शुक्रवार, 8 मार्च 2013

युवतियों के मानसिक रोग एनेरेक्सिया के समाधान के लिए दिमागी पेसमेकर प्रत्यारोप

युवतियों और किशोरियों को होने वाला एक रोग होता है क्षुधा नाश (एनरेक्सिया )जिसमें अस्वाभाविक भय पैदा हो जाता है मोटे होते जाने का भले हकीकत में नवयुवती  कृशकाय दिखती हो ,आईने में उसे मोटापा दिखाई देता है .लिहाजा रोगिणी खाना पीना छोड़ देती है .

एक बहुत प्यारी सी किशोरी उन दिनों हमारे घर आती थी जब मैं यूनिवर्सिटी कोलिज रोहतक में अध्यापन रत था ,मेरी छोटी बिटिया की सहेली थी यह और उन दिनों सिविल अस्पताल में तैनात डेप्युटी चीफ मेडिकल आफिसर की बेटी थी .यह लड़की घर से बिना बताये हमारे घर आ जाती थी .यकीन मानिए रोटी देने पर उसे दोबारा गैस पर सेंकके तकरीबन जला लेती थी ,एक चौथाई कटोरी दाल में ऊपर से  आधा कटोरी पानी और  मिला लेती थी ,अलावा इसके हाथ में पानी का ग्लास लगा रहता था .पानी ज्यादा पीती थी खाती कम थी .

इस बला की खूब सूरत लड़की की मौत के बाद ही हमें पता चला यह अनेरेक्सिया की शिकार थी .पता भी कैसे चलता ज़हीन माँ ने किसी को कुछ बतलाया ही नहीं था इसे एक मानसिक रोग बूझते मानते हुए छिपाया गया .

बेशक क्षुधा नाश एक खानपान से सम्बन्धी विकार  है  ,१ ५ -१ ९ साला युवतियों को लपेट में लेने वाला यह आम मानसिक रोग है .दुर्भाग्य यह है इस मानसिक रोग में अन्य मानसिक विकारों के बरक्स मृत्यु दर अधिकतम रहती है .

भारत में किशोरियाँ  लगातार जीरो साइज़ के चक्कर में इसकी लपेट में आ रही हैं .मंशा इनकी अधिकतम तौल कम करने की रहती है .इनके लिए बॉडी शेप एक बड़ा मुद्दा बन गया है .ओबसेशन बन गया है .

इलाज़ अधिकतर व्यवहार में बदलाव लाने को केंद्र में रखता है लेकिन २ ० % तक रोगियों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पाता है .समय पूर्व मृत्यु की संभावना बनी रहती है .

आशा की किरण एक नै दिशा से आई है .अब तक जिस हृदय गति चालक ,दिल को नियमित रूप से धड़काने  वाली युक्ति पेस मेकर का इस्तेमाल सिर्फ दिल को ज़ोरदार तरीके से और नियमित धड़काने  के लिए किया जाता था या फिर एपिलेप्टिक फिट से बचाव के लिए ,अब उसका इस्तेमाल क्षुधा नाश के रोगियों पर DEEP BRAIN STIMULATION (DBS)के रूप में किया गया है .

A "PACEMAKER" IN BRAIN MAY HELP CURE ANOREXIA

BOOSTS DESIRE TO EAT ,TRIGGERS WEIGHT GAIN IN PATIENTS(TOI,MARCH 7 ,2013)

विज्ञान पत्रिका लांसेट में प्रकाशित इस शोध में माहिरों ने ६ मरीजों को जो बे -तरह क्षुधा नाश की चपेट में चले आरहे हैं ,एक न्यूरोसर्जिकल इम्प्लांट (DBS )मुहैया करवाया है .इसे प्रत्यारोप के दिमाग में फिट करने के बाद इन रोगियों खाने की इच्छा पैदा हुई है इनका मिजाज़ भी बदला है ,सनक भी ,तौल भी बढ़ने लगी है .

इनमें  से कमसे कम आधे मरीजों का बॉडी मॉस इंडेक्स भी सुधरा है .अब इसके व्यापक ट्रायल (परीक्षण )एनेरेक्सिया रोगियों पर किये जायेंगे .

माहिरों ने अपने अध्ययन परीक्षणों  में दिमाग के एक ख़ास हिस्से की शिनाख्त के लिए मेग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग  का इस्तेमाल किया है .

इस हिस्से का ही पूर्व में इस्तेमाल अवसाद के मरीजों को DBS मुहैया करवाने के लिए किया जा चुका है -

a bundle of white matter below the corpus callosum ,the thick bundle of nerves fibres which divides the left and right sides of the brain -which has previously  been used for DBS in patients with depression .

इस लक्षित हिस्से के निर्धारण के बाद रोगियों के दिमाग में इलेकट्रोड्स रोपके इन्हें एक पल्स जेनरेटर से जोड़ दिया गया .स्पंद उत्पादक मरीजों की  चमड़ी के नीचे रोपा गया .रोपने के दस दिन बाद इस युक्ति को चालू  कर दिया गया ,मरीजों के स्वभाव में आने वाले बदलावों ,बे -चैनी आदि को दर्ज़ किया गया ताकि उद्दीपन के सटीक स्तर का जायजा लिया जा सके .

आदिनांक नतीजे उत्साह वर्धक रहें हैं .

results seem to point to a genuine therapeutic effect ,rather than a placebo or hunger- increasing effect.

युवतियों के  मानसिक रोग एनेरेक्सिया के समाधान के लिए दिमागी पेसमेकर प्रत्यारोप बड़े काम की चीज़ साबित हो सकती है एक गंभीर मानसिक रोग से छुटकारा दिलवाया जा सकता है .





6 टिप्‍पणियां:

Anita ने कहा…

कितना भयावह है यह रोग..माता-पिता को बहुत जागरूक रहने की जरूरत है..

Asha Lata Saxena ने कहा…

आपने सत्य कहा अन्रेक्सिया भयावह रोग है |
आशा

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

जागरूक करता लेख .... यह बीमारी तो जान बूझ लगा रही हैं युवतियां .....

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बेह्तरीन अभिव्यक्ति.शुभकामनायें.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

स्वास्थ्य बना रहे, सुन्दरता आ ही जाती है।

रविकर ने कहा…

बढ़िया है आदरणीय-