सोमवार, 14 सितंबर 2009

अलविदा डॉक्टर नोर्मन बोरलाग .

हरित -क्रांति के पितामह डॉक्टर नोर्मन बोरलाग शनिवार सितम्बर १२ ,२००९ को यह भौतिक शरीर छोड़ गए .डल्लास में केंसर की बीमारी से वह चल बसे ।
अति मिलनसार लम्बी कदकाठी वाले इस कृषि विज्ञानिक को २००७ में अमरीका के सर्वोच्च नागर सम्मान "कोंग्रेश्न्ल मेडल आफ आनर "से सम्मानित किया गया ,हालाकि बोरलाग ने सदैव ही पुरुष्कारों को तुच्छ समझा .,तब भी जब इनके स्वेदिश (स्वीडन )के पूर्वजों ने इन्हें नोबेल पीस प्राइज़ से नवाजा .उस समय यह खेत पर काम कर रहे थे ,अतिरिक्त उत्साह से इस सम्मान की खबर पाकर जब पत्नी इन्हें मुबारक बाद देने आईं तब आपने उन्हें यह कहकर भगा दिया -यह तो मेरी टांग खीचने जैसा है ।
भारत के लिए तो बोरलाग किसी अन्नपूर्णा की तरह थे ।
आपने भारतीय उपमहाद्वीप को सूखे औ अकाल की छाया से तब बाहर निकाला जब १९६० आदि के दशक में भारत अन्न का ना सिर्फ़ आयात करता था ,खैरात भी बटोरता था .आपने गेंहू की तेज़ी से बढ़ने वाली एक बौनी किस्म पैदा की जिसकी थिक शोर्ट स्टाउट दानों से भरी हुई बालियाँ प्रति एकड़ उपज चार गुना बढ़ाने में कामयाब रहीं .एक विचित्र जीन (जीवन -ईकाई से लैस थी गेंहू की यह अभिनव किस्म ).यहीं से हरित क्रान्ति का सूत्रपात हुआ .बाद में चावल की उपज बढ़ाने के लिए भी ऐसी ही तरकीबें कामयाब रहीं ।
सही अर्थों में धूप में तपा पगा सन -बर्न्न्त्त यह विज्ञानी भारत -रत्न का अधिकारी था ,लेकिन इसे तो अपना काम प्यारा था ,नाम नहीं ,तभी तो यह मेहनत -काश आयोवा के खेतों में जी तोड़ मेहनत करता हुआ मेक्सिको पहुंचा औ एक दशक तक वहाँ काम करने के बाद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी -शोध पत्र का मजमून था -डिप्रेशन -इअरा यु एस ।
मेक्सिको में ही आपने नै -नै आज़माइश कृषि क्षेत्र में की जो आगे चलकर दुनिया भर में रंग लाई .लातिनी अमरीका (दक्षिणी अमरीका औ एशिया )को इसका भरपूर लाभ मिला ।
आप एक नार्वे के मेहनत -कश इंसान थे ,जो आयोवा में आ बसे ,खेत खलियानों में धूम मचाने .१९४४ में आपने मशहूर केमिकल निगम दुपोंत की नौकरी छोड़ दी .आप अब जी जान से मेक्सिको के गरीब किसान की मदद में जुट गए ।
आपके प्रयत्नों से ही भारत में १९६८ में इतना अनाज खेत से बरसा ,इसे रखने ,रख -रखाव के लिए स्कूलों को गौदाम (ग्रेंरीज़ )में तब्दील करना पडा .१९६० आदि दशक के संभावित सूखे से आपने लातिनी अमरीका समेत पूरे भारतीय महाद्वीप को भूख (मरी) से बचालिया ।
इस अन्नपूर्णा को भारत के शत -शत प्रणाम ,कोटि कोटि नमन ।
सन्दर्भ सामिग्री :-ग्रीन -रिवोल्यूशन पायोनियर डाईज .बोरलाग शोव्द इंडिया दी वे तू ओवर कम फ़ूड शोर्तेज़ (टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर १४ ,२००९ )
प्रस्तुती :वीरेंद्र शर्मा

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