'Karela (Bitter gourd)is a giant slayer of pancreatic cancer cells ,says a study .Bitter gourd juice restricts ability of pancreatic cells to metabolize glucose ,thus cutting their energy source and eventually killing them.
कोलोराडो विश्वविद्यालय का एक अध्ययन अग्नाशय कैंसर के बाबत जर्नल 'Carcinogenesis 'में हाल ही में प्रकाशित हुआ है .इसमें बतलाया गया है ,करेले के ज्यूस में अग्नाशय कैंसर कोशाओं को ठिका ने लगाने की अपूर्व क्षमता रहती है .
करेले का सत पैन्किर्येटीक कोशाओं के ग्लूकोज़ अपचयन की क्षमता (ability to metabolize glucose )पर पाबंदी लगाके इसे सीमित कर देता है .कैंसर कोशायें अधिकांशतया भोजन के लिए ग्लूकोज़ पर ही आश्रित रहती हैं और किसी भी विध ,वैकल्पिक ऊर्जा अपने लिए नहीं जुटा पातीं हैं .करेला इस स्रोत को ही प्रतिबंधित कर देता है .देर सवेर कैंसर कोशायें मर जाती हैं .
चूहों पर की गई आश्माइश में कैंसर कोशाओं की वृद्धि में ६ ० % की कमी दर्ज की गई .इनमें ह्यूमेन पैन्क्रियेतिक सेल्स अंतरित कर दिए गए थे .
लेब कंडीशंस में ऐसे ही नतीजे कैंसर कोशाओं को पेट्री डिश में पनपा ने के दरमियान मिले हैं .
अग्नाशय का कैंसर, कैंसर -रोग समूह का एक खतनाक रोग है जिसमें मृत्यु दर बहुत अधिक रहती है .रोग निदान के बाद रोगी के पांच साल तक बने रहने की संभावना भी मात्र ६ % रहती है .
सन २ ० १ १ में नाम चीन Apple CEO Steve Jobs की मौत की वजह यही अग्नाशय कैंसर बना था .भारत में प्रत्येक लाख आबादी के पीछे इसका एक मरीज़ है .
शोध की परम्परा -गत दिशा भी यही रही है ,ऐसी दवाएं तैयार की जाएँ जो कैंसर कोशाओं की ऊर्जा आपूर्ति की क्षमता को ले उड़े .अनेक रिसर्च दान इसी काम को आगे बढ़ा रहे हैं .
कोलोराडो विश्वविद्यालय कैंसर केंद्र के माहिर राजेश अग्रवाल कहते हैं करेले में ऐसे तत्व कुदरती तौर पर मौजूद हैं .आप Skaggs School of Pharmacy and Pharmaceutical Sciences में प्रोफ़ेसर हैं ..
बकौल आपके कोई तीन बरस पहले करेले के सत के असर का कैंसर कोशाओं पर असर का आकलन पेट्री डिश में पनपाने के दौरान किया गया था .इसके सत का इस्तेमाल इस तरह हमने पहली मर्तबा ही किया है .पता चला यह ग्लूकोज़ अपचयनमार्ग को असरग्रस्त करता है ,नतीज़तन कैंसर कोशाओं के इस्तेमाल के लिए ऊर्जा सीमित मात्रा में ही उपलब्ध हो पाती है ,आखिरकार कैंसर कोशायें भूखों मारी जाती हैं .
सन्दर्भ -सामिग्री :-TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MARCH 14 ,2013,P17
कोलोराडो विश्वविद्यालय का एक अध्ययन अग्नाशय कैंसर के बाबत जर्नल 'Carcinogenesis 'में हाल ही में प्रकाशित हुआ है .इसमें बतलाया गया है ,करेले के ज्यूस में अग्नाशय कैंसर कोशाओं को ठिका ने लगाने की अपूर्व क्षमता रहती है .
करेले का सत पैन्किर्येटीक कोशाओं के ग्लूकोज़ अपचयन की क्षमता (ability to metabolize glucose )पर पाबंदी लगाके इसे सीमित कर देता है .कैंसर कोशायें अधिकांशतया भोजन के लिए ग्लूकोज़ पर ही आश्रित रहती हैं और किसी भी विध ,वैकल्पिक ऊर्जा अपने लिए नहीं जुटा पातीं हैं .करेला इस स्रोत को ही प्रतिबंधित कर देता है .देर सवेर कैंसर कोशायें मर जाती हैं .
चूहों पर की गई आश्माइश में कैंसर कोशाओं की वृद्धि में ६ ० % की कमी दर्ज की गई .इनमें ह्यूमेन पैन्क्रियेतिक सेल्स अंतरित कर दिए गए थे .
लेब कंडीशंस में ऐसे ही नतीजे कैंसर कोशाओं को पेट्री डिश में पनपा ने के दरमियान मिले हैं .
अग्नाशय का कैंसर, कैंसर -रोग समूह का एक खतनाक रोग है जिसमें मृत्यु दर बहुत अधिक रहती है .रोग निदान के बाद रोगी के पांच साल तक बने रहने की संभावना भी मात्र ६ % रहती है .
सन २ ० १ १ में नाम चीन Apple CEO Steve Jobs की मौत की वजह यही अग्नाशय कैंसर बना था .भारत में प्रत्येक लाख आबादी के पीछे इसका एक मरीज़ है .
शोध की परम्परा -गत दिशा भी यही रही है ,ऐसी दवाएं तैयार की जाएँ जो कैंसर कोशाओं की ऊर्जा आपूर्ति की क्षमता को ले उड़े .अनेक रिसर्च दान इसी काम को आगे बढ़ा रहे हैं .
कोलोराडो विश्वविद्यालय कैंसर केंद्र के माहिर राजेश अग्रवाल कहते हैं करेले में ऐसे तत्व कुदरती तौर पर मौजूद हैं .आप Skaggs School of Pharmacy and Pharmaceutical Sciences में प्रोफ़ेसर हैं ..
बकौल आपके कोई तीन बरस पहले करेले के सत के असर का कैंसर कोशाओं पर असर का आकलन पेट्री डिश में पनपाने के दौरान किया गया था .इसके सत का इस्तेमाल इस तरह हमने पहली मर्तबा ही किया है .पता चला यह ग्लूकोज़ अपचयनमार्ग को असरग्रस्त करता है ,नतीज़तन कैंसर कोशाओं के इस्तेमाल के लिए ऊर्जा सीमित मात्रा में ही उपलब्ध हो पाती है ,आखिरकार कैंसर कोशायें भूखों मारी जाती हैं .
सन्दर्भ -सामिग्री :-TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MARCH 14 ,2013,P17
5 टिप्पणियां:
कड़वे करेले के बड़े बड़े गुण..सुंदर तस्वीरों के साथ उपयोगी व रोचक पोस्ट !
बच गये, करेला तो बचपन से अच्छा लगता है।
कड़वा कितना अच्छा है ...
सुन्दर जानकारी
सादर आभार वीरेन्द्र सर !
waah .....karelo ko dekh bhukh lag gai .....bahut acchi prastuti ...
बहुत बढ़िया सचित्र लाभप्रद जानकारी प्रस्तुति के लिए आभार..
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