सोमवार, 7 सितंबर 2009

एच .आई .वी .-एड्स के बचावी टीके के लिए उम्मीद बंधी .

अंदाजा था कुछ अफ्रीकी एच आई वी -एड्स परीक्षण के लिए एक जीती जागतीलेबोरेटरी हैं .सालों साल इनके खून में यह वाय-रस निष्किरय बना पडा रहता ,इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता,एड्स सिंड्रोम (रोग समूह )के लक्ष्ण इनमे प्रगट ही नहीं होते ।
अब विज्ञानियों ने इनमे दो ऐसी एंटी -बाडीज़(रोग बचावी प्रोटीन ) का पता लगाया है ,जो वाय रस की तमाम खतरनाक स्त्रेंस को उदासीन (निष्किरय ,न्यूट्रल ) कर देता है ।
रोगकारकों की शिनाख्त कर एक रोग रोधी प्रोटीन बनाने का जन्म जात गुन हमारे रोग प्रति -रोधी तंत्र में मौजूद होता है .यही एंटी बोडी सेहत को कुतरने वाले जीवाणु औ विषाणुओं का मुकाबला कर हमारी कायाको नीरोगी बनाती है ।
एक एंटीजन (जीवाणु या विषाणु )की मौजूदगी में अनुकिर्या स्वरूप बी -सेल्स एंटी -बॉडी तैयार करतीं हैं .दीज़ आर स्पेसिफिक टू डी एंटीजन ।
एक अफ्रीकी में इन प्रोटीनों का मिलना एड्स का बचावी टीका तैयार करलेने की उम्मीद बंधाता है .यह एक लाइव लेबोरेटरी है ,जिसके खून में एच आई वी -एड्स तो है ,लेकिन यह आदमी एक दम से तंदरुस्त हट्टा-कट्टा है ।
स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टिट्यूट ,यु एस ऐ .,के विज्ञानियों ने एच आई वी वाय रस की सबसे बड़ी कमजोरी (एकीलीज़ वील ,एक यूनानी कथा नायक शूर वीर जिसे सिर्फ़ एडिओं पर प्रहार करके मारा जा सकता था )एकीलीज़ वील का पता लगा लिया है ,यही घातक साबित होती थी .ये तमाम विज्ञानी इंटर नेशनल एड्स वेक्सीन इनिशिएतिव (आई ऐ वी आई ) से जुड़े हैं
विज्ञान पत्रिका साइंस के ताज़ा अंक में यह पूरी खोज ख़बर प्रकाशित हुई है ,जिसमे यह भी बतलाया गया है ,यह दोनों प्रोटीन वाय रस के अपेक्षतया स्टेबल हिस्से को निशाना बनातीं हैं ,जो कभी कभार ही अपना रूप बदलने (म्युतेत करने ,उत्परिवर्तित होने की सिफत रखता है ,अक्सर इसे म्युतेत करते नहीं पाया गया है .)का हुनर रखता है ।
दरअसल एच आई वी -एड्स एक बहरूपिये की तरह अपना प्रोटीन कोट ,रूप -रस -गुन बदल टीका बनाने के मार्ग में कांटे बिछाता रहा है ।
अब ठीक ठीक उस जगह का पता लगाया जा सकेगा जहाँ एंटी -बाडीज़ वाय रस से बा -इंद करतीं हैं .उसी जगह को टीके से फायर किया जाएगा निशाना बनाया जाएगा ,टार्गेट किया जाएगा ।
विज्ञानियों ने उन जीवन खंडों (जींस )का भी पता लगा लिया है जिनका स्तेमाल दोनार्ज़ बोडी न्युत्रेलाइज़िन्ग -एंटी -बाडीज़ बनाने के लिए कर रही है ।
विज्ञानियों को अब उस ह्यूमेन -बादी का इंतज़ार है ,जो एच आई वी एड्स इक्स्पोज़र (प्रभावं -अन )से पूर्व न्युत्रेलाइज़िन्ग एंटी -बाडीज़ बना सके .फ़िर टीके में देर कैसी ?
सन्दर्भ सामिग्री :वेक्सीन होप फार एड्स पेशेंट्स (टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर ७ ,२००९ ,पृष्ठ १५ ,कालम १-२ ,केपिटल एडिशन )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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