शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

मोर अबाउट सुपर बग.(ज़ारी ...)

व्हाई डू होस्पितल्स एंड अप बींग ग्राउंड जीरो फॉर सुपर बग इन्फेक्शन ?
ज़ाहिर है अस्पताल ही फोकल पॉइंट हैं किसी भी शुरुआत का .बुनियाद बनतें हैं किसी भीरोग संक्रमण की क्योंकि अस्पतालों का सम्बन्ध बीमारों और उनके रोग संक्रमण से है .और इलाज़ में अकसर एंटी -बायो -टिक्स का ही स्तेमाल किया जाता है .कुछ न कुछ ओवर यूज़ भी हो जाता है एंटी -बायो -टिक्स का . (यहीं से पैदा होना शुरू हो जाता है ड्रग रेजिस्टेंस ).
अस्पताल में तमाम ऐसे मरीज़ भी होतें हैं जो संक्रमण लगने के प्रति बेहद संवेदी होतें हैं क्योंकि इनमे से अनेकों का पहले से ही अंग प्रत्या रोपण हो चुका होता है ,इम्यूनो -कम्प्रो -माइज्द होतें हैं ये मरीज़ ,कुछ की केमो -थिरेपी चल रही होती है ऐसे में इनकी संक्रमण रोधी क्षमता चुक जाती हैं .(सुपर -बग का शिकार भी यही ज्यादा होतें हैं )।
अलावा इसके अस्पतालों का भीड़ -भड़क्का ,ऐसे में करते करते भी कुछ न कुछ कसर रह ही जाती है संक्रमण की संभावना बलवती हो जाती है .बेहतर से बेहतर प्रबंध में भी चूक रह जाती है इसी सब के चलते ।
ऐसे में एक ही समाधान है :अपने दरवाजे बंद करलेंतमाम अस्पताल -सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल द्वारा ज़ारी अनुदेशों का नियम -निष्ठा से पालन करें .ऐसा करने पर संक्रमण की दर कम ज़रूर हो सकती है .अच्छे अस्पताल ऐसा नहीं कर रहें हैं यह भी नहीं कहा जा सकता है .

2 टिप्‍पणियां:

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

बहुत ही जरूरी जानकारी दी है आपने...

हार्दिक शुभकामनाएं.

virendra sharma ने कहा…

shukriyaa motarmaa aapkaa ,zarraanavaazi ke liye .
veerubhai .