मंगलवार, 25 अगस्त 2009

जीवन का संशोधित प्रतिरूप पेट्री डिस् में ?

एक बार फ़िर क्रैग वेंटर चर्चा में हैं .२४ अगस्त के सम्पादकीय (टाईम्स ऑफ़ इंडिया )ने कहा -कृत्रिम जीवन की और एक और कदम प्रयोग शाला में .तो व्यू-बरक्स -काउंटर व्यू में एक बहस ही छिड़ गई ।(टाइम्स आफ इंडिया ,२५ अगस्त ).
ये वही क्रैग वेंटर है ,जिन्होंने अमरीकी सरकारी योजना से छिटक कर तेजी से मानव -जींस (जीवन खंडों )का नक्शा बनालेने में जुट गए थे .बाद में इनके व्यक्तिगत जीनोम -समूह ने सरकारी समूह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर और भी ज्यादा तेज़ी से काम को आगे बढाया था ।
अब ख़बर है -संशोधित -माइक्रो -आर्गेनिज्म (जीवाणु -रूप )आप पेट्री डिस् में तैयार करलेने की दिशा में एक डग भर लियें हैं .जैव रूप भी ऐसे जो एक छोर पर ऐसे जैव -सफाई -कर्मचारी सिद्ध हो जो महा -सागरों के वक्ष पर फैले -पसरे तैल को साफ़ कर जल जीवों की हिफाज़त करें ,जीवाश्म -इंधनों में से विषाक्त तत्व निकाल बाहर कर साफ़ सुथरा इंधन तैयार करवायें ,फेक्टरियों से निकले अपशिष्टों को ठिकाने लगाएं ,वायुमंडल से विषाक्त तत्व निकाल बाहर कर हमारी हवा को साँस लेने काबिल बनाएं ,अगली पीढी का जैव इंधन मुहैया करवायें ।
मुर्दा चाल को दमदार द्रुत गामी बनाने का माद्दा रखतें हैं -क्रैग वेंटर ।
इस मर्तबा भी वेंटर कुछ कर जाने की उतावली में हैं ,किया इतना भर है -आपने -शोध किया है -माइक्रो -आर्गेनिज्म की इंजीनियरिंग पर ,संशोधित रूप ही रचें हैं ,पहले से मौजूद जैव रूपों के .ज़ाहिर है -खुदा के काम में दखल नहीं दिया है ।
तिल का ताड़ बनाने की हमारी पुरानी आदत है -इसीलियें कुछ समालोचक ,कुछ नाम वर यहाँ भी गालिब हैं -कह रहें हैं एक ऐसा दानव पैदा हो जाएगा जिसका अभी तक विज्ञान गल्पों में भी ज़िक्र नहीं हैं .सारी कयानात ,खुदा की खुदाई को ख़तरा बतला रहें हैं ये तमाम लोग ।
अतीत में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है -शोध का पहिया काल गति सा आगे और आगे ही बढ़ता रहा है ,बढ़ता रहेगा ।
भाई -साहिब अभिनव किस्में ही गढ़ी जायेंगी ,जो आज की मानव जन्नय समस्याओं का ज़वाब हो सकता है ,हो सकता है कल को रेडियो -धर्मी कचरे को चट करने वाले ठिकाने लगाने वाले जैव -सफाई -कर्मी हाथ आ जाएँ ?
सात साला शोध का नतीजा है -ये हासिल -जिसमें नए बेक्तिरिं -यम् के दी .एन .ऐ .ने कम अड़ंगा नहीं डाला है -दी .एन .ऐ .के पास एक जन्म जात प्रति -रक्षात्मक तंत्र (इम्मुनिटी फेक्टर )सैदेव ही मौजूद रहा है ।
अलबत्ता इस मुश्किल से जो परिवर्तन -रोधी रही है पार पा ली गई है .अब मुश्किल हमारे दिमागों में है -जो हर परिवर्तन का पुरजोर विरोध करती आई है ।
खामिरे की( ईस्ट )कोशिकाएं इस एवज ली गईं हैं .ईस्ट सेल्स और जैव्प्रोद्द्योगिकी के नए -नए नुस्खें आजमाए गएँ हैं ।
हज़ार साल नरगीश अपनी बेनूरी पे रूती है ,तब जाके पैदा होता है ,चमन में एक दीदावर .

1 टिप्पणी:

Arvind Mishra ने कहा…

कमाल के हैं क्रैग वेंटर ! बढियां जानकारी !