शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

बेंगलोर की रूपा -आनंद क्यों चल बसी -स्वां फ्लू से ?

क्या बेंगलोर की स्वास्थ्य सचेत शिक्षिका रूपा आनंद साइटों -कां -इन

स्टोर्म का ग्रास बनी ,जो एक विरल प्रकिर्या है तथा अच्छे खासे रोग्प्रतिरोधी तंत्र को नकारा बना मल्टिपल ओरगन फेलियोर की वजह बन रूपा जैसी होनहारशिक्षिकाओं के प्राण पखेरू ले उड़ती है .आप को बतलादें-साइटों -कां -इन उन सौ से भी ज्यादा प्रोटीनों में से एक है ,जिसे रुधिर कणिकाएं तथा लिम्फ तैयार करतीं हैं .यही प्रोटीन टिसू डेमेज की वजह बनती है ,एक विरल चेन रिएक्शन के तहत ,जिसके चलते चलते इसकी लोडिंग और टिसू डेमेज की वजह बनती है .एक एव्लांश के तहत ये साइटों कां इन स्टोर्म संपन्न होती है .इसे तेमिफ्लू का विरल पार्श्व प्रभाव कह लो या कुछ और रूपा की एच १ एन १ मरीजों के संपर्क में आने या फ़िर एन १ एच १ प्रभावित क्षेत्र से लौटने की कोई हिस्ट्री नहीं थीं .उन्हें नामूनिया की शिकायत होने पर बेंगलोर के संत -फिलोमेना अस्पताल में दाखिल किया गया था .७ अगस्त को दाखिले के बाद ९ अगस्त को बेहद बेचेनी और साँस लेने में दिक्कत होने पर उनकेनाक और गले से सवाब लेकर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हैल्थ एंड एलाइड साइंसिज़ जांच के लियें भेजने के साथ ही उन्हें तेमिफ्लू की आवश्यक खुराख दे दी गई .रात को ही वे कोमा में चली गईं ,ऐसा उनके परिवार -जन बतलातें हैं ,अलबत्ता अस्पताल ने एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखा ,लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका .रूपा की मौत कई अन -सुलझे सवाल छोड़ गई है ,चिकित्सा जगत को जिन्हें सुलझाना है .

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