Free Help Tips
Thanks for sharing this kind of information My Sharing Ideas
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