बुधवार, 6 मार्च 2013

औरों के प्रति सामाजिक आक्रामकता बूमराँग करती है


औरों के प्रति सामाजिक आक्रामकता बूमराँग करती है

किसी के साथ अ -मित्रवत ,दुष्टता पूर्ण व्यवहार करना खुद को भी कम दुःख नहीं देता है .रोचेस्टर विश्वविद्यालय के रिसर्चदानों ने पता लगाया है जो लोग अदबदाकर दूसरों को टालते हैं  ,बचके निकलते हैं कुछ लोगों से वह खुद भी हताशा के सहभागी  बनते हैं ,दुःख भोगते हैं .साइंसदान सावधान करते है ,चेतावनी देते हैं दूसरों के प्रति दुष्टता पूर्ण व्यवहार करने वालों को .

GIVING COLD SHOULDER CAN HURT YOU TOO

'MEAN GIRLS' BE WARNED !GIVING SOMEONE THE COLD SHOULDER CAN INFLICT AS MUCH PAIN ON YOU AS IT DOES ON OTHERS ,ACCORDING TO A NEW STUDY.

असल ज़िन्दगी में भी और अकादमिक अध्ययनों में भी अक्सर पीड़ित को पहुँचने वाली क्षति (मानसिक क्लेश )का ही जायजा लिया जाता है ,जबकि इस अध्ययन में तवज्जो इस बात पर भी दी गई है जो लोग किसी भी दवाब के तहत किसी और का सामाजिक बहिष्कार करते हैं ,बचतें फिरते हैं उस व्यक्ति से उन्हें खुद भी इस प्रकार कन्नी काटके बच निकलने की कीमत अदा करनी पड़ती है . बेशक उनके दुःख भोग का स्वरूप भिन्न हो सकता है लेकिन पीड़ित द्वारा भोगे गए दुःख से तीव्रता में कम नहीं होता है .

उपेक्षा करने वाला ओरों से बचके निकलने वाला व्यक्ति खुद भी हीन भावना ,खुद से ही शर्मिंदगी का शिकार होने से बच नहीं पाता है .औरों के प्रति सामाजिक आक्रामकता बूमराँग करती है .



Moms can transmit stress to fetus:

गर्भावस्था में स्ट्रेस का बुरा असर गर्भस्थ पर भी पड़ता है .गर्भवती 

महिला के दवाब में आने पर हानिकारक असर इस दवाब पैदा करने 

वाली  स्थिति का गर्भनाल (माँ के गर्भाशय का वह हिस्सा जो गर्भस्थ 

को सुरक्षा प्रदान करता है भोजन पहुंचाता है .)के ज़रिये गर्भस्थ पर भी 

पड़ता है .पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय के स्कूल आफ वेटनरी मेडिसन 

 रिसर्चदानों ने पता लगाया है जब एक गर्भस्थ माँ दवाब झेलती है तब 

इसका अंतरण बारास्ता गर्भनाल गर्भस्थ को हो जाता है .फलतया एक 

ऐसी प्रोटीन  के स्तर में बदलाव दर्ज़ होता है गर्भस्थ के विकाशशील 

दिमाग पर असर डालती है .अलबता लड़के और गर्भस्थ लड़की में यह 

असर यकसां न पड़कर अलग अलग पड़ता है .

The findings suggest one way in which maternal -stress exposure 

may be linked to neurodevelopmental diseases such as Autism and 

Schizophrenia ,which affects males more frequently or more 

severely than females.

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच है, घृणा मरती नहीं, बस लौट आती है।

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

उपेक्षा करने वाला ओरों से बचके निकलने वाला व्यक्ति खुद भी हीन भावना ,खुद से ही शर्मिंदगी का शिकार होने से बच नहीं पाता है .puri tarah se sahmat.....