रविवार, 23 मई 2010

यलो -रिवोल्युसन क्या है ?

तिलहन (तेल देने वाले बीज )की उन्नत किस्म के चलन में आने के बाद भारत में आइल -सीडज़प्रो-दकसन १९८७ -८८ के १२.६ मीट्रिक -टन से बढ़कर १९९६ -९७ तक दोगुना (२४.४ मीट्रिक टन )हो गया .इसका श्रेय एक ओर उन्नत किस्म के आइल सीड्स के विकास ओर चलन को जाता है ,तो दूसरी ओर टेक्नोलोजी मिसन के तहत अपनाई गई संपूरक प्रोद्योगिकी को भी जाता है .,इसने यलो -रिवोल्युसन की नींव रख दी ।
अलबता १९८६ की फिलिपीन्स क्रान्ति (पीपल्स -पावर -रिवोल्युसन )के दौरान प्रदर्सन कारियों ने पीले फीते बांधकर शान्ति पूर्ण तरीके से अपना आन्दोलन चलाया .निनोय एक्वीनो ने राष्ट्र -पति फर्नान्डो -मार्कस के शासन की चूल हिलादी .इसे भी "यलो -रिबन 'पहनकर प्रदर्सन की वजह से "यलो -रिवोल्युसन 'कहा गया .

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