मंगलवार, 24 अगस्त 2010

मुद्दा उनकी दिहाड़ी बढाने का है (ज़ारी )

गत पोस्ट से आगे ....
दूसरी किश्त :जानिये देश के जाने माने मनो -विज्ञानी ,देश -विदेश में कामकर चुके मनो -विज्ञानी डॉ .आई एस मुहार के विचार ।
अभी बहुत दिन नहीं हुए लोक सभा सांसदों ने मनमाने ढंग से अपनी तनखा बढा ली थी .एक बार फिर वही हरकत की गई है .इससे हर महकमे के लोगों में एक गलत प्रतियोगिता एक दूसरे सेआगे निकलने ज्यादा हासिल करने कीहोड़ पैदा होगी .जबकि नेताओं का काम एक आदर्श प्रस्तुत करना होता है .नेता कहा ही उसे जाता है जो आगे ले जाता है .पूछा जा सकता है -इन बरसों में क्या हम हिन्दुस्तान को एक सिस्टम भी दे सके .सिस्टम जो काम करे .क्या लोगों को पीने का साफ़ पानी भी मुहैया करा सके ।दो जून का खाना सबको नसीब होता है ?दवा दारु मिलती है ?सेहत और शिक्षा दोनों से महरूम -आम जन के यह रहनुमा क्यों खुद को खुदा समझतें हैं ?
एक टर्म पूरा किया कोरम को मुह चिढाता हुआ और जिंदगी भर की पेंशन .हर चीज़ को पालतू और भ्रष्ट कर दिया है इन्हीं लोगों ने .कोफ़्त होती है यहाँ के लोगों की बदहाली और नेताओं की अइ -याशी को देखकर .

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