हड्डियों के जोड़ों पर एक सुदृढ़ पदार्थ चढ़ा रहता है कार्टिलेज (उपास्थि ),बढती उम्र के साथ जोड़ छीजने लगते हैं .अस्थियों का एक आम रोग ओस्टियोआर्थरायटिस उम्र दराज़ लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है .६ ५ साल से ऊपर की उम्र के तकरीबन ८ ० % पुरुष और महिलाएं अश्थियों के जोड़ों के इस रोग की चपेट में हैं .उम्र दराज़ होने की मानो ये सौगात ही हो .प्रतीक हो .इससे बचा तो नहीं जा सकता लेकिन अधिकाधिक अवधि के लिए इसे आगे खिसकाया जा सकता है मुल्तवी रखा जा सकता है स्वास्थ्यकर जीवन शैली अ पना कर .
बकौल ओर्थोपीडिक सर्जन डॉ हरीश भेंडे जैसे ५ ५ के पार सफ़ेद मोतिया बीनाई को धुंधलाने लगता है ,नेत्र लेंस को फोगी बनाने लगता है वैसे ही ओस्टियोआर्थराइटीस घुटनों ,नितम्बों (Hip joints )या फिर रीढ़ की हड्डी पे तारी होने लगता है .
And ,herein lay the saddest aspect of the commonest joint problem .Not many doctors offer uni -compartmental knee surfacing that entails touching up only one of the three knee compartments .Total knee replacement is ,as the name suggests ,a complete overhaul of the worn out knees.
बेशक पुरुष और महिलाओं दोनों को बढ़ती उम्र के साथ असरग्रस्त करता है यह रोग लेकिन महिलाएं पुरुषों की बरक्स इसके निशाने पे ज्यादा रहतीं हैं .इन के ओस्टियोआर्थराइटीस की गिरिफ्त में आजाने की संभावना ज्यादा रहती है .एक पुरुष के बरक्स तीन महिलाएं इसका शिकार बनती हैं .भारत में यह अनुपात और भी विषम बना हुआ है जहां एक पुरुष के बरक्स चार महिलाएं इसकी गिरिफ्त में आ रही हैं .
इस लैंगिक पक्षपात (भेदभाव )के पीछे महिलाओं की भिन्न देह यष्टि ,अलग होरमोन केमिस्ट्री का हाथ रहता है .स्त्री होरमोन इस्ट्रोजन हड्डियों के ऊपर चढ़े हुए सुदृढ़ पदार्थ उपास्थि को रोग पूर्व की एक स्थिति इन्फ्लेमेशन से बचाए रहता है .लेकिन रजोनिवृत्ति के बाद इसकी तंगी होने लगती है . अलावा इसके कितनी ही भारतीय महिलाओं में विटामिन D अस्थियों के लिए ज़रूरी खनिज केल्शियम की भी कमीबेशी बनी रहती है .रजोनिवृत्ति के बाद इस्ट्रोजन सुरक्षा कवच भी गिर जाता है .रोग प्रवणता बढ़ जाती है .यही कहना है ओर्थोपीडिक सर्जन अरुण मुल्लाजी का आप ब्रीच केंडी अस्पताल में कार्यरत हैं .
मोटापा भी कम खतरनाक नहीं
महिलाओं का कटि प्रदेश फ़ैल रहा है वेस्ट लाइन बढ़ रही है ,इसी के साथ तौल भी .ओबीसिटी एक महामारी बन रही है .जितना अधिक बोडी मॉस इंडेक्स (BMI)उतना ही अधिक ख़तरा बढ़ता जाता है ओस्टियोआर्थराईटीस का माहिरों का यही कहना है .
अलावा इसके भारतीयों की अस्थियाँ कास्केशियन आबादी के बरक्स अपेक्षाकृत छोटी होती हैं .इसीलिए भारतीयों का BMI कास्केशियन स्केल से अलग रहता है .भारत में इसी वजह से 23 BMI पुरुष की या फिर महिला की गणना ओवर वेट में होने लगती है जबकि इसका भूमंडलीय काउंट २ ५ या उसके ऊपर रहता है .
अधिक समय तक बैठे रहने वाले जल्दी से रोग की गिरिफ्त में चले आते हैं जबकि सक्रीय रहने वाले लोग इसे आगे खिसकाने में कामयाब रहते हैं .
मुल्तवी रख सकते हैं आप रोग को इन उपायों से -
(१)रोजाना टहल कदमी कीजिए .ज़रूरी नहीं है आप लॉन्ग वाक पे जाए .दिन भर में ज्यादा से ज्यादा भौतिक रूप से सक्रीय रहना ज्यादा काम की चीज़ है .घर में भी एक्टिव रहिये .हुकुम मत बजाइए काया को हिलाइए डु लाइए ,खुद कीजे अपना काम .बर्तन उठाके रखिये साफ़ करिए .
(२)यदि दिल की कोई तकलीफ नहीं है ,सीढ़ियों का इस्तेमाल करें लिफ्ट के बरक्स जहां तक भी हो .
(३)Build up Vitamin D reserves by exposing yourself to sunlight (face ,neck and arms )for at least 30 minutes daily .
(4)जंक फ़ूड से हर संभव कोशिश बचें ,ज्यादा चिकनाई सना खाद्य भी न लें ,चर्बी चढ़ेगी तो भारी पड़ेगी .
सन्दर्भ -सामिग्री :-
BONES Of contention /MUMBAI FOR WOMEN /TIMES CITY /HEALTH CHECK /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI MARCH 15 ,2013 ,P 2
महिलाओं में हड्डियों के जोड़ों का रोग ओस्टियोआर्थरायटीस ज्यादा क्यों ?
बकौल ओर्थोपीडिक सर्जन डॉ हरीश भेंडे जैसे ५ ५ के पार सफ़ेद मोतिया बीनाई को धुंधलाने लगता है ,नेत्र लेंस को फोगी बनाने लगता है वैसे ही ओस्टियोआर्थराइटीस घुटनों ,नितम्बों (Hip joints )या फिर रीढ़ की हड्डी पे तारी होने लगता है .
And ,herein lay the saddest aspect of the commonest joint problem .Not many doctors offer uni -compartmental knee surfacing that entails touching up only one of the three knee compartments .Total knee replacement is ,as the name suggests ,a complete overhaul of the worn out knees.
बेशक पुरुष और महिलाओं दोनों को बढ़ती उम्र के साथ असरग्रस्त करता है यह रोग लेकिन महिलाएं पुरुषों की बरक्स इसके निशाने पे ज्यादा रहतीं हैं .इन के ओस्टियोआर्थराइटीस की गिरिफ्त में आजाने की संभावना ज्यादा रहती है .एक पुरुष के बरक्स तीन महिलाएं इसका शिकार बनती हैं .भारत में यह अनुपात और भी विषम बना हुआ है जहां एक पुरुष के बरक्स चार महिलाएं इसकी गिरिफ्त में आ रही हैं .
इस लैंगिक पक्षपात (भेदभाव )के पीछे महिलाओं की भिन्न देह यष्टि ,अलग होरमोन केमिस्ट्री का हाथ रहता है .स्त्री होरमोन इस्ट्रोजन हड्डियों के ऊपर चढ़े हुए सुदृढ़ पदार्थ उपास्थि को रोग पूर्व की एक स्थिति इन्फ्लेमेशन से बचाए रहता है .लेकिन रजोनिवृत्ति के बाद इसकी तंगी होने लगती है . अलावा इसके कितनी ही भारतीय महिलाओं में विटामिन D अस्थियों के लिए ज़रूरी खनिज केल्शियम की भी कमीबेशी बनी रहती है .रजोनिवृत्ति के बाद इस्ट्रोजन सुरक्षा कवच भी गिर जाता है .रोग प्रवणता बढ़ जाती है .यही कहना है ओर्थोपीडिक सर्जन अरुण मुल्लाजी का आप ब्रीच केंडी अस्पताल में कार्यरत हैं .
मोटापा भी कम खतरनाक नहीं
महिलाओं का कटि प्रदेश फ़ैल रहा है वेस्ट लाइन बढ़ रही है ,इसी के साथ तौल भी .ओबीसिटी एक महामारी बन रही है .जितना अधिक बोडी मॉस इंडेक्स (BMI)उतना ही अधिक ख़तरा बढ़ता जाता है ओस्टियोआर्थराईटीस का माहिरों का यही कहना है .
अलावा इसके भारतीयों की अस्थियाँ कास्केशियन आबादी के बरक्स अपेक्षाकृत छोटी होती हैं .इसीलिए भारतीयों का BMI कास्केशियन स्केल से अलग रहता है .भारत में इसी वजह से 23 BMI पुरुष की या फिर महिला की गणना ओवर वेट में होने लगती है जबकि इसका भूमंडलीय काउंट २ ५ या उसके ऊपर रहता है .
अधिक समय तक बैठे रहने वाले जल्दी से रोग की गिरिफ्त में चले आते हैं जबकि सक्रीय रहने वाले लोग इसे आगे खिसकाने में कामयाब रहते हैं .
मुल्तवी रख सकते हैं आप रोग को इन उपायों से -
(१)रोजाना टहल कदमी कीजिए .ज़रूरी नहीं है आप लॉन्ग वाक पे जाए .दिन भर में ज्यादा से ज्यादा भौतिक रूप से सक्रीय रहना ज्यादा काम की चीज़ है .घर में भी एक्टिव रहिये .हुकुम मत बजाइए काया को हिलाइए डु लाइए ,खुद कीजे अपना काम .बर्तन उठाके रखिये साफ़ करिए .
(२)यदि दिल की कोई तकलीफ नहीं है ,सीढ़ियों का इस्तेमाल करें लिफ्ट के बरक्स जहां तक भी हो .
(३)Build up Vitamin D reserves by exposing yourself to sunlight (face ,neck and arms )for at least 30 minutes daily .
(4)जंक फ़ूड से हर संभव कोशिश बचें ,ज्यादा चिकनाई सना खाद्य भी न लें ,चर्बी चढ़ेगी तो भारी पड़ेगी .
सन्दर्भ -सामिग्री :-
BONES Of contention /MUMBAI FOR WOMEN /TIMES CITY /HEALTH CHECK /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI MARCH 15 ,2013 ,P 2
महिलाओं में हड्डियों के जोड़ों का रोग ओस्टियोआर्थरायटीस ज्यादा क्यों ?
17 टिप्पणियां:
स्वास्थ्यवर्धक उपाय
लगता है गरिष्ट भोजन ही मुसीबत की जड़ है |उपयोगी पोस्ट |
आशा
अच्छी जानकारी !!
घुटनों का दर्द करीब सभी में देखा गया है ,यह अपरिहार्य है
अति उत्तम जानकारी ...
sundar gyanvardhak avm margdarsh prastuti,
जी आदरणीय-
पढ़ाने वाला लेख-
आभार-
sahi bat hai maine bhi jyadatar mahilaaon men hi ye smasya dekhi hai ...thanks nd aabhar ....
एक आम रोग पर बढ़िया जानकारी।
घुटनों की एक्सर्साइज़ करते रहने से दर्द से निज़ात पाया जा सकता है।
पहली बार टिप्पणी करने का सुअवसर प्राप्त कर रहा हूं आपकी अतिमहत्वपूर्ण स्वास्थ्य जानकारी पर.......कई ब्लॉगरों की पोस्टों पर आपकी विश्लेषणात्मक टिप्पणियां देख कर अत्यन्त प्रेरित हुआ। कई बार सोचा आपके ब्लॉग का अनुसरण करुंगा, लेकिन आपके और मेरे नक्षत्र अब रास्ते पर आएं हैं परस्पर सहभागिता करने के लिए। चलिए कोई नहीं, देर से ही सही पर दुरुस्त जगह पर आ ही गया हूँ। आपको राम-राम।
सुन्दर बहु आयामी प्रस्तुति,जोड़ो का दर्द
वो भी ज्यादा उम्र में बर्हद कष्टकरी
साठ के पार ये अब घर घर की कहानी और समस्या है, आपने सही नब्ज पकड़ी है और दुरुस्त सलाह दी है. धन्यवाद.
बहुत अच्छे सुझाव....आभार
बहुत ही ज्ञानवर्द्धक जानकारी देती पोस्ट........
उफ् जोड़ों के दर्द से, कैसे मिले निजात
"राम राम भाई" पढ़ें, दें पीड़ा को मात ||
बढिया ओर उपयोगी जानकारी।
बहुत उपयोगी तथा बिल्कुल सही जानकारी!
आजकल बढ़ती उम्र के लोग इसके बहुत शिकार हो रहे हैं......ख़ासकर महिलाएँ, जैसा कि आपने बताया....
~सादर!!!
बहुत ही सार्थक और स्वास्थ्यवर्धक उपयोगी जानकारी,आभार.
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