मंगलवार, 17 अगस्त 2010

एक ही मिटटी से बने होतें हैं औरत और मर्द फर्क सिर्फ परवरिश में है .

मार्स एंड वीनस?नो ,मेन एंड वोमेन आर फ्रॉम सेम प्लेनेट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई अगस्त १७ ,२०१० ,पृष्ठ १५ ).
अकसर कहा जाता है "मेन आर फ्रॉम मार्स व्हाइल वोमेन आर फ्रॉम वीनस .एक किताब की माने तो ऐसा कुछ भी ख़ास नहीं है औरत और मर्द तकरीबन एक ही मिट्टी के बनें हैं ,अंतर जो भी दिखलाई देता है उसकी वजह परवरिश ज्यादा है लैंगिकफर्क कम ही है उतना नहीं है औरत मर्द के बीच jender difference ।
किताब का नाम है "दिल्युश्जन ऑफ़ जेंडर "वैसे तो शीर्षक ही सब कुछ कह जाता है .सच- मुचभ्रांत धारणाएं ही हैं इस अंतर की वजह जिन्हें हम बढा चढा कर प्रस्तुत करतें हैं .छवियाँ हम ही लोग गढ़तें हैं (स्टीरियो -टाइप्स )।
किताब की लेखिका मेलबोर्न विश्विद्यालय की मनोविज्ञानी कोर्देलिया फिने कहती हैं अंतर परवरिश पैदा करती है स्वभाव नहीं (नेचर ).स्वभाव से पुरुष ऐसा ऐसा और औरत वैसी वैसी नहीं होती है .गढ़ी हुई छवियाँ हैं यह मानना समझना -लडके गणित में अच्छा करतें हैं ,अच्छे होतें हैं मेप रीडिंग में ,पार्किंग स्किल्स में (माहिर पैदा नहीं होतें ,प्रशिक्षित किये जातें हैं ,माहौल चाहिए माहिरी का,माहिरी के लिए . )।
महज़ मिथ है यह मानना समझना लडकियाँ ज्यादा सम्प्रेषण शील होती हैं .कम्युनिकेशन का हुनर उन्हें ज्यादा आता है .भाषा ज्ञान में प्रवीण होतीं हैं वगैरा वगैरा ।
परवरिश बनाती है हमें हुनर मंद ,अवसर बनातें हैं हमारी शख्शियत को .गुणों की खान लेकर कोई नहीं पैदा होता है .
डेली मेल ने किताब की समीक्षा प्रकाशित की है .जहां तक न्यूरोन सर्किट्री का सवाल है ,न्यूरो -लोजिकल (स्नायु -विज्ञान -विषयक )फर्क का सवाल है ,दोनों यकसां हैं कोई ख़ास फर्क नहीं है ।
बेशक औरत और मर्दों के दिमाग में थोड़ा सा बदल भी हो सकता है ,वेरिएशन हो सकता है .लेकिन वायरिंग सोफ्ट है हार्ड नहीं है .(महज़ खाम खयाली है ऐसा प्रचारित करना ,औरतों में दिमाग नहीं होता या फिर औरतों का दिमाग गुद्दी(gardan के पीछे )में होता है .बेशक vajan में थोड़ा अंतर rahtaa है औरत मर्द के दिमाग में .लेकिन सवाल vajan का नहीं हैneural circuit का है ।
lise Eliot भी isse ittefaak rakhten हैं .aap chicago medical school से sambaddh हैं .bakaul aapke,bachche bauddhik- taa ,buddhi- tatv,Intellectual differences , viraasat में लेकर नहीं aaten hain इस duniyaa में ,nurture का भीbadaa haath होता है .(yoon debet shaashvat है -नेचर या narchar ?).yahaan pldaa narchar की और jhukaa है ।
bachche seekhten हैं .koshish करतें हैं हमारी apekshaaon par kharaa utarne की .लेकिन kyaa ladke और ldki से hamraai apekshaayen यकसां होती हैं .kyaa हम स्टीरियो -टाइप्स पैदा नहीं karte ?
बेशक ladke ladke होतें हैं और लडकियाँ ladkiyaan लेकिन दोनों का sambandh prithvi से ही है ,मार्स और mangal से नहीं .ye हमारी dimaagi khapat bhar है ।
Institute ऑफ़ Psychiatry ,London के Robert Plomin kahten हैं harek हुनर ,और pratyek gun arjit होता है anubhav की aanch में paktaa है ,nikhartaa है ।
लोग ladke ldkiyon में behad की samaantaaon की andekhi कर जातें हैं ,asamaantaaon से chipke rahten हैं ,poshan, pallavan करतें है asamaantaaon का .

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