आपकी रीढ़ के स्वास्थ्य से ही जुडी है आपकी नितम्ब ,सेक्रोइलियक जोइंट और टांगों की समस्याएं
Hip ,Sacroiliac Leg problems शीर्षक से आप इसी ब्लॉग पर अंग्रेजी में एक आलेख पढ़ चुकें हैं .अब यह आलेख यहाँ हिंदी में भी प्रस्तुत है .
पहले कुछ पारिभाषिक शब्दों और उनसे निर्मित संकर शब्दों को लेते हैं .
Sacrum :रीढ़ की आधार भूमि (जड़ या आधार )पर एक त्रिभुजाकार की हड्डी होती है .यह दोनों तरफ के प्रत्येक नितम्ब से जाके जुडती है तथा श्रोणी (Pelvis )का एक हिस्सा बनाती है .
Sacroiliac :इसका सम्बन्ध सेक्रम और नितम्ब की हड्डी के ऊपरी हिस्से से होता है .नितम्ब की हड्डी के इसी ऊपरी हिस्से को कहा जाता है ilium.दोनों को संयुक्त करके बना सेक्रोइलियाक .
चलिए इलियम को अलग से भी जान लेते हैं :यह श्रोणी का चौड़ा और समतल ऊपरी हिस्सा होता है .जो मेरु-स्थम्ब के आधार से जुड़ा होता है .
जैव -अभियांत्रिकी (जैव -इंजीनियरी )का अद्भुत कौशल हैं हमारे दोनों नितम्ब परिशुद्धता की बेहतरीन मिसाल किसी प्रिसिसन इंस्ट्रूमेंट सा खरा पन लिए हैं दोनों हिप्स .आप इन्हीं से उठने बैठने चलने फिरने का काम लेतें हैं दर्जनों पेशियों ,हड्डियों को जोड़ने वाले स्नायु अस्थि बंधों या आबन्धी ऊतकों बोले तो लिगामेंट्स से जाके जुड़तें हैं ये नितम्ब .
इनमें आया जरा सा खोट जरा सी गडबडी इनके फिटिंग्स में तमाम किस्म की समस्याओं को खड़ा कर देती है .
क्या आपके जोड़ चलते फिरते समय चट चट की आवाज़ करतें हैं ,पैर अन्दर या बाहर को थोड़ा फ़ैल जातें हैं ,क्या एक टांग दूसरी के बरक्स छोटी पड़ती है ?
क्या आपको निचली कमर ,अपने पैर्रों घुटनों नितम्बों ,कूल्हों (पुट्ठों )में कमजोरी और बेदमी महसूस होती है ?
यदि इनमे से एक भी बात सही है तब आप काइरोप्रेक्टिक जांच की फ़ौरन पहल कीजिए ताकि और पेचीलापन और समय रहते किसी प्रकार की भी जटिलता से बचा जा सके .
आपकी काया को Subluxations से बरी कर देतें हैं काइरोप्रेक्टिक डोक्टर बोले तो काइरोप्रेक्टर
Vetebral Subluxation Complex (VSC): आपकी रीढ़ का विरूपण ,काम कर देना बंद कर देना या उसमे बाधा आना है VSC या रीढ़ की एक के ऊपर एक समायोजित हड्डियों का किसी बिध आपस में गुँथ जाना है लाक हो जाना है .यही स्थिति जिसका अकसर आपको बोध नहीं होता आपकी नसों में दाह ,खिंचाव या फिर दवाब डालती है .आपका ठवन (पोश्चर बिगड़ने )लगता है असंतुलित होने लगता है ,डिस्क आपनी ताकत खोकर कमज़ोर पड़ने लगतीं हैं ,स्नायु बंध (लिगामेंट्स ),मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाली नसें (टेंडन) और पेशियाँ में खिचाव आने लगता है .आपकी सेहत बिगड़ जाती है .जनरल हेल्थ असर ग्रस्त होती है .
आपके कुल्हें (पुट्ठे ) या हिप्स
जब बच्चा पैदा होता है तब उसके शरीर में ज्यादा अस्थियाँ रहतीं हैं ,विकास की प्रक्रिया में ये परस्पर जुड़ के कमतर रह जातीं हैं .आपके प्रत्येक कुल्हे की अस्थि तीन अलग अलग अस्तित्व लिए हुए थीं :
(१) The ileum
(2) Ischium
(3)Pubis
किशोरावस्था की ,यौवनारंभ की देहलीज़ पे आते आते ये परस्पर जुड़ जातीं हैं .इन्हीं से बनता है पेल्विस .यही है वह पीठ के नीचे के हिस्से में अवस्थित चौड़ी हड्डियों का समुच्चय जिससे टाँगे जुडी होतीं हैं .इसे ही कहतें हैं श्रोणी .पेल्विक बोले तो श्रोणीय. आपके नितम्ब की अस्थियों के पीछे अवस्थित होतीं हैं Sacrum और coccyx.
अग्र (सामने से )भाग से ये ही हमारी pubic bones बनातीं हैं .
महिलाओं का पेल्विस क्षेत्र चौड़ा होता है ,ज्यादा घुमावदार भी रहता है ,अपेक्षाकृत बड़ा इनलेट भी लिए रहता है .ताकि प्रसव मुमकिन हो सके .पेल्विक इन्कम्पेतिबिलिती कई महिलाओं में सिजेरियन सेक्शन की वजह बनती है जब बच्चा पेट खोल के निकाला जाता है .
Pubis :It is the joined pair of bones comprising the lower front of the hipbone in humans.नितम्ब की अस्थि का निचला अग्र भाग ये दो हड्डियां ही मिलके बनातीं हैं .लैटिन भाषा में प्रजनन क्षेत्र की अस्थि प्युबिस कहलाती है .प्युबिक बोन को ही प्युबिस कह देते हैं .
Ischium:The lowest and rear most of the three bones that make up each half of the pelvis.लेटिन भाषा में iskhion का मतलब होता है हिप जोइंट .
नितम्बों के जोड़
जिस जगह पर दो हड्डियां मिलतीं हैं वह जोड़ कहाती है .नितम्बों में भी कई जोड़ हैं .इनमें से एक को कहा जाता है ball-and -socket joint.
जंघा की हड्डी के शीर्ष को कहा जाता है "बाल "और नितम्ब के acetabulum को कहा जाता है "सोकिट".
Acetabulum is the curved cavity on the side of the hip bone where the end of the thigh bone fits .
दूसरा जोड़ कहलाता है सेक्रोइलियाक जोइंट (sacroiliac joint ).यह संधि स्थल है सेक्रम(sacrum ) और इलियम(ilium ) का .
एक और भी जोड़ है यह कहलाता है symphysis pubis.यह वहां बनता है जहां श्रोणी की हड्डियां आगे से आकर मिलतीं हैं .
Symphysis pubis is a joint where the pubis bones meet in the front .
They separate a little during child birth so the pelvic cavity can enlarge.
कमर के निचले हिस्से ,नितम्ब और जंघा का दर्द
अध्ययनों से पुष्ट हुआ है जितने भी लोगों को कमर के निचले हिस्से में दर्द रहता है उसकी वजह बनता है नितम्ब /नितम्बों का असंतुलन ,unbalanced hip .
नितम्ब के जोड़ों में मौजूद गडबडी ,इनका ठीक से काम न कर पाना कमर के निचले हिस्से में रहने वाले दर्द को उभारता है .
एक और अध्ययन के अनुसार जब भी सियाटिक लेग पैन distribution का मरीज़ दर्द से छटपटाता मिले शक सुबह सेक्रोइलियक जोड़ की खराबी की ओर जाना चाहिए ,डिस्क के विरूपण पर नहीं .शल्य चिकित्सा के बारे में इस स्थिति में ज़रा भी न सोचें ऐसा इस अध्ययन का सार रहा है .
Pelvic Organs And Your Hips
श्रोणीय अंग और कुल्हे (पुट्ठे )
मेरु स्थम्ब से निकलने वाली तमाम नसें निचली कमर और नितम्बों में से होती हुई मूत्राशय ,गुर्दों ,पौरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट ),योनी ,और श्रोणीय अंगों (प्रजनन तंत्र के आसपास के हिस्सों )तक पहुंचतीं हैं . गर्भाशय और Lower intestines तक भी जातीं हैं यह नसें .इनमें किसी भी प्रकार की दाह या जलन का न होना बहुत ज़रूरी होता है .इन पर किसी तरह का दवाब भी नहीं बनना चाहिए .न संपीडन (कम्प्रेशन )न स्ट्रेस .
कोई सौ साल तक काइरोप्रेक्टर ,काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा के तमाम माहिरों ने रीढ़ के स्वास्थ्य और नितम्ब ,सेक्रोइलियकजोइंट और टांगों की परेशानियों को एक दूसरे से जुड़ा हुआ पाया है .
नितम्बों की विषमता ही टांगों की गैर -बराबरी (विषमता )को जन्म देती है .यानी एक टांग छोटी रह सकती है लम्बाई में दूसरी से .ऐसे में दीर्घ टांग चलते वक्त दवाब झेलती है .इसी पार्श्व यानी लम्बी टांग वाली साइड के घुटने ,नितम्ब एडी और पैर भी दर्द और दवाब झेलने लगतें हैं .
जब आप आराम से लेटतें हैं तब यह लम्बाई का अंतर साफ़ पता चलता है .इसका काइरोप्रेक्टिक जांच में बड़ा महत्व है .एक तरह का काइरोप्रेक्टिक टेस्ट ही है यह जांच .
गर्भावस्था
जोड़ों को आराम दायक स्थिति में बनाए रखने के लिए कुदरती तौर पर गर्भवती महिलाएं अतिरिक्त हारमोन बनाती हैं ताकि गर्भस्थ के लिए प्रसव में मुश्किलें न आएं .लेकिन यदि रीढ़ की हड्डियां (रीढ़ )स्वस्थ नहीं है गर्भवती महिला की ,नितम्बों और अन्य जोड़ों की अस्थिरता का पता चलेगा .यही अस्थिरता प्रसव को पेचीदा बना सकती है .
काइरोप्रेक्टिक निगरानी इसी लिए प्रसव से पहले और उत्तर प्रसव भी बहुत काम की चीज़ है .
माहिरों के अनुसार सेक्रोइलियक जोइंट का सही संरेखण (प्रोपर एलाइन -मेंट ),नितम्ब और रीढ़ का सही समायोजन गर्भ काल और प्रसव दोनों को आरामदायक बनाए रहता है .सुरक्षित भी .प्रसव बाद स्वास्थ्य लाभ भी ऐसे में जल्दी मिलता है .
बालकों में नितम्ब सम्बन्धी समस्याएं
बच्चों की रीढ़ की जांच एक दम से ज़रूरी होती है समय समय पर होती रहनी चाहिए क्योंकि बाल्य काल जोश और कूद फांद से भरा रहता है यहाँ कूद वहां लटक ,पेड़ पे चढ़ ,उतर बनी रहती है आजकल गली गली स्केट्स भी करते दिख जातें हैं बच्चे , ऐसे में कभी कभार गंभीर चोट भी आ ही जाती है .ऐसे में नितम्बों के अलावा ,टांगों की लम्बाई ,सेक्रोइलियक जोड़ों की भी बराबर जांच होनी चाहिए .
subluxations मिलने पर उनका समाधान होना चाहिए ,रीढ़ और नितम्ब समायोजन होना चाहिए .
stressful birth नवजात की रीढ़ को क्षति ग्रस्त कर सकती है .आगे जाके यही नामालूम सी भूल बड़ी भूल साबित होती है .
सारांश
पारिवारिक स्वास्थ्य की आवधिक जांच में काइरोप्रेक्टिक स्पाइनल चेकअप को बराबर जगह मिलनी चाहिए .बालकों के लिए यह जांच और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सेक्रोइलियक और निचली कमर की परेशानोयों की नींव बचपन में ही पड़ जाती है .
गर्भवती महिलओं को हर हाल रीढ़ जांच की पहल करनी चाहिए .प्रसव का दवाब और मुश्किल प्रसव ,ट्रौमा आफ चाइल्ड बर्थ केवल नितम्बों को ही नहीं पूरे मेरु स्थम्ब (स्पाइनल कोलम )को असर ग्रस्त कर सकता है .
समस्या को सिर ही न उठाने दिया जाए .बे -झिझक जांच करवाई जाए .