संशाधित गोश्त कैंसर रोग समूह और दिल की बीमारी के खतरों को बढाता है
Sausages ,bacon tied to early deaths ?Processed Meats Raise The Risk Of Cancer And Heart Disease ,Says Study(THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MARCH 8 ,2013 ,P19)
अलावा इसके लम्बी पतली शक्ल में बना मसालेदार गोश्त जिसका छोटा टुकड़ा ठंडा खाया जाता है और पूरा टुकडा पका कर गर्म (सासिज़ )जिसे एक तरह का मांस का कवाब गुलमा या लंगोचा भी कहा जाता है तथा सूअर की पीठ या बगल का नमक लगा या भुना हुआ गोश्त(बेकन ) रोज़ रोज़ खाना भी अब समय पूर्व मृत्यु की वजह बन रहा है .शक की सुई दोनों की और पूरी घूम चुकी है .
कुसूरवार फल ,मांस या सब्जियों से भरी गर्म पेस्ट्री(Meat Pie ) को भी ठहराया जा रहा है .
एक लार्ज -स्केल (व्यापक )अध्ययन से पता चला है समय पूर्व ३ ० में से एक मौत की वजह सशाधित मांस का सेवन बन रहा है .
European Prospective Investigation into Cancer and Nutrition (EPIC ) नामक इस अध्ययन में १ ० देशों तथा योरोप के २ ३ केन्द्रों से कुल तकरीबन पांच लाख लोग शरीक रहे हैं .पता चला खतरे का वजन व्यक्ति द्वारा खाए गए गोश्त की मात्रा के अनुरूप बढ़ता जाता है .रोजाना केवल एक गुलमा या लंगोचा(sausage ) खाना भी सेहत पर खराब असर डालता है .
The researchers say that salting ,curing and smoking of meat gives rise to carcinogens like nitrosamines ,and these may be the cause of the increased cancer mortality .
मांस और मच्छी की भंडारण अवधि (परिरक्षण )और स्वाद बढ़ाने के लिए इसे जायकेदार बनाने के लिए इसमें नमक नाइटरेट्स , नाइटराइट्स और शुगर मिलाई जाती है .यही क्योरिंग हैं अलबत्ता कई मर्तबा स्वाद्वर्धक भी मिलाये जाते हैं इन्हें पकाया भी जाता है ,स्मोकिग भी क्योरिंग के तहत की जाती है .इन खाद्यों का निर्जलीकरण करना(Dehydrating them ) परिरक्षण का अर्वाचीन तरीका रहा है .
Sausages ,bacon tied to early deaths ?Processed Meats Raise The Risk Of Cancer And Heart Disease ,Says Study(THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MARCH 8 ,2013 ,P19)
अलावा इसके लम्बी पतली शक्ल में बना मसालेदार गोश्त जिसका छोटा टुकड़ा ठंडा खाया जाता है और पूरा टुकडा पका कर गर्म (सासिज़ )जिसे एक तरह का मांस का कवाब गुलमा या लंगोचा भी कहा जाता है तथा सूअर की पीठ या बगल का नमक लगा या भुना हुआ गोश्त(बेकन ) रोज़ रोज़ खाना भी अब समय पूर्व मृत्यु की वजह बन रहा है .शक की सुई दोनों की और पूरी घूम चुकी है .
कुसूरवार फल ,मांस या सब्जियों से भरी गर्म पेस्ट्री(Meat Pie ) को भी ठहराया जा रहा है .
एक लार्ज -स्केल (व्यापक )अध्ययन से पता चला है समय पूर्व ३ ० में से एक मौत की वजह सशाधित मांस का सेवन बन रहा है .
European Prospective Investigation into Cancer and Nutrition (EPIC ) नामक इस अध्ययन में १ ० देशों तथा योरोप के २ ३ केन्द्रों से कुल तकरीबन पांच लाख लोग शरीक रहे हैं .पता चला खतरे का वजन व्यक्ति द्वारा खाए गए गोश्त की मात्रा के अनुरूप बढ़ता जाता है .रोजाना केवल एक गुलमा या लंगोचा(sausage ) खाना भी सेहत पर खराब असर डालता है .
The researchers say that salting ,curing and smoking of meat gives rise to carcinogens like nitrosamines ,and these may be the cause of the increased cancer mortality .
मांस और मच्छी की भंडारण अवधि (परिरक्षण )और स्वाद बढ़ाने के लिए इसे जायकेदार बनाने के लिए इसमें नमक नाइटरेट्स , नाइटराइट्स और शुगर मिलाई जाती है .यही क्योरिंग हैं अलबत्ता कई मर्तबा स्वाद्वर्धक भी मिलाये जाते हैं इन्हें पकाया भी जाता है ,स्मोकिग भी क्योरिंग के तहत की जाती है .इन खाद्यों का निर्जलीकरण करना(Dehydrating them ) परिरक्षण का अर्वाचीन तरीका रहा है .
Smoking Meat
Smoking meat is exactly what the name implies: flavoring meat with smoke. Using any kind of improvised device will do the job as long as the smokehouse is made from environmentally safe material. As long as smoke contacts the meat surface it will impart its flavor to the meat. The strength of the flavor depends mainly on the time and density of the smoke. Smoked meats are usually eaten cold at a later date. Many great recipes require that smoked products hang for a designated time to lose more weight to become drier. It is only then that they are ready for consumption.
बस इन कथित परिरक्षण ,स्वाद रूप रस गंध वर्धक तरकीबों से ही इन खाद्यों में कैंसर पैदा करने वाले तत्व पैदा हो जाते हैं .रीझिये रूप रस गंध और स्वाद पर .
बतलादें आपको -संशाधित मांस उत्पाद कोलेस्ट्रोल से भी लदे रहतें हैं संतृप्त वसाओं (Saturated fats )से भी .दोनों का ही सम्बन्ध दिल और रक्त संचरण सम्बन्धी रोगों (Cardiovascular disease )से जोड़ा जाता रहा है .इस अध्ययन से जुड़े माहिरों ने बतलाया है ,गुलमा ,सलामी और ham जितना अधिक खाया जाता है उतना ही ज्यादा दिल और रक्त वाहिकाओं के खतरे का वजन भी बढ़ जाता है .यदि लोग सिर्फ इन चीज़ों का सेवन कम कर दें रोजाना २ ० ग्राम से ज्यादा इस संशाधित जायकेदार चस्के (खाद्य ?)का सेवन न करें तो समयपूर्व मृत्यु का ख़तरा ३% कम किया जा सकता है .
(ज़ारी )
4 टिप्पणियां:
चिंता बढ़ाने वाली खबर है.सभी को इस पर ध्यान देना होगा.
यहाँ तो आजकल बच्चों द्वारा भी फ्रोजेन सोसेज्स तो लगभग रोजाना ही खाए जाते हैं और यही हाल बाकि संशोधित गोश्त का भी है.बहुत अधिक चलन में हैं.
ह्म्म्म... ख़तरे की घंटी...
~सादर!!!
सजग करती पोस्ट!!
क्रूरता का हर्जाना, कभी न कभी तो चुकाना!!
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