सोमवार, 17 अगस्त 2009

जल के बाद हवा की तत्त्विकता भी नस्टहो मारक बन गई है .

पञ्च भूतों में से हवा (वायु ,जल ,आकाश ,पृथ्वी ,अग्नि )की तात्त्विक्ताभी हम कब की नस्ट कर चुके हैं .गंगा -जमुना बहनों का गन्धाना सब को मालूम है .अन्तरिक्ष में इ -कचरा तैर रहा है ,पृथ्वी की उर्वरा शक्ति मृदा प्रदूषण,मृदा अपक्षय (साइल -एरोज़ं -अन )किसी से छिपा नहीं है ।
इधर ताजातरीन शोध की खिड़की से भी मारक खबरें आ रहीं है .हालिया अध्य-यन बतलातें हैं ,सात समुन्दर पार हवा में ठहरे मंडराते कण ,महा -द्वीपों के पार कुल ज़मा तीन लाख अस्सी हज़ार मौतों की वजह बन रहें हैं ।
पता चला है ,अति -सूक्ष्म (२.५ माइक्रो न )कण श्वष्ण (साँस के संग )फेफडों के अस्तर को छीलने,इन्फ्लेमेत (शोजिश औ संक्रमण )कर खून के दौरे (सर्कुलेशन ,रक्त प्रवाह )में शरीक हो धमनियों को सीधा नुकसानपहुँचातें है .सी .एन .जी .से चालित वाहन इसी तरह के अति सूक्ष्म कण हमारी हवा में छोड़ रहें हैं .माई -क्रोन या माई -करो मीटर एक मीटर का दस लाखवां भाग है .यानि वो कण जो इन दस लाख भागों में से २.५ भाग आकार वाले हैं ,ज्यादा मारक हैं ।
प्रिंसटन विश्वविद्द्यालय की एक पूरी टीम जून फेंग लू के नेत्रित्व में उक्त नतीजों पर पहुँच रही है .पता लगाया गया है ,डीज़ल चालित इन्ज़नों से निसृत बिना जला अंश (इग्जास्त )कोयला बिजली घरों से हवा में बिखरा आस पास ठहरा रेगिस्तानों से उठता बवंडर कुल मिला कर एक मारक मिश्र तैयार कर रहा है .यह मिश्र रेडियो -धर्मी विकिरण सा हफ्तों हवा में ठहरा रहता है .हवा वाहित यही मिश्र महाद्वीपों की सीमा का अतिक्रमण कर रहा है .समुन्दरों के ऊपर भंवर बना मंडरा रहा है ।
अति सूक्ष्म कणों की मार गरीब देश ज्यादा झेल रहें है .यही कणीय-प्रदूषण जनस्वास्थ्य के लिए बड़ा ख़तरा बना हुआ है ।
यह हवा का बेहिसाब गन्धाना चीन ,दक्षिण -पूरबीएशिया ,उत्तरी अमरीका जैसे सात समुन्दर पार इलाकों पर कैसा कहर बरपा रहा है ,इसका जायजा अभी लिया जाना बाकी है ।
अलबत्ता शोध नतीजे बतलातें हैं ,समुन्द्रों के पार मंडराता कणीय प्रदूषण हवाओं के रथ पे सवार हो ना सिर्फ़ कनाडा ,मेक्सिको ,यू.एस .तक पहुंचा है ,हर बरस ६६०० प्री -मेच्योर मौतों की भी वजह बना है ।
लू कहतें हैं -आलमी तौर पर ३,८० ,००० लोग असमय ही मौत के मुख में जा रहें है .,उन कणीय प्रदूषकों की मार से जो पैदा कहीं और हुआ है .यानी करे मुला पिटे जुम्मा .

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