रविवार, 15 अगस्त 2010

सोते वक्त आखिर छींक क्यों नहीं आतीं हैं ?

छींक एक शरीर क्रिया वैज्ञानिक अनुक्रिया एक फिजियो -लाजिकल रेस्पोंस है )उन विजातीय पदार्थों के प्रति जो हमारी नासिकाविवरों से प्रवेश लेकर श्वशन मार्ग में व्यवधान पैदा करतें हैं .खलल या इर्रिटेशन पैदा करतें हैं .छींक इन्हें निकाल बाहर करने का सामान्य प्रयास है .इन एलर्जन्स को जो एलर्जी पैदा करने पर उतारू हैं .छींक एक एलर्जिक रिएक्शन है .प्रत्युऊर्जात्मक प्रति -क्रिया है .आखिर नेज़ल मेम्ब्रेन बनी ही इसलिए है ,फोरिन एलिमेंट्स की अवांछित भर्ती रोकी जाए .
छींक की वजह अनेक हो सकतीं हैं .(१)रोग संक्रमण या सोजिश रिस्पाय्रेत्री ट्रेक की ( 2)धूल ,मिटटी ,पोलन ग्रैंस,माईट,एनीमल- डेन- डर,एनीमल- फर,यहाँ तक की किसी ख़ास तेल का तडका ,किसी प्रकार का धुआं ,प्रदूषक ,गैस रिसाव ,कुछ भी एलार्जन बन सकता है कभी भी किसी के भी लिए .एलर्जी किसको किस चीज़ से कब हो जाए इसका कोई निश्चय नहीं ।
अलबत्ता निद्रा के दौरान रेटि -क्युलर प्रोसिस थम जाती है ।

रेटि -क्युलर फोरमेशन :ए फोरमेशनऑफ़ ऑफ़ न्युरोंस इन दी ब्रेन स्टेम देट रेग्युलेट्स मेनीबॉडी फंक्शन्स इन्क्लुडिंग रेस्पिरेशन,ब्लड प्रेशर , बोडी फंक्शन्स,स्लीपिंग एंड वेकिंग ,एंड ट्रांसमिशन ऑफ़ स्तिम्युली ।
ऐसे में दिमाग का वह हिस्सा जो नींद पर काबू रखता है कितने ही उत्तेजनों (उत्तेजकों को )जिनमे छींक भी शामिल है को नर्वस सिस्टम (स्नायुविक तंत्र) तक पहुँचने ही नहीं देता .अब भला छींक आये तो आये भी कैसे ?

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

आभार जानकारी का.


स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

सादर

समीर लाल