बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

२०२० तक ५ करोड़ लोग बन सकतें हैं पर्यावरण -शरणार्थी .

'५० मिलियन मे बिकम एन्वाय्रंमेंतल रिफ्युजीज़ बाई २०२० '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,फरवरी २३ ,२०११ ,)।
ग्लोबल नोर्थ का रुख करेंगें ५ करोड़ पर्यावरण शरणार्थी २०२०तक .वजह बनेगीजलवायु परिवर्तन से पैदा खाद्यान्नों की कमी .केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ,लोस एन्ज्लीज़ कैम्पस में प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत क्रिस्टीना तिरदो संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा लगाये गए इक अनुमान के हवाले से कहतीं हैं :२०२० तक हमारे बीच ५ करोड़ पर्यावरण रिफ्युजीज़ होंगें .अभी हाल ही में 'अमेरिकन असोशियेशन फॉर दी एडवांसमेंट ऑफ़ साइंस की वार्षिक बैठक में इसी आशय का विमर्श संपन्न हुआ है ।
लोग कूच करते क्यों हैं अपने ठिकानों से ?
ज़ाहिर है जब वह ऐसे माहौल में रहने को विवशहोतें है जहां जीवन के लिए कायम रहसकने लायक परिस्थितियाँ नहीं हैं ,खाद्य सुरक्षा की भी चिंता है खाद्य के परिरक्षित बने रहने की भी तब वह कूच कर जातें हैं ।
दक्षिण योरोप आज यही तमाशा देख सह रहा है जहां अफ्रीकामहाद्वीप से लगातार लोग आये चले जा रहें हैं इक अविरल धारा के रूप में .कुछ तो अपनी जान भी जोखिम में डालकर ऐसा कर रहें हैं 'स्ट्रेट ऑफ़ गिब्राल्टर '/गिब्राल्टर जल संयोजी /जल डमरू मध्य ,जहां इक संकरा समुन्दर दो बड़े सागरों में मिलता है को पारकर यह स्पेन पहुंचतें हैं मोरक्को से या फिर लीबिया और ट्यूनीशिया से मेक शिफ्ट वेसिल्स में समुद्री मार्ग से सैल करतें हैं ।
ट्यूनीशिया के हालिया संकट ने इस जन प्रवाह को और हवा दी है जहां खाद्य संकट तो है ही कामकाज का भी टोटा है .

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