माँ बाप का बच्चों के प्रति ठंडा रवैया ,उदासीनता ,लापरवाही कितने ही नौनिहालों को उनके अनजाने ही उन्हें एक ऐसे भविष्य की ओर धकेल रही है जहां उन्हें शेष जीवन में कमज़ोर बीनाई का सामना करते रहना पड़ सकता है .
३ ,५ ८ १ नौनिहालों पर संपन्न एक अधययन ने रेखानिकित किया है ,स्वप्न नगरी मुंबई के ६ ४ % नौनिहालों की बीनाई(Vision ) कमज़ोर है .इनको नजर के चश्मे लग गए हैं लेकिन ये इन्हें नियम निष्ठ होकर पहनते नहीं है .घर वाले भी इस लापरवाही की अनदेखी कर रहें हैं .
अध्ययन Advanced Eye Hospital and Institute ,Navi Mumbai के माहिरों ने संपन्न किया है .माहिरों ने बच्चों की आँखों की आवधिक /नियमित जांच कराते रहने ,तथा इन्हें विटामिन -A से भरपूर खुराक लेने की सिफारिश की है .
अध्ययन के तहत satellite city (उपनगरों )के पांच अगुवा स्कूल के नौनिहालों की जांच की गई थी .अन्वेषण चौंकाने वाले रहें हैं .पूर्व में संपन्न अध्ययनों में कमज़ोर बीनाई की दर २ - ७ % ही पाई गई थी .
संदर्भित (वर्तमान )अध्ययन में कमज़ोर बीनाई वाले नौनिहालों में निकट और दूर दृष्टि नेत्र दोष ९ ६ % बालकों में मिला है जो चिंतनीय है .ये दोनों दोष Refractive errors के तहत ,क्रमश :Near sighted -ness और far -sighted -ness कहलाते हैं .कुछ बच्चे बिना नजर के चश्मे के दूर की चीज़ साफ़ नहीं देख सकते कुछ किताब ठीक से नहीं पढ़ सकते .
५ %बच्चों में नेत्र सम्बन्धी गंभीर समस्याएं भी पाई गईं हैं जो इन्हें अंधत्व की कगार तक (Bordering on blindness )ले जा सकती हैं .
3 -4 नौनिहालों में ३ ७ % में कमज़ोर बीनाई(diminished vision) मिली है .माँ बाप लगभग शत प्रतिशत इन नौनिहालों की बीनाई के मामले में ला -परवाह रहें हैं .इन्हें कोई परवाह नहीं ,बच्चा चस्मा पहन भी रहा है या नहीं .कोई तवज्जो नहीं है उनकी इस बाबत .
नेत्र सम्बन्धी समस्याओं का न इन्हें कोई इल्म है न इनके माँ बाप को .ज़ाहिर है नेत्र सम्बन्धी समस्याएं इन हालातों में इनका पिंड छोड़ने वाली नहीं हैं .
५ - ८ साला बच्चों के ७ ३ % तथा ९ - १ २ साला बालकों के ७ ० % माता पिता का भी यही हाल है .
किशोर-वृन्द (किशोर -किशोरियों )के मामलों में भी ५ २ % माता पिता जानकारी के अभाव में इस ओर से आँखें मूंदे हुए हैं .ज़ाहिर है इन मामलों में या तो बच्चों में थोड़ी जागरूकता आई है या फिर माँ बाप इनकी नेत्र सम्बन्धी समस्याओं को गंभीरता से लेते हैं .
(ज़ारी )
३ ,५ ८ १ नौनिहालों पर संपन्न एक अधययन ने रेखानिकित किया है ,स्वप्न नगरी मुंबई के ६ ४ % नौनिहालों की बीनाई(Vision ) कमज़ोर है .इनको नजर के चश्मे लग गए हैं लेकिन ये इन्हें नियम निष्ठ होकर पहनते नहीं है .घर वाले भी इस लापरवाही की अनदेखी कर रहें हैं .
अध्ययन Advanced Eye Hospital and Institute ,Navi Mumbai के माहिरों ने संपन्न किया है .माहिरों ने बच्चों की आँखों की आवधिक /नियमित जांच कराते रहने ,तथा इन्हें विटामिन -A से भरपूर खुराक लेने की सिफारिश की है .
अध्ययन के तहत satellite city (उपनगरों )के पांच अगुवा स्कूल के नौनिहालों की जांच की गई थी .अन्वेषण चौंकाने वाले रहें हैं .पूर्व में संपन्न अध्ययनों में कमज़ोर बीनाई की दर २ - ७ % ही पाई गई थी .
संदर्भित (वर्तमान )अध्ययन में कमज़ोर बीनाई वाले नौनिहालों में निकट और दूर दृष्टि नेत्र दोष ९ ६ % बालकों में मिला है जो चिंतनीय है .ये दोनों दोष Refractive errors के तहत ,क्रमश :Near sighted -ness और far -sighted -ness कहलाते हैं .कुछ बच्चे बिना नजर के चश्मे के दूर की चीज़ साफ़ नहीं देख सकते कुछ किताब ठीक से नहीं पढ़ सकते .
५ %बच्चों में नेत्र सम्बन्धी गंभीर समस्याएं भी पाई गईं हैं जो इन्हें अंधत्व की कगार तक (Bordering on blindness )ले जा सकती हैं .
3 -4 नौनिहालों में ३ ७ % में कमज़ोर बीनाई(diminished vision) मिली है .माँ बाप लगभग शत प्रतिशत इन नौनिहालों की बीनाई के मामले में ला -परवाह रहें हैं .इन्हें कोई परवाह नहीं ,बच्चा चस्मा पहन भी रहा है या नहीं .कोई तवज्जो नहीं है उनकी इस बाबत .
नेत्र सम्बन्धी समस्याओं का न इन्हें कोई इल्म है न इनके माँ बाप को .ज़ाहिर है नेत्र सम्बन्धी समस्याएं इन हालातों में इनका पिंड छोड़ने वाली नहीं हैं .
५ - ८ साला बच्चों के ७ ३ % तथा ९ - १ २ साला बालकों के ७ ० % माता पिता का भी यही हाल है .
किशोर-वृन्द (किशोर -किशोरियों )के मामलों में भी ५ २ % माता पिता जानकारी के अभाव में इस ओर से आँखें मूंदे हुए हैं .ज़ाहिर है इन मामलों में या तो बच्चों में थोड़ी जागरूकता आई है या फिर माँ बाप इनकी नेत्र सम्बन्धी समस्याओं को गंभीरता से लेते हैं .
(ज़ारी )
5 टिप्पणियां:
बहुत ही गंभीर और चिंतनीय बात है, समय रहते मां-बाप को इस और ध्यान देना चाहिये, शुभकामनाएं.
रामराम.
नज़र का कमज़ोर होना पोश्चर पर बहुत निर्भर करता है। अत्यधिक टी वी और कंप्यूटर भी जिम्मेदार हो सकते हैं। हालाँकि अनुवांशिकी भी कम दोषी नहीं। लेकिन विटामिन ऐ की कमी से रतौंधी ही होती है , नज़र कमज़ोर नहीं। अभिभावकों को बच्चों की हरकतों का ध्यान तो रखना ही चाहिए।
सबके लिये ही संकेत है यह..
सर जी सुन्दर व आँख खोलने और चौकाने चौकाने वाली प्रस्तुति हम परिवार वालों की लापरवाही के कारण हमरे बच्चे गहन तिमिर की तरफ उन्मुख
होते जा रहे हैं मां-बाप को इस और ध्यान देना चाहिये
सुन्दर प्रस्तुति
शुभकामनायें आदरणीय ||
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