ये तुम्हारी कौम थी जिसने की सारी दाल खाई।
अरहड़ की अर अर छोड़ दो ,
देखो की हर हर ने कैसी धूम मचाई।
देखो की शुभ दिवाली आई।
भीतर हर हर बाहर हर हर ,
घर घर में हर हर धूम मचाई ,
देखो के शुभ दिवाली आई।
दाल तुम बे -ईमान लोग खा गए हो। दलाल दबा गए।
1 टिप्पणी:
बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति, आभार आपका।
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