शुक्रवार, 25 जून 2010

झुर्री के संग मुस्कान भी ले जायेगी 'बोटोक्स की सुइयां '.

मोतरमाएंचेहरे की झुर्री हठवानेकी खातिर 'बोटोक्स 'की सुइयां लगवातींहैं .चेहरे की शिकन ज़रूर जाती है ,साथ में मुस्कान भी चलीजाती है .कैसा होगा वह एहसास जब ख़ुशी के पलछिनों में आदमी मुस्का भी ना सके .भाव जगत रीत जाए ।
क्यों होता होगा ऐसा ?
वास्तव में बोटोक्स में एक विषाक्त (टोक्सिक )प्रोटीन 'बोतुलिनम-प्रोटीन 'का डेरा है .क्रीज़िज़ (जी हाँ मुस्कान भी तो एक पेशीय अभि-व्यक्ति है )को ले उडती है यह ज़हरीली प्रोटीन .ज़ाहिरहै यह नतीज़ा है पेशियों के फालिज ग्रस्त हो जाने का .अस्थाई तौर पर पेरेलाइज़ हो जाने का .इस प्रोटीन के असर से ।
कहतें हैं चेहरा बोलता है ,भाव -व्यंजना ,अभिव्यक्ति बन .इन्हीं पोज़िटिव क्रीज़िज़ के मार्फ़त .इनके नाकारा हो जाने पर दिमाग को एक सोफ्ट -वेयर जाने लगता है 'हंसना ,विहंस्ना मना है' .भाव का आवेग ऐसे में अभिव्यक्ति के लिए छटपटाता है .सब कुछ दिमाग से ही तो निर्देशित है 'मोटर-एक्शन 'से लेकर सुख दुःख के आवेगों ,संवेगों की अभिव्यक्ति भी ।
किसी शायर का यह कहा भी गलत हो जाता है 'हूज़ुमे गम मेरी फितरत बदल नहीं सकते ,मैं क्या करू मुझे आदत है ,मुस्कुराने की '।
यहाँ तो ज़नाब दिल की बात चेहरे तक आ ही नहीं पाती ।
बेशक गम -जदा मूवी देखते समय आप अन्दर से दुखी होंगे लेकिन चेहरे की पेशियाँ निष्क्रिय बनी रहेंगी .इन्हीं पेशियों में तो इंजेक्सन लगा है ।
कोई हमें बतलाये ,हम बतलाएं क्या ?अपना गम कैसे बखान करें ,भाव -शून्य चेहरे से ?
अपने अध्धय्यन में साइंसदानों ने सब्जेक्ट्स को या तो बोटोक्स की सुइयां लगाईं या फिर रेस्त्य्लाने (रेस्तिलेंन कुछ कंट्रोल्स ग्रुप के होठों में इंजेक्ट किया ).संवेदना और भाव जगत को झक -झोडने वाले चित्र दिखलाने से पहले भी और बाद में भी .रेस्तिलेंन 'ढीली झूलती त्वचा 'को चुस्त बना देती है ,फिलर का काम करती है 'सेगिंग स्किन 'के लिए ।
रेस्तिलेंन वाज़ यूस्ड एज ए सब्सटेंस इन्जेक्तिद इनटू लिप्स आर फेशियल रिन्किल्स देत फिल्स आउट सेगिंग .स्किन ।
रेस्तिलेंन का स्तेमाल एक कंट्रोल के बतौर ही किया गया यह सिर्फ फिलर्स में वृद्धि करता है ,पेशीय गति का सीमांकन नहीं .पेशियाँ शिकन बना सकतीं हैं ,भावा -भिव्यक्ति के लियें ।
कंट्रोल ग्रुप के बरक्स 'बोटोक्स -ग्रुप 'के तमाम लोगों में भाव -अभिव्यक्ति की कमी दर्ज़ की गई ।
एक मुस्कान आदमी को ख़ुशी से भर देती है .और नाक -भौं चढ़ाना सारा मूड ले उड़ता है .कैसा रह जाता होगा ऐसे में आपका आसपास ?
सन्दर्भ -सामिग्री :-नोट जस्ट रिन्किल्स ,बोटोक्स जेब केंन किल इमोशंस तू(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून २५ ,२०१० ).

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