शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

मोटापे के पीछे अन -फिट- नेस जींस का हाथ ...

कई लोग बेतहाशा वक्त जिम में बितातें हैं ,वर्क आउट करतें हैं ,लम्बे समय तक (वातापेक्षी व्यायाम इनके काम नहीं आता ).,मोटापा ज्यों का त्यों बना रहता है .वजह व्यक्ति के जीवन खण्डों की प्रवृत्ति में मौजूद रहती है .अन -फिट -नेस जींस लिए होता है ऐसा व्यक्ति .दुनिया भर के १४ संस्थानों ने अपनी रिसर्च से पता लगाया है ,पांच में से एक ओबेसी अन -फिट -नेस जीवन इकाइयां लिए होता है .यही अस्वास्थाय्कर जीन व्यक्ति की केलोरी खर्च करने की दर को असरग्रस्त बनाती है .व्यक्ति हाड तोड़ कसरत करता फिर भी वही ढाखके तीन पांत ।

इसी अन्वेषण ने एक आम रक्तजांच के ज़रिये यह पता लगाने की दिशा को एड लगादी है ,जो यह फैसला करसके ,क्या व्यक्ति यह जींस जन्मना लेकर इस दुनिया में आया है ,खानदानी विरासत के बतौर ?

अध्धय्यन के तहत उन ६०० लोगों की जांच की गई जो नियमित साइकिल चलाते थे .इनकी एरोबिक फिट नेसमें आये संभावित सुधारों की जांच की गई . ओक्सिजन कीकुल खपत का पता लगाया गया ,अलावा इसके इनके डी एन ए का अध्धय्यन कर ऐसे ३० जीवन खण्डों (जींस )का पता लगाया गया ,जो ओक्सिजन खपत को प्रभावित करतें हैं ।

inme से ११ का सम्बन्धसेसे इनकी एरोबिक फिट नेस था .इन जीवन खण्डों में बदलाव एरोबिक फिटनेस को प्रभावित कर रहा था ।

एप्लाइड -फिजियोलोजी के एक जर्नल में इस अध्धय्यन की रिपोर्ट प्रकाशित हुई है .पांच में से एक व्यक्ति ऐसा मिला ,जिसमे जींस का ऐसा संयोजन (कोम्बो )था जो ओक्सिजन खपत में बदलाव ही नहीं होने देता था .फेट को जलाने में इन्हें साइकिलिंग से कोई फायदा नहीं ये ।

सिर धुनते रहे हफ़्तों ये तमाम लोग ,फेट कम नहीं हुआ .

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