शनिवार, 14 अगस्त 2010

जंक फ़ूड और स्टेटिन

बर्जर ,फ्राईज़ एंड ए स्टेटिन ..........टू गो ?कोलेस्ट्रोल -बस्टर(स्तैतिंस ) विल न्युत्रेलाइज़ हार्ट डिजीज डें- जर्स फ्रॉम फैटी फ़ूड ,सेज एक्सपर्ट ।
इम्पीरियल कोलिज लन्दन के रिसर्चरों ने फास्ट फ़ूड आउट लेट्स को ग्राहकों को मुफ्त स्टेटिन देने की सलाह दी है .तर्क है जितना ख़तरा फास्ट फ़ूड दिल के लिए बढाता है कोलेस्ट्रोल कम करने की दवा "स्टेटिन "उतना ही कम कर देती है ।
एक शैर बड़ा मौजू है इस स्थिति के लिए -"कुछ लोग इस तरह जिंदगानी के सफर में हैं ,दिन रात चल रहें हैं ,मगर घर के घर में हैं ।"
रिसर्चरों से पूछा जाना चाहिए -"भाई साहिब फास्ट फ़ूड खाना ही क्यों है "?और फिर जंक फ़ूड तो और भी बहुत कुछ करता है ,मोटापा ,ब्लड प्रेशर आदि में भी इजाफा करता है .उसकी भी दवा दिलवाओ फास्ट फ़ूड का -उन - टार्स से ।जंक फ़ूड आउट लेट्स से .
बहरसूरत रिसर्च पर लौटतें हैं .बेशक स्टेटिन खून में घुली चर्बी की एक किस्म एल डी एल कोलेस्ट्रोल (बेड या अन -हेल्दी कोलेस्ट्रोल ) की मात्रा को कम करता है ।स्टे -टीन्स बिला शक दिल के दौरे (हार्ट अटेक) के जोखिम के वजन को कम करतें हैं .
एक चीज़- बर्जर और स्माल मिल्क- शैक से कार्डियो -वैस्क्युलर रिस्क जितना बढ़ता है स्टे -टीन्सकी एक गोली उसकी भरपाई करदेतीं हैं .और स्तैतिंस की कीमत भी बहुत कम आएगी लेदेकर ५ पेंस प्रति -उपभोक्ता ।
गौर तलब यह भी है "स्टे- टीन्स "बर्जर्स और फ्राईज़ के इतर दुष्प्रभावों को कम नहीं करता है .और भी गम है ज़माने में कोलेस्ट्रोल के सिवाय ।मेरे महबूब मुझसे पहले सा बर्जर ना मांग .
नेशनल हार्ट एंड लंग इंस्टिट्यूट ,इम्पीरियल कोलिज लन्दन के साइंसदानों ने एक तर्क को और तरजीह दी है -स्तैतिंस के लिए डॉ की पर्ची (नुस्खा या प्रिस्क्रेप्शन) चाहिए जंक फ़ूड खुला खेल फरुख्खा -बादी है ,जितना मर्जी खरीदो ,खाओ .आखिर लोगों को फ़िल्टर सिगरेट्स नुकसानी को कम करने और सीट बेल्ट ड्राइविंग करते वक्त पहनने की भी तो सलाह दी जाती है .ताकि दुर्घटना टल जाए हो ही जाए तो चोट कम आये ,कुछ तो बचाव हो ।
साइंसदानों ने ४३००० लोगोंपर संपन्न अध्ययन के दौरान तमाम आंकड़े जुटाए यह जानने बूझने के लिए ,क्या स्तैतिंस वास्तव में जंक फ़ूड के असर को बेअसर कर कुछ ना कुछ फायदा भी पहुंचा सकती हैं .पता चला ७ ओंज चीज़ बर्जर और एक स्माल मिल्क शैक से होने वाली नुकसानी को स्तैतिंस बेअसर कर सकती है .(लेकिन अध्ययन स्तैतिंस कितना मिलिग्रेम्स रोज़ ली जाए इसका कहीं ज़िक्र नहीं करता .बडो -छोटों ,आबाल्वृद्धों सभी को एक ही लाठी से हांका जाए ?)।
तसल्ली बख्स बात है ,ब्रिटिश हार्ट फाउनडेशन के मेडिकल डायरेक्टर पीटर वाइज़्बर्ग ने साफ़ लफ्जों में कहा है इस सलाह का शाब्दिक अर्थ ना लगाया समझा जाए (अन्दर की बात जानी जाए ,मर्म समझा जाए )।
और फिर बेहिसाब साल्ट से लदी जंक फ़ूड डाइट और भी तो नुकसानी कर सकती है .आखिर केलोरी डेंस भोजन ,चिकनाई सना बासा भोजन और भी तो गुल खिलाएगा .मोटापा ,हाई -पर -टेंसन ,डायबिटीज़ का ख़तराऔर भी बहुत कुछ .... ,गिनकर तो ज़रा देखें ।
विशेष कथन :स्तैतिंस के बेहिसाब सेवन के बारे में अपने हृद रोग माहिर की सलाह भी जाने .इस पोस्ट का लेखक गत कई बरसों से स्तैतिंस अपने हृद रोग चिकित्सक की सलाह पर ही लेता रहा है .पहले ४० मिलिग्रेम और वर्तमान में कुल १० मिलिग्रेम रोजाना .वजह बेहिसाब पसीना छूटता था ,नहाने के बाद ,ए- सी भी कुछ समय बाद ही राहत देता था .तो ज़नाब दवा फिर दवा है .अलबत्ता स्वास्थ्य कर खुराख का कोई ज़वाब नहीं ,कोई विकल्प नहीं .जहां तक फास्ट फ़ूड का सवाल है -मोडरेशन इज दी की (लेकिन हृद रोगी इस बाबत भी माहिरों से पूछ ज़रूर लें .खुराख इलाज़ का ही हिस्सा होती है .भैया खाना ही क्यों है चीज़ लदा बर्जर ,सबवे सैन्विच चीज़से लदी और तरह तरह की चटनियों की ड्रेसिंग के साथ ?).

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