सत्संग के फूल
एक बार की बात है एक गुरु ने दीपक जलाया और फिर अपने शिष्य से पूछा बतलाओ ये प्रकाश कहाँ से आया। शिष्य बड़ा चतुर था होश्यार था उसने फूंक मारकर दीपक बुझा दिया फिर गुरु से प्रतिप्रश्न किया महाराज में आपके प्रश्न का उत्तर बाद में दूंगा पहले ये बतलाओ ये प्रकाश कहा चला गया।
गुरु ने सहज भाव से कहा यह वहीँ चला गया जहां से आया था।
शिष्य ने फिर पूछा पर इसका स्रोत क्या है यह आया कहाँ से है। गुरु ने दीपक फिर से जला दिया और बोले इसका स्रोत उद्यम है सेल्फ एफर्ट है पुरुषार्थ है। हवा सदैव आपके अनुकूल नहीं बहती। कभी प्रतिकूल भी बहती है आपका प्रारब्ध सदा आपका साथ नहीं देता परन्तु आपका पुरुषार्थ। पुरुषार्थ से अर्जित प्राप्य ,आपकी योग्यता सदा आपके साथ रहती है जीवन का हासिल पुरुषार्थ है।
श्रद्धा से गुरु तत्व जागृत होता है गुरु की देह नहीं होती। जहां श्रद्धा है वहीँ ज्ञान ठहरता है। गुरु में जब आपकी श्रद्धा होती है वह अपना सारा ज्ञान आपकी झोली में उड़ेल देता है। आपके रूप में एक और गुरु तैयार हो जाता है। अच्छा शिष्य ही गुरु बनता है। पात्रता हासिल करो। पुरुषार्थ करो।
चंदा को मामा क्यों कहते हैं ?
लक्ष्मीजी समुद्र मंथन से ही निकली थीं। लक्ष्मीजी ने नारायण (विष्णु )का वरण किया था। ये लक्ष्मी ही कृष्ण की रुक्मणी हैं। जब भी भगवान अवतार लेते हैं लक्ष्मी जी भी पीछे पीछे आतीं हैं। लीला में इनका भी रोल रहता है। जब भी भूमि पर भार बढ़ जाता है भूमि गौ का रूप धारण करके भगवान के पास पहुँचती हैं। गौ का क्रंदन स्वर उसकी चीत्कार सुनकर ही विष्णु जागते हैं। ब्रह्मा आदि देवता उन्हें नहीं जगा पाते। गाय का रम्भाना सुनकर विष्णु जागते हैं। गाय उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है।इसीलिए वह गोपाल कहलाते हैं। गोविन्द कहाते हैं।
समुद्र मंथन में और भी तरह तत्व निकले थे। जिनमे वारुणी और चन्द्रमा ,भी थे विष भी था।
वारुणी (मदिरा )उनकी छोटी बहन है।इसे दैत्यों ने ले लिया था। देवताओं को इसकी गंध अच्छी नहीं लगी। विष (रुक्मी )लक्ष्मी जी का बड़ा भाई है सबसे पहले ये ही समुद्र मंथन से निकला था। और चन्द्रमा लक्ष्मी जी का छोटा भाई है। इसीलिए उसे चन्दामामा कहा जाता है क्योंकि लक्ष्मीजी हमारी माता हैं।
इनके पिता समुद्र हैं जो खारा है समस्त नदियों का जल ग्रहण करने के बाद समुन्दर खारा ही रहता है।स्वभाव है उसका खारापन।
https://www.youtube.com/watch?v=NVIsjx5X3QM
एक बार की बात है एक गुरु ने दीपक जलाया और फिर अपने शिष्य से पूछा बतलाओ ये प्रकाश कहाँ से आया। शिष्य बड़ा चतुर था होश्यार था उसने फूंक मारकर दीपक बुझा दिया फिर गुरु से प्रतिप्रश्न किया महाराज में आपके प्रश्न का उत्तर बाद में दूंगा पहले ये बतलाओ ये प्रकाश कहा चला गया।
गुरु ने सहज भाव से कहा यह वहीँ चला गया जहां से आया था।
शिष्य ने फिर पूछा पर इसका स्रोत क्या है यह आया कहाँ से है। गुरु ने दीपक फिर से जला दिया और बोले इसका स्रोत उद्यम है सेल्फ एफर्ट है पुरुषार्थ है। हवा सदैव आपके अनुकूल नहीं बहती। कभी प्रतिकूल भी बहती है आपका प्रारब्ध सदा आपका साथ नहीं देता परन्तु आपका पुरुषार्थ। पुरुषार्थ से अर्जित प्राप्य ,आपकी योग्यता सदा आपके साथ रहती है जीवन का हासिल पुरुषार्थ है।
श्रद्धा से गुरु तत्व जागृत होता है गुरु की देह नहीं होती। जहां श्रद्धा है वहीँ ज्ञान ठहरता है। गुरु में जब आपकी श्रद्धा होती है वह अपना सारा ज्ञान आपकी झोली में उड़ेल देता है। आपके रूप में एक और गुरु तैयार हो जाता है। अच्छा शिष्य ही गुरु बनता है। पात्रता हासिल करो। पुरुषार्थ करो।
चंदा को मामा क्यों कहते हैं ?
लक्ष्मीजी समुद्र मंथन से ही निकली थीं। लक्ष्मीजी ने नारायण (विष्णु )का वरण किया था। ये लक्ष्मी ही कृष्ण की रुक्मणी हैं। जब भी भगवान अवतार लेते हैं लक्ष्मी जी भी पीछे पीछे आतीं हैं। लीला में इनका भी रोल रहता है। जब भी भूमि पर भार बढ़ जाता है भूमि गौ का रूप धारण करके भगवान के पास पहुँचती हैं। गौ का क्रंदन स्वर उसकी चीत्कार सुनकर ही विष्णु जागते हैं। ब्रह्मा आदि देवता उन्हें नहीं जगा पाते। गाय का रम्भाना सुनकर विष्णु जागते हैं। गाय उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है।इसीलिए वह गोपाल कहलाते हैं। गोविन्द कहाते हैं।
समुद्र मंथन में और भी तरह तत्व निकले थे। जिनमे वारुणी और चन्द्रमा ,भी थे विष भी था।
वारुणी (मदिरा )उनकी छोटी बहन है।इसे दैत्यों ने ले लिया था। देवताओं को इसकी गंध अच्छी नहीं लगी। विष (रुक्मी )लक्ष्मी जी का बड़ा भाई है सबसे पहले ये ही समुद्र मंथन से निकला था। और चन्द्रमा लक्ष्मी जी का छोटा भाई है। इसीलिए उसे चन्दामामा कहा जाता है क्योंकि लक्ष्मीजी हमारी माता हैं।
इनके पिता समुद्र हैं जो खारा है समस्त नदियों का जल ग्रहण करने के बाद समुन्दर खारा ही रहता है।स्वभाव है उसका खारापन।
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Dwaraka under sea Gujarat latest pictures - YouTube
www.youtube.com/watch?v=tzt5trGM3Tw
May 3, 2014 - Uploaded by nagendra m
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