टीकाकरण सप्ताह के लिए विशेष जानकारी
टीकाकरण अभियान :भारत की स्थिति
क्या भारत का टीकाकरण अभियान पूर्णतया कामयाब कहा जा सकता है ?हम पोलियो अभियान की कामयाबी पर इतरा सकते हैं ?
हकीकत कुछ और है
भारत के ३ ९ % बच्चे निर्धारित अवधि के अनुसार DPT ,BCG और MEASLES के तमाम टीके भी अनेक वजहों से नहीं लगवा पाते हैं .
DPT बोले तो -
D से डिफ़ -थिरिया :गले का गंभीर रोग जिसमें सांस लेने में कठिनाई होती है (Diphtheria),सूजन आ जाती है . इस गले के रोग को रोहिणी भी कहा जाता है ,यह गले का एक संक्रामक (एक छूत की बीमारी है )रोग है .
P से PERTUSIS बोले तो कुकुर खांसी (कुकास ).
T से TETANUS बोले तो धनुषबा (धनुस्तंभ ),धनुष -टंकार -एक गंभीर रोग जिसमें मांस पेशियाँ विशेषकर चेहरे की ,गर्दन की ,निचले जबड़े की अकड़ जाती हैं .चोट या घाव के द्वारा (ओपन वुंड) के द्वारा यह ख़ास बेक्टीरिया (जीवाणु )के शरीर में प्रवेश करने से होता है .
विश्वस्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर के आधे से भी ज्यादा नौनिहाल जिन्हें आधे अधूरे टीके ही लग पाते हैं भारत (३ २ %),नाइजीरिया (१ ४ % )एवं इंडोनेशिया में हैं .
भारत में केरल ,तमिलनाडु और कर्नाटक का प्रदर्शन बेहतर रहा है जबकि राजस्थान ,मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश फिसड्डी रह गए हैं .
बिहार अकेला अपवाद है जहां २ ० ० ५ के १ ८ . ५ % के बरक्स २ ० १ २ में कुल टीकाकरण अभियान को ६ ६ . ८ %कामयाबी मिली है .
ज़ाहिर है जहां स्थानीय समुदाय टीकाकरण के महत्व को समझते हैं वहां स्थितियां अच्छी है पोलियो प्रोग्राम के संपन्न होने पर भी ये जनसमुदाय टीकाकरण के प्रति सचेत रहे हैं .
यहाँ माँ की एहम भूमिका आ जाती है हालाकि घर के बुजुर्गों को भी इस ज़िम्मेदारी से विमुख होके बैठने की इजाज़त नहीं दी जा सकती .
'Annals of Tropical Medicine and Public Health '(उष्णकटिबंधी दवा -दारु और जनस्वास्थ्य के वार्षिक विवरण )के अनुसार २ ० १ २ में संपन्न एक अध्ययन से पता चला है ,यहाँ भी माँ की भूमिका ही एहम कही जायेगी .अध्ययन शहरी स्वास्थ्य केंद्र सोलापुर ,महाराष्ट्र द्वारा पुणे के भारती विद्यापीठ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा संपन्न किया गया है .
पता चला दिहाड़ी मारे जाने के अलावा माँ का शैक्षिक स्तर टीकाकरण के प्रति उसकी खबरदारी उसकी आर्थिक सामिजिक स्थिति ही कमोबेश पांच साल से नीचे की आयुवर्ग के बच्चों में इस आधे अधूरे टीकाकरण या बिलकुल भी टीकाकरण न हो पाने के लिए उत्तरदाई रही है .
चुनौती महज़ अज्ञानता नहीं है .टीकाकरण के मामले में भारत का राष्ट्रीय औसत बुरुंडी और पाकिस्तान या फिर श्री लंका से भी पिछाड़ी रहा है जबकि इन दोनों मुल्कों में प्रतिव्यक्ति आय भारत से भी कम रही है .
लिंग भेद ,परिवार में पहले लड़का पैदा हुआ या लड़की ,रिहाइश ,मजहब ,जाति ,पूर्वप्रसव देखभाल ,जीवन यापन का स्तर कुल मिलाकर टीकाकरण के मामले में बच्चे की नियति तय करता है .जाति और मजहब और पिछड़ों में भी अति पिछड़ों में वर्गीकृत (खंडित )भारतीय समाज की स्थिति इस बाबत दयनीय ही कही जायेगी .जय हो सेकलर भारत .
एक अलख जगाने की ज़रुरत है .सरकारी नीतियों ,दाताओं द्वारा प्राप्त अनुदान ,लाभार्थी व्यावसायिक हित सभी स्तर पर अथक प्रयास अपेक्षित हैं . सबसे बढ़कर राजनीतिक इच्छा है .जहां सरकारें अब नान -गवर्नेंस के लिए कुख्यात हो चली हैं .
ॐ शान्ति .
सन्दर्भ -सामिग्री :-3 9 % of our kids miss their routine shots /IMMUNISATION WEEK /SUNDAY TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,APRIL 21 ,2013 P15
HIGH URIC ACID ? TRY MeDIET
भूमध्य सागर का या उसके निकटवर्ती देशों की परम्परागत खुराक (मेडीटरेनियन डाईट )लेते रहने से Hyperuricemia के खतरे का वजन कम हो जाता है .जब सीरम यूरिक एसिड सांद्रण का स्तर (Serum uric acid concentration )पुरुषों में ७ मिलीग्राम प्रति डेसी लीटर से तथा महिलाओं में ६ मिलीग्राम /डेसीलिटर (mg/dl)से ऊपर चला आता है तब इस मेडिकल कंडीशन को ही हाइपरयुरिसेमिया कहा जाता है .
हाइपरयुरीसिमिया का सम्बन्ध Metabolic syndrome ,दीर्घावधि बने रहने वाले गुर्दों के रोग (Chronic kidney disease),उच्चरक्त चाप (Hypertension ),जीवन शैली रोग टाईप टू डायबिटीज़ (T2D),गठिया (Gout ),दिल और रक्त वाहिकाओं आदि के रोगों से जोड़ा जाता रहा है .
Metabolic syndrome is a name for a group of risk factors that occur together and increase the risk for coronary artery disease ,stroke and type 2 diabetes .
मेडीटरेनियन खुराक में फलों ,तरकारियों ,बीजवाली फलियाँ जैसे मटर और सैम ,जैतून का तेल (आलिव आइल ),मेवे ,मोटे अनाज ,थोड़ी सी अंगूरी वाइन ,दुग्ध उत्पाद तथा पोल्ट्री (बतख ,मुर्गियों आदि का मांस ),अल्प मात्रा कभी कभार ही रेड मीट की ,मीठे पेय ,क्रीम और पेस्ट्री (सभी अल्पांश में )जगह बनाए रहते हैं .
एंटीओक्सिडेंट से भरपूर यह खुराक एंटीइन्फ्लेमेटरी भी समझी जाती है (इन्फ्लेमेशन रोग से पहले की स्थिति को कहा जाता है ).समझा जाता है यह खुराक सीरम यूरिक एसिड के सांद्रण को कम करती है .
एक पांच साला अभिनव अध्ययन में ५ ५ -८ ० साला बालिगों का के खानपान और सेहत की जांच सीरम यूरिक एसिड के मापन के बाद यह निष्कर्ष निकाले गए हैं .
टीकाकरण अभियान :भारत की स्थिति
क्या भारत का टीकाकरण अभियान पूर्णतया कामयाब कहा जा सकता है ?हम पोलियो अभियान की कामयाबी पर इतरा सकते हैं ?
हकीकत कुछ और है
भारत के ३ ९ % बच्चे निर्धारित अवधि के अनुसार DPT ,BCG और MEASLES के तमाम टीके भी अनेक वजहों से नहीं लगवा पाते हैं .
DPT बोले तो -
D से डिफ़ -थिरिया :गले का गंभीर रोग जिसमें सांस लेने में कठिनाई होती है (Diphtheria),सूजन आ जाती है . इस गले के रोग को रोहिणी भी कहा जाता है ,यह गले का एक संक्रामक (एक छूत की बीमारी है )रोग है .
P से PERTUSIS बोले तो कुकुर खांसी (कुकास ).
T से TETANUS बोले तो धनुषबा (धनुस्तंभ ),धनुष -टंकार -एक गंभीर रोग जिसमें मांस पेशियाँ विशेषकर चेहरे की ,गर्दन की ,निचले जबड़े की अकड़ जाती हैं .चोट या घाव के द्वारा (ओपन वुंड) के द्वारा यह ख़ास बेक्टीरिया (जीवाणु )के शरीर में प्रवेश करने से होता है .
विश्वस्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर के आधे से भी ज्यादा नौनिहाल जिन्हें आधे अधूरे टीके ही लग पाते हैं भारत (३ २ %),नाइजीरिया (१ ४ % )एवं इंडोनेशिया में हैं .
भारत में केरल ,तमिलनाडु और कर्नाटक का प्रदर्शन बेहतर रहा है जबकि राजस्थान ,मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश फिसड्डी रह गए हैं .
बिहार अकेला अपवाद है जहां २ ० ० ५ के १ ८ . ५ % के बरक्स २ ० १ २ में कुल टीकाकरण अभियान को ६ ६ . ८ %कामयाबी मिली है .
ज़ाहिर है जहां स्थानीय समुदाय टीकाकरण के महत्व को समझते हैं वहां स्थितियां अच्छी है पोलियो प्रोग्राम के संपन्न होने पर भी ये जनसमुदाय टीकाकरण के प्रति सचेत रहे हैं .
यहाँ माँ की एहम भूमिका आ जाती है हालाकि घर के बुजुर्गों को भी इस ज़िम्मेदारी से विमुख होके बैठने की इजाज़त नहीं दी जा सकती .
'Annals of Tropical Medicine and Public Health '(उष्णकटिबंधी दवा -दारु और जनस्वास्थ्य के वार्षिक विवरण )के अनुसार २ ० १ २ में संपन्न एक अध्ययन से पता चला है ,यहाँ भी माँ की भूमिका ही एहम कही जायेगी .अध्ययन शहरी स्वास्थ्य केंद्र सोलापुर ,महाराष्ट्र द्वारा पुणे के भारती विद्यापीठ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा संपन्न किया गया है .
पता चला दिहाड़ी मारे जाने के अलावा माँ का शैक्षिक स्तर टीकाकरण के प्रति उसकी खबरदारी उसकी आर्थिक सामिजिक स्थिति ही कमोबेश पांच साल से नीचे की आयुवर्ग के बच्चों में इस आधे अधूरे टीकाकरण या बिलकुल भी टीकाकरण न हो पाने के लिए उत्तरदाई रही है .
चुनौती महज़ अज्ञानता नहीं है .टीकाकरण के मामले में भारत का राष्ट्रीय औसत बुरुंडी और पाकिस्तान या फिर श्री लंका से भी पिछाड़ी रहा है जबकि इन दोनों मुल्कों में प्रतिव्यक्ति आय भारत से भी कम रही है .
लिंग भेद ,परिवार में पहले लड़का पैदा हुआ या लड़की ,रिहाइश ,मजहब ,जाति ,पूर्वप्रसव देखभाल ,जीवन यापन का स्तर कुल मिलाकर टीकाकरण के मामले में बच्चे की नियति तय करता है .जाति और मजहब और पिछड़ों में भी अति पिछड़ों में वर्गीकृत (खंडित )भारतीय समाज की स्थिति इस बाबत दयनीय ही कही जायेगी .जय हो सेकलर भारत .
एक अलख जगाने की ज़रुरत है .सरकारी नीतियों ,दाताओं द्वारा प्राप्त अनुदान ,लाभार्थी व्यावसायिक हित सभी स्तर पर अथक प्रयास अपेक्षित हैं . सबसे बढ़कर राजनीतिक इच्छा है .जहां सरकारें अब नान -गवर्नेंस के लिए कुख्यात हो चली हैं .
ॐ शान्ति .
सन्दर्भ -सामिग्री :-3 9 % of our kids miss their routine shots /IMMUNISATION WEEK /SUNDAY TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,APRIL 21 ,2013 P15
HIGH URIC ACID ? TRY MeDIET
भूमध्य सागर का या उसके निकटवर्ती देशों की परम्परागत खुराक (मेडीटरेनियन डाईट )लेते रहने से Hyperuricemia के खतरे का वजन कम हो जाता है .जब सीरम यूरिक एसिड सांद्रण का स्तर (Serum uric acid concentration )पुरुषों में ७ मिलीग्राम प्रति डेसी लीटर से तथा महिलाओं में ६ मिलीग्राम /डेसीलिटर (mg/dl)से ऊपर चला आता है तब इस मेडिकल कंडीशन को ही हाइपरयुरिसेमिया कहा जाता है .
हाइपरयुरीसिमिया का सम्बन्ध Metabolic syndrome ,दीर्घावधि बने रहने वाले गुर्दों के रोग (Chronic kidney disease),उच्चरक्त चाप (Hypertension ),जीवन शैली रोग टाईप टू डायबिटीज़ (T2D),गठिया (Gout ),दिल और रक्त वाहिकाओं आदि के रोगों से जोड़ा जाता रहा है .
Metabolic syndrome is a name for a group of risk factors that occur together and increase the risk for coronary artery disease ,stroke and type 2 diabetes .
मेडीटरेनियन खुराक में फलों ,तरकारियों ,बीजवाली फलियाँ जैसे मटर और सैम ,जैतून का तेल (आलिव आइल ),मेवे ,मोटे अनाज ,थोड़ी सी अंगूरी वाइन ,दुग्ध उत्पाद तथा पोल्ट्री (बतख ,मुर्गियों आदि का मांस ),अल्प मात्रा कभी कभार ही रेड मीट की ,मीठे पेय ,क्रीम और पेस्ट्री (सभी अल्पांश में )जगह बनाए रहते हैं .
एंटीओक्सिडेंट से भरपूर यह खुराक एंटीइन्फ्लेमेटरी भी समझी जाती है (इन्फ्लेमेशन रोग से पहले की स्थिति को कहा जाता है ).समझा जाता है यह खुराक सीरम यूरिक एसिड के सांद्रण को कम करती है .
एक पांच साला अभिनव अध्ययन में ५ ५ -८ ० साला बालिगों का के खानपान और सेहत की जांच सीरम यूरिक एसिड के मापन के बाद यह निष्कर्ष निकाले गए हैं .
7 टिप्पणियां:
टीकाकरण की जागरुकता कमी ने निश्चित रुप से चिंता बढ़ाई है। बहुत बढ़िया। प्रत्युत्तरों हेतु धन्यवाद।
टीकाकरण के प्रति जानकारी के लिए आभार बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
जागरूक करती पोस्ट ....
आपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [22.4.2013]के एक गुज़ारिश चर्चामंच1222 पर
लिंक क़ी गई है,अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है |
सूचनार्थ..
खसरे का एक नया अभियान शुरू हुआ है!
jagrookta ko badhaati rachna ,....
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