गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

सत्य ही रहता नहीं यह ध्यान तुम ,कविता ,कुसुम या कामिनी हो ...

कवि दिनकर ने कुछ देखकर ही कहा होगा -"सत्य ही रहता नहीं यह ध्यान तुम ,कविता ,कुसुम या कामिनी हो "(उर्वशी ).ज़रूर कवि रसलीन ने भी किसी रूपसी की आवर्ग्लास छवि देख कर ही लिखा होगा -कनक छवि सी कामिनी ,कटि काहे को क्षीण /कटि को कंचन काटि विधि ,कुचन मध्य धरदीन्ह ।
अब विज्ञानी भी यही कह रहें हैं आवर ग्लास फिगर यानी कर्वेशियास वोमेन पर नजर पड़ते ही पुरूष के दिमाग का रिवार्ड केंद्र वैसे ही सक्रीय हो जाता है जैसे शराब पी लेने के बाद या फिर किसी मादक पदार्थ के सेवन के बाद ।
अपने अध्धय्यन में साइंस दानों ने महिलाओं की नग्न तस्वीर पुरूषों को दो मर्तबा दिखलाई .एक मर्तबा कोस्मेटिक सर्जरी से पहले और दूसरी दफा आवर ग्लास फिगर में कोस्मेटिक सर्जरी से ढल जाने के बाद .दोनों दफा दिमाग की स्केनिंग की गई .पता चला आवर ग्लास खूबसूरती को देखने के बाद दिमाग सुरूर में आ गया ,दिमागी रिवार्ड केंद्र एकदम से सक्रीय हो उठा .तभी तो कहा गया है -लव इज किर्येतिद अत फस्ट साईट ।
" लाइव साइंस" विज्ञान पत्रिका में इस अध्धय्यन के नतीजे प्रकाशित किये गएँ हैं ।
अध्धय्यन में १४ मर्दों को ७ हसीनाओं के नग्न नितम्ब (नेकिड बोत्म्स )दिखलाए गए थे ।
क्या कहतें हैं इस बारे में एक कोगनिटिव न्युरोसाइन -तीस्त स्टेवें पलटक (जोर्जिया ग्विन्नेत्त कोलिज ,लारेंस विले जोर्जिया )"ह्यूज हेफ्नर कूद हेव टोल्ड अस देत बाई शोइंग अस हाव मैनी जीरोज़ आर इन हिज़ बेंक एकाउंट "वैसे भी शेप्ली हिप्स औरत की उर्वरकता (फर्टाइल होने ) की निशानी समझे गए हैं .अब आप समझ सकतें हैं क्यों कुछ लोगों को पोर्न का चस्का लग जाता होगा .

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