मंगलवार, 19 मार्च 2013

Age -old Depression fuelled by new -age factors

गत दस बरसों से रेखा अकेले ही गृहस्थी को संभाले हुए थी ,पति खाड़ी देश में काम की तलाश में चले गए थे रेखा अपने बीमार पिता की देखभाल भी कर रही थी .यही नव -सामाजिक यथार्थ है लड़कियां अब अपने माँ बाप का भी सहारा बन रही हैं  .लड़का जब १ ८ बरस का हुआ रेखा ने एक मेडिकल ट्रान्सक्रिप्शन सेंटर पर नौकरी कर ली .पति -पुत्र -पिता तीनों को रेखा पर नाज़ था .लेकिन इन तीनों भूमिकाओं में खटते खटते खराब परिश्थितियों ने उसकी संवेदनाओं पर इतना  कुठाराघात किया वह बात बात पर चीखने चिल्लाने रोने लगी .लोगों से मिलने जुलने में वह कतराने लगी .

उसने अपने आपको सबसे अलग कर लिया .किसी से मिलने में कोई रूचि नहीं रह गई थी रेखा की .रेखा हमारे समाज में अकेली औरत नहीं है प्रतिनिधिक औरत है आज की एक साथ तीन तीन भूमिकाओं में पिसती कुटती .रोग निदान के बाद रेखा को डिप्रेशन (अवसाद )की पुष्टि हो चुकी है .

मुंबई म्युनिसिपल कोर्पोरेशन द्वारा जुटाए गए आँकडों के अनुसार मुंबई में हर हज़ार के पीछे ३० .७ लोग

अवसाद की ज़द में आ रहे हैं .

मनोरोगों के माहिर इस नव -यथार्थ को MSD FACTOR कह रहे हैं .जहां औरत और मर्दों के घर से बाहर काम के घंटो में कोई फर्क नहीं रह गया है .

MSD बोले तो बहुरूपा नारी के तीन रोल -MOTHER ,SPOUSE AND DAUGHTER.तीनों ही भूमिकाओं का

सम्मिलित दवाब ही रेखा को अवसाद के ज़द में ले आया है .

आज शादी के बरसों बरस बाद भी  एक महिला अपने माँ बाप की देखभाल में भी आगे बनी हुई है .वह मात्र माँ और पत्नी ही नहीं है एक दयालू सम्वेदना संसिक्त बेटी भी है .ये तितरफा भूमिकाएं ही एक ऐसे दवाब को निरंतर बानाए हुए हैं जिसके चलते इस स्वप्न नगरी की महिलायें अवसाद की ज़द में आ रहीं हैं .गौर तलब है माहिरों के अनुसार  स्ट्रेस एक रिस्क फेक्टर है अवसाद प्रवणता के लिए .

अब लोगों को एक काम काजी कमाऊ महिला ही नहीं घरु महिला भी चाहिए जो घर में खाना भी पका सके .पेरेंट टीचर मीटिंग्स भी अटेंड कर सके .बच्चों को स्केटिंग के लिए भी ले जा सके .बच्चा बीमार पड़े तो माँ देखभाल करे ,होमवर्क भी वही कराये .

इसी सब के चलते मुंबई में हरेक पुरुष  के पीछे दो महिलायें  रोगनिदान के बाद अवसाद से ग्रस्त पाई जा रही हैं .

"The new woman can carry on a conflict with family ,be it over property or business .There is discord .This new dynamic means women are on the way to burnout or depression ,"said psychiatrist Harish Shetty.

सन्दर्भ -सामिग्री :-MUMBAI FOR WOMEN /TIMES CITY /Playing Multiple Roles Of Mother ,Spouse &Daughter Can Increase Stress In Women ,Especially If They Have Also Have Carrers to Chase/Health Check/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MARCH 16 ,2013 P 2




WHAT IT IS

Depression is a common mental disorder characterized by sadness ,loss of interest or pleasure ,feelings  of guilt or low self -worth ,disturbed sleep or appetite ,feelings of tiredness ,poor concentration .

It can be long lasting or recurrent ,impairing a person's ability to function at work or school .

When mild ,people can be treated without medicines ;when moderate or severe people may need medication and professional help .

Leading cause of disabilty for both males and females ,but burden of depression is 50%higher for females than males .

At its most severe ,can lead to suicide .There are an estimated 1 million deaths every year across the world.

Worldwide ,over 350 million people of all ages suffer from depression .

In India & Mumbai 

One in five Indians needs health councelling.

1% of Indians suffer from serious mental health disorders ;5 to 10%suffer from moderate disorders .

In Mumbai ,depression hits 30.7 out of 1,000 people,say BMC stats

GENDER GAP IN DEPR

Twice as many women as men experience depression .Hormonal changes could cause mood changes and depressed feelings ,but genetics and experiences also play a role.Some reasons:

Pubery Hormonal changes during puberty increase some girls' risk of developing depression .

Premenstrual problems

Pregnancy Hormonal changes can effect mood .

Postpartum depression

Perimenopause During transition to menopause , a stage called perimenopause ,hormone levels may fluctuate erratically.

Cultural/social reasons

Unequal power and financial status ; work and home responsibilities 

;sexual/physical abuse.

The working women should prioritize between career and home,and 

change her priorities as the 

situation demands.As she does the balancing act ,the only person she 

is liable to neglect is herself .She 

feels guilty and does not eat or sleep properly ,which may cause 

depression .But life is not about what 

you can have ,it is about what you can not neglect .

                               -Says Anjali Chhabria PSYCHIATRIST

We have tested over 282 women since 2011 to check their fertilty chances through the Anti-Mullerian Hormone test.After the age of 35 ,there was a significant dip in ovarian reserve.But many women in their 40s want a baby .Women could check their egg reserve  and plan their careers or lives accordingly .They may have to take some time out to start families ,and then go back to achieving what they aspire for .

      -Vipla Puri Consulatant ,Dept Of Lab -Medicine ,Hinduja 

14 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

बहुत सही कहा आपने ...

Rajendra kumar ने कहा…

महिलाओं में अवसाद जयादा ही पाया जा रहा है क्योकि वें ज्याद ही तनाव से गुजरती हैं.बहुत ही सार्थक उपयोगी आलेख.

राहुल ने कहा…

साहब, हर घर की महिलायें अगर अवसाद की चपेट में हैं तो इसके कारण भी ठोस हैं..उन्हें तो सब कुछ झेलना होता है..चाहे..अनचाहे ..बस दूसरों की उम्मीदों को पूरा करते रहो, पर अपने लिए कुछ भी उम्मीद मत करो..
आपने इस पोस्ट में एकदम बुनियादी सवाल उठाया......

Anita ने कहा…

महिला हो या पुरुष सुबह उठकर कोई न कोई व्यायाम या योग अथवा प्रातः भ्रमण को दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए, प्राण ऊर्जा की कमी ही अवसाद का कारण होती है.

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

समाज जितना प्रगति कर रहा है ,समाज में अवसाद उतना ही ज्यादा बड़ते जा रहा है .
latest post सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
latest postऋण उतार!

SM ने कहा…

बहुत ही सार्थक उपयोगी लेख

रविकर ने कहा…

यथार्थं चित्रण |

अशोक सलूजा ने कहा…

वीरू भाई जी राम-राम !
आज समाज के इस आईने को सफ़ाई की ज़रूरत है .
शुभकामनायें!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

उन्मुक्त हो जीना सीख लें हम सब..

Unknown ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (20-03-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
सूचनार्थ |

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

जी , यही हो रहा है .... ये आंकड़े डराने वाले और विचारणीय हैं

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

कई बार परिस्थितियां विपरीत होने पर कठिनाई आ ही जाती है।

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

अत्‍यंत विचारणीय।

Kailash Sharma ने कहा…

आधुनिकता और आगे बढ़ने की दौड़ में आज स्त्रियाँ भी तनाव को शिकार होती जा रही हैं. घर और बाहर दोनों जगह का तनाव उन्हें गहरे अवसाद में घेर रहे हैं..बहुत विचारणीय आलेख..