मिट्टी में मिला दे जुदा हो नहीं सकता ,
इससे ज्यादा तो मैं तेरा हो नहीं सकता।
किसी ने निकाल के रख दीं हैं चौखट पे आँखें ,
इससे ज्यादा तो रोशन दीया हो नहीं सकता।
तेरी बंदगी से पहले मुझे कौन जानता था ,
तेरी इश्क ने बना दी मेरी ज़िंदगी फ़साना।
तुझको खोकर मेरे हाथों की लकीरें भी मिटी जाती हैं ,
अब तो मेरे पास बचा कुछ भी नहीं।
खुदा मुझे ऐसी खुदाई न दे ,
मुझे अपने सिवाय ,कुछ दिखाई न दे।
खुदा तो नाम है उस एहसास का ,
जो सामने रहे और दिखाई न दे।
जब उसका हाथ ,मेरे हाथ के करीब आता है ,
जब उसका हाथ ,मेरे हाथ के करीब आता है ,
तब ताजमहल बन जाता है।
शायरी की जींस लिए फिरते हो ,
मिर्ज़ा ग़ालिब ही नहीं मीर लिए फिरते हो।
1 टिप्पणी:
मिट्टी में मिला दे जुदा हो नहीं सकता,
इससे ज्यादा तो मैं तेरा हो नहीं सकता।
किसी ने निकाल के रख दीं हैं चौखट पे आँखें,
इससे ज्यादा तो रोशन दीया हो नहीं सकता।
क्या खूब लिखा है.
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