लोग बहुत ही मासूमी से पूछ्तें हैं कैसे की जाती है मधुमेह चिकित्सा ,डायबिटीज़ का प्रबंधन? .वास्तव में यह विविध आयामीय प्रबंधन ही है जिसका इक अंग दवा है दूसरा खान- पान,तीसरा व्यायाम ,योग ,ध्यान .तनाव तथा बढ़ते वजन को थाम लेना और न बढ़ने देना आदि शामिल हैं ।
हर महीने ब्लड सुगर की जांचकरना /करवाना भी ज़रूरी है बेहतर है इक रजिस्टर में ब्योरा दर्ज़ करते चले .कैसा चल रहा है मधुमेह पर नियंत्रण आपके दाय्बेतोलोजिस्त को भी खबर रहेगी ।
खुराक में रेशे ज़रूरी हों .शक्कर ,गुड ,खांड ,मिठाइयां न हों .चीनी बिलकुल भी नहीं .सुगर फ्री लें .कच्चे पक्के फल (आधे कच्चे /आधे पक्के सीमित मात्रा में लें /पपीता हो चाहे सिट्रस फ्रूट्स ,बहुत अधिक मीठे और पके हुए फल न ले ।दिन में ६-७ बार खाएं ,इक सुनिश्चित चर्या के तहत .
दवा का चयन खुद न करें .अपने माहिर के लिए छोड़ दें.अलग अलग दवाएं अलग अलग मरीजों को दी जातीं हैं सिंगिल भी कोम्बो में भी मिश्र दवाएं दी जाती हैं .कुछ दवाएं इंसुलिन के स्राव में वृद्धि करवातीं हैं तो कुछ ग्लूकोज़ को ठिकाने लगाने में असर -कारी हैं ।
१०-१५ % लोगों को तब जब उनका अग्नाशय (पेंक्रियाज़ )पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है इंसुलिन शोट्स भी दिए जातें हैं .लक्ष्य सबका यकसां हैं मधुमेह पर बेहतरीन नियंत्रण .मधुमेह की सुइयों से घबराना नादानी है .वैसे ही तैयार किया जाता है यह इंसुलिन जैसे अग्नाशय तैयार करता है .आनुवंशिक इंजीनियरिंग का स्तेमाल किया जाता है इसे तैयार करने में .गुणवत्ता भी वही .
गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011
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