मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

व्हाट इज स्लीप पैरा -लिसिस ?

व्हाट इज स्लीप पैरालिसिस ?
यक बा यक कई मर्तबा ऐसा होता है आप आधी रात गए गहरी नींद से जाग जातें हैं ,लेकिन अपने आपको पैरालाइज़्द महसूस करतें हैं ,हाथ पैर नहीं हिला सकते हैं आप कुछ पल को .बोल भी न पातें हैं .कई लोग इसे किसी प्रेत की ढिठाई बतलातें हैं कहतें हैं वह हमारी छाती पर चढ़ा बैठा था हमारा दम घोंट रहा था .यकीन मानिए यह इक आम अनुभव है जो पैरा नोर्मल बिलकुल नहीं है .जीवन शैली से जुड़ा है यह रोग"स्लीप पेरेलिसिस " ।
इक फिल्म आरही है :३.३३ जो इसी सिंड्रोम (स्लीप पैरालिसिस )से ताल्लुक रखती है .इसे निर्माता विल्सन लौईस बना रहें हैं ।
इस जीवन शैली रोग को 'ओल्ड हाग सिंड्रोम 'भी कहा जाता है .छाती में भारीपन महसूस करता है रोगी खासकर तब जब वह सुपाइन पोजीशनमें (फेस अप )लेटाहोता है और नींद से बाहर अचानक आरहा होता है .इस स्थिति में व्यक्ति को लगता है जैसे उसे फालिज मार गया हो .न वह हिल डुल सकता है न बोल सकता है ।
आखिर ऐसा होता क्यों हैं ?
माहिरों के अनुसार इस अल्प कालिक स्थिति में मरीज़ का शरीर निद्रा में होता है लेकिन दिमाग जागृत अवस्था में होता है .शरीर के हिल डुल न पाने की वजह यही विरोधाभास बनता है ।
बोम्बे हॉस्पिटल के मनो -रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ .अशित सेठ कहतें हैं :इस अतिप्राकृत स्थिति (सुपर -नेच्युरल स्टेट )का बखान /व्याख्या अनेक संस्कृतियाँ अलग अलग तरीकेसे करतीं दिखलाई दे जातीं हैं लेकिन यह स्थिति आम तौर पर रोगी को कोई क्षति नहीं पहुंचाती है ।
बस यह इक तरह की 'मोटर पेरेलिसिस' है(इसी लिए अंग संचालन में अल्पकालिक बाधा महसूस होती है ।).यह स्थिति .मानसिक बीमारी नहीं है स्लीप पेरेलिसिस ।
यह नींद की "रेम "अवस्था (रेपिड आई मूवमेंट )में पैदा होती है .इस स्थिति में काया सोई हुई रहती है दिमाग जागता रहता है .उसे अपने परिवेश /एन्वाय्रंमेंट्स की खबर रहती है .इस स्थिति में डरावना सपना खासकर तब जब वह उठने वाले ही होतें हैं नींद की गोद से, इन्हें इक दम से बेहद डरा देता है .सिट्टी पिट्टी गुमहो जाती है व्यक्ति कुछ भी नहीं बोल पाता है सकते में आजाता है ।
क्या लक्षण हें स्लीप पेरेलिसिस के ?
सब के अपने अपने मिथ हें अपने अपने डीलयु -स्जन (भ्रांत धारणाएं ) .इन विश्वाशों से बाहर निकल कर रोग के लक्षणों को पहचानना बहुत ज़रूरी है ।
(१)सफोकेशन :फालिज (स्टेट ऑफ़ पेरेलिसिस ) में पेशियाँ भी निद्रा ग्रस्त रहतीं हें .जैसे ही व्यक्ति की इस स्थिति में आँख खुलती है नींद टूटती है केवल उसका दिमाग सचेतन अवस्था में होता है .जागृत होता है ।
दरअसल इस स्थिति में क्योंकि रेस -पाय -रेटरी मसल्स भी सोये रहतें हें इसिस्लिये व्यक्ति को अपना दम घुटता सा लगता है (कोई ऊपरी शक्ति ,प्रेत बाधा का किया धरा नहीं है यह सफोकेशन ,दम घुटने का एहसास ।
(२)हलूसिनेशन (मति भ्रम /दृष्टि /श्रवण सम्बन्धी भ्रम /निर्मूल भ्रम ):वह जो आपके परिवेश में नहीं है दिखलाई /सुनाई देना हलूसिनेशन है .निराधार भ्रम है ।
क्योंकि सोते हुए आपने दुस्स्वप्न देखा है इसीलिए नींद टूटने पर भी वह कुछ और देर दिखलाई देता रहता है .यही विज्युअल हेलूसिनेशन है .कोई प्रेत बाधा नहीं है यह आपकाअंध - विश्वास मिथ आधारित है ।
(३)फीलिंग मैड:इस रोग के लक्षण के रूप में मरीज़ को ऐसा भीलग सकता है वह बहक गया है पागल हो गया है .हेलूसिनेशन इस बोध को और भी बढा देतें हें .यह इक शरीर -क्रिया वैज्ञानिक व्यापार है .फिजियो -लोजिकल एपिसोड है मानसिक बीमारी नहीं है .(ज़ारी ....) .

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