मंगलवार, 15 सितंबर 2009

बीस करोड़ बरस पहले समुन्द्रों में जीवन पनपा ....

विज्ञानियों ने आर्कीँ -अन पीरियड की प्राचीनतम चट्टानों के सी -बेड से नमूने उठा काल निर्धारण (डेटिंग )द्वारा पता लगाया है ,पृथ्वी के वायुमंडल में ओक्सिजन दाखिले के कोई बीस करोड़ बरस पहले भी समुन्दर में जीवन के रूप मौजूद थे ।
आर्कीयाँ पीरियड प्रारम्भिक भू -गर्भिक काल (जिओलाजिक्ल पीरियड )है ,इसका समय अब से ४ अरब वर्ष पीछे तक जाता है ,जब पृथ्वी पर प्राचीनतम चट्टानें मौजूद थीं (यूनानी भाषा के आर्खैओस का अर्थ है -ओल्ड यानि प्राचीन )।
इस भू -गर्भिक काल में पृथ्वी ने मीथेन ,अमोनिया इतर अनन्यविषाक्त गैसों का ओढ़ना ओढ़ रखा था ,जहरीली गैसों का कोहरा पृथ्वी को आच्छादित किए था .ज़ाहिर है ,इन विषम परिस्तिथियों में पृथ्वी की सतह के उपर जीवन के पनपने का कोई स्कोप (संभावना )नहीं था ।
अलबत्ता इस दौर में भी समुन्दरों के नीचे प्लांट लाइक बेक्टीरिया (पादप सरीखे जीवाणु )ज़रूर मौजूद थे ।
कोई दोदशमलव पाँच (२.५ ) अरब बरस पहले प्रकाश संश्लेष्ण के उप -उत्पाद स्वरूप ओक्सिजन पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल हुई ,ज़ाहिर है ओक्सिजन पैदा करने वाले जैविक स्वरूप भी इस दौर में रहें होंगे -यह पता लगाया है रुत्गेर्स विश्व-विद्द्यालय न्यू -जर्सी में कार्य -रत विज्ञानियों की एक अन्तर -राष्ट्रीय टीम ने ।
इस एवज सी बेड में संरक्षित प्राचीनतम रोक्स के नमूने (दक्षिणी अफ्रीकी समुन्द्रों से )उठाये गए -काल निर्धारण के लिए .यह नमूने अब से २-३ अरब वर्ष पहले के हैं ,जांच से (काल निर्धारण सम्बन्धी ) नाइट्रोजन चक्र की मौजूदगी का पता चला ,जो संकेत है ,फ्री ओक्सिजन की मौजूदगी का भी ,जिसके बिना नाइट्रोजन साइकिल चालू नहीं रह सकता ।ज़ाहिर है जीवन विषम परिस्तिथियों से ही फूटा है ,जो एक बार फ़िर पृथ्वी को घेरें हैं ,विज्ञानिक आशंकित हैं ,कुदरत ख़ुद इंतजाम करेगी .
जैविक प्रणालियाँ नाइट्रोजन का उपभोग कर ही संश्लेषित कार्बनिक अणुओं को बनातीं हैं (काम्प्लेक्स ओरगेनिक मालिक्युल्स नाइट्रोजन के बिना बन ही नहीं सकते )।नाइट्रोजन की मौजूदगी जीवन का ब्लू -प्रिंट ही नहीं -उँगलियों के निशाँ हैं ।
सन्दर्भ सामिग्री :-लाइफ एग्जिस्तिद इन ओशन्स २००मिलिअन इयर्स बिफोर अर्थ हेड ओक्सिजन (टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर १५ ,२००९ पृष्ठ १७ ।)
प्रस्तुती :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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