शुक्रवार, 28 मई 2010

अना -रेक्सिया से पैदा 'ब्रेन -सृन्केज़ 'की भरपाई हो सकती है .

अक्सर किशोरियां एक ऐसे रोग की चपेट में आजातीं है जिसमे उन्हें मोटे हो जाने का वहम और भय दोनों घेरे रहतें हैं .कोई जीरो -साइज़ के पीछे दोड़तीहै तो कोई इससे भी दो हाथ आगे .यही है 'अना -रेक्सिया -नर्वोसा '।
भूँखोरहे जाना इस रोग में तमाम शरीर -क्रियाविज्ञान को असर ग्रस्त बनाने के अलावा दिमाग के प्रकार्य को भी प्रभावित करता है .ग्रे -मैटर का हिस्सा (ग्रे -मैटर-वोल्यूम )इस रोग में कमतर होता चला जाता है .'एडल्ट -ब्रेन -वोल्युम' घट जाता है .अच्छी और आश्वस्त कारी खबर अमरीकी मनो -विज्ञानियों तथा न्यूरो -साइंस -दानों ने दी है ।
भर -पाई हो सकती है इस ब्रेन -श्रीं -केज की .(अल्ज़ैमार्स रोग में ब्रेन स्थाई तौर पर सिकुड़ जाता है )।
ईटिंग दिस -आर्डर्स से ताल्लुक रखने वाले एक अंतर -राष्ट्रीय जर्नल में यह रिसर्च प्रकाशित हुई है .अलबत्ता विशिस्ट इलाज़ माहिरों से करवाना होगा .
सन्दर्भ -सामिग्री :-'ब्रेन -श्रीन्केज़ ड्यू तू अना -रेक्सिया इज ऋ -वर्सिबिल (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे २८ ,२०१० )

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